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रहस्यमय अघोरी एवं अघोर साधना :

अघोरी एवं अघोर साधना :जो होते हैं परम शिव भक्त जिनका नाम सुनकर स्मसान की चिता भी और मुर्दे भी कापते हे डरते हैं भयभीत हो जाते हैं, स्मसान मरगट मे रात के काले अँधेरो मे आते हैं,अघोरी साधना के लिए ओर सुबह सूरज की पहली किरण से पहले वापस कहा चले जाते हैं,आज तक कोई नही जान सका,किया है इनकी रहस्यमयी दुनिया का राज,प्रमुख मंत्र कामाख्या वशीकरण,शत्रुओं का मारन मूठचोट,अघोरीयो पर एक सम्पूर्ण लेख जानिए !

शैव संप्रदाय में साधना की एक रहस्यमयी शाखा है अघोरपंथ। अघोरी की कल्पना की जाए तो श्मशान में तंत्र क्रिया करने वाले किसी ऐसे साधु की तस्वीर जेहन में उभरती है जिसकी वेशभूषा डरावनी होती है। अघोरियों के वेश में कोई ढोंगी आपको ठग सकता है लेकिन अघोरियों की पहचान यही है कि वे किसी से कुछ मांगते नहीं है और बड़ी बात यह कि तब ही संसार में दिखाई देते हैं जबकि वे पहले से नियुक्त श्मशान जा रहे हो या वहां से निकल रहे हों। दूसरा वे कुंभ में नजर आते हैं।

अघोरी को कुछ लोग ओघड़ भी कहते हैं। अघोरियों को डरावना या खतरनाक साधु समझा जाता है लेकिन अघोर का अर्थ है अ+घोर यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो, जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। कहते हैं कि सरल बनना बड़ा ही कठिन होता है। सरल बनने के लिए ही अघोरी कठिन रास्ता अपनाते हैं। साधना पूर्ण होने के बाद अघोरी हमेशा- हमेशा के लिए हिमालय में लीन हो जाता है।

जिनसे समाज घृणा करता है अघोरी उन्हें अपनाता है। लोग श्मशान, लाश, मुर्दे के मांस व कफन आदि से घृणा करते हैं लेकिन अघोर इन्हें अपनाता है। अघोर विद्या व्यक्ति को ऐसा बनाती है जिसमें वह अपने-पराए का भाव भूलकर हर व्यक्ति को समान रूप से चाहता है, उसके भले के लिए अपनी विद्या का प्रयोग करता है।

अघोर विद्या सबसे कठिन लेकिन तत्काल फलित होने वाली विद्या है। साधना के पूर्व मोह-माया का त्याग जरूरी है। मूलत: अघोरी उसे कहते हैं जिसके भीतर से अच्छे-बुरे, सुगंध-दुर्गंध, प्रेम-नफरत, ईर्ष्या-मोह जैसे सारे भाव मिट जाएं। सभी तरह के वैराग्य को प्राप्त करने के लिए ये साधु श्मशान में कुछ दिन गुजारने के बाद पुन: हिमालय या जंगल में चले जाते हैं।

अघोरी खाने-पीने में किसी तरह का कोई परहेज नहीं नहीं करता। रोटी मिले तो रोटी खा लें, खीर मिले खीर खा लें, बकरा मिले तो बकरा और मानव शव मिले तो उससे भी परहेज नहीं। यह तो ठीक है अघोरी सड़ते पशु का मांस भी बिना किसी हिचकिचाहट के खा लेता है। अघोरी लोग गाय का मांस छोड़कर बाकी सभी चीजों का भक्षण करते हैं। मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक।

घोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है। अघोरी जानना चाहता है कि मौत क्या होती है और वैराग्य क्या होता है। आत्मा मरने के बाद कहां चली जाती है? क्या आत्मा से बात की जा सकती है? ऐसे ढेर सारे प्रश्न है जिसके कारण अघोरी श्मशान में वास करना पसंद करते हैं। मान्यता है कि श्मशान में साधना करना शीघ्र ही फलदायक होता है। श्मशान में साधारण मानव जाता ही नहीं, इसीलिए साधना में विघ्न पड़ने का कोई प्रश्न नहीं।

अघोरी मानते हैं कि जो लोग दुनियादारी और गलत कामों के लिए तंत्र साधना करते हैं अंत में उनका अहित ही होता है। श्मशान में तो शिव का वास है उनकी उपासना हमें मोक्ष की ओर ले जाती है।

अघोरी श्मशान में कौन-सी साधना करते हैं…

अघोरी श्मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं-
श्मशान साधना, शव साधना और शिव साधना।

शव साधना : मान्यता है कि इस साधना को करने के बाद मुर्दा बोल उठता है और आपकी इच्छाएं पूरी करता है

शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना की जाती है। बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पांव है। ऐसी साधनाओं में मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाया जाता है।

शव और शिव साधना के अतिरिक्त तीसरी साधना होती है श्मशान साधना, जिसमें आम परिवारजनों को भी शामिल किया जा सकता है। इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यहां प्रसाद के रूप में भी मांस-मंदिरा की जगह मावा चढ़ाया जाता है।

भूत-पिशाचों से बचने के लिए क्या करते हैं अघोरी

अघोरियों के पास भूतों से बचने के लिए एक खास मंत्र रहता है। साधना के पूर्व अघोरी अगरबत्ती, धूप लगाकर दीपदान करता है और फिर उस मंत्र को जपते हुए वह चिता के और अपने चारों ओर लकीर खींच देता है। फिर तुतई बजाना शुरू करता है और साधना शुरू हो जाती है। ऐसा करके अघोरी अन्य प्रेत-पिशाचों को चिता की आत्मा और खुद को अपनी साधना में विघ्न डालने से रोकता है।

क्यों जिद्दी और गुस्सैल होते हैं अघोरी…

अघोरियों के बारे में मान्यता है कि वे बड़े ही जिद्दी होते हैं। अगर किसी से कुछ मांगेंगे, तो लेकर ही जाएंगे। क्रोधित हो जाएंगे तो अपना तांडव दिखाएंगे या भला-बुरा कहकर उसे शाप देकर चले जाएंगे। एक अघोरी बाबा की आंखें लाल सुर्ख होती हैं लेकिन अघोरी की आंखों में जितना क्रोध दिखाई देता हैं बातों में उतनी ही शीतलता होती है।

अघोरी की वेशभूषा…

कफन के काले वस्त्रों में लिपटे अघोरी बाबा के गले में धातु की बनी नरमुंड की माला लटकी होती है। नरमुंड न हो तो वे प्रतीक रूप में उसी तरह की माला पहनते हैं। हाथ में चिमटा, कमंडल, कान में कुंडल, कमर में कमरबंध और पूरे शरीर पर राख मलकर रहते हैं ये साधु। ये साधु अपने गले में काली ऊन का एक जनेऊ रखते हैं जिसे ‘सिले’ कहते हैं। गले में एक सींग की नादी रखते हैं। इन दोनों को ‘सींगी सेली’ कहते है।

अघोरपंथ तांत्रिकों के तीर्थस्थल…

अघोरपंथ के लोग चार स्थानों पर ही श्मशान साधना करते हैं। चार स्थानों के अलावा वे शक्तिपीठों, बगलामुखी, काली और भैरव के मुख्य स्थानों के पास के श्मशान में साधना करते हैं। यदि आपको पता चले कि इन स्थानों को छोड़कर अन्य स्थानों पर भी अघोरी साधना करते हैं तो यह कहना होगा कि वे अन्य श्मशान में साधना नहीं करते बल्कि यात्रा प्रवास के दौरान वे वहां विश्राम करने रुकते होंगे या फिर वे ढोंगी होंगे।

तीन प्रमुख स्थान :

  1. तारापीठ का श्मशान :

कोलकाता से 180 किलोमीटर दूर स्थित तारापीठ धाम की खासियत यहां का महाश्मशान है। वीरभूम की तारापीठ (शक्तिपीठ) अघोर तांत्रिकों का तीर्थ है। यहां आपको हजारों की संख्या में अघोर तांत्रिक मिल जाएंगे। तंत्र साधना के लिए जानी-मानी जगह है तारापीठ, जहां की आराधना पीठ के निकट स्थित श्मशान में हवन किए बगैर पूरी नहीं मानी जाती। कालीघाट को तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है।कालीघाट में होती हैं अघोर तांत्रिक सिद्धियां

  1. कामाख्या पीठ के श्मशान :

कामाख्या पीठ भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जो असम प्रदेश में है। कामाख्या देवी का मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। प्राचीनकाल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र-सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। कालिका पुराण तथा देवीपुराण में ‘कामाख्या शक्तिपीठ’ को सर्वोत्तम कहा गया है और यह भी तांत्रिकों का गढ़ है।

  1. रजरप्पा का श्मशान :

रजरप्पा में छिन्नमस्ता देवी का स्थान है। रजरप्पा की छिन्नमस्ता को 52 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है लेकिन जानकारों के अनुसार छिन्नमस्ता 10 महाविद्याओं में एक हैं। उनमें 5 तांत्रिक और 5 वैष्णवी हैं। तांत्रिक महाविद्याओं में कामरूप कामाख्या की षोडशी और तारापीठ की तारा के बाद इनका स्थान आता है।

  1. चक्रतीर्थ का श्मशान :

मध्यप्रदेश के उज्जैन में चक्रतीर्थ नामक स्थान और गढ़कालिका का स्थान तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। उज्जैन में काल भैरव और विक्रांत भैरव भी तांत्रिकों का मुख्य स्थान माना जाता है।

अघोरी वीर साधना

कई बार मनुष्य भुत प्रेत आदि के चंगुल में फस जाता है और लाख कोशिश करने पर भी उन्हें इस मुसीबत से छुटकारा नहीं मिलता ! कुछ भुत प्रेत विद्याधरी होते है और यदि हम मंत्र पढ़ते है तो हमारे मंत्र के उत्तर में वह भी मंत्र पढ़ देते है और हमारा मंत्र निष्फल हो जाता है ! मैंने बड़े बड़े साधकों को भी इस समस्या से दो-चार होते हुए देखा है ! इस साधना को करने के बाद व्यक्ति भुत प्रेत आदि समस्या का निपटारा बड़ी आसानी से कर सकता है ! इसके साथ ही उसे एक विशेष सिद्धि मिल जाती है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने और अन्य लोगों के रुके हुए काम भी करवा सकता है ! इस सिद्धि के माध्यम से वह निसंतान को संतान दे सकता है, विदेश यात्रा जैसे कार्य करवा सकता है और जरुरत पड़ने पर वशीकरण, उच्चाटन आदि कर्म भी कर सकता है !

इस मंत्र सिद्धि के अनेकों प्रयोग है जो शब्दों के माध्यम से व्यक्त नहीं किये जा सकते है ! यह कहना गलत न होगा कि इस साधना के बाद व्यक्ति एक सिद्ध पुरुष बन जाता है ! यह साधना एक शमशान साधना है इसलिए इस साधना को सोच विचारकर गुरु-आज्ञा से ही करे !

।। मंत्र ।।

ऊगत तारे , भये भुनसारे
यहाँ अघोरी आन विराजे ,
लकड़ी जरे , मुर्दा चिल्लाये ,
तहाँ अघोरी वीर किरकिराए !!
मेरी भक्ति , गुरु की शक्ति,
देख देख रे अघोरी,तेरे आखिरी मंत्र की दुहाई !!

।। विधि ।।

शमशान में जाते समय अपने साथ एक लोहे का चिमटा ले जाए ! सर्वप्रथम शमशान में जाकर दक्षिण दिशा की तरफ मुह करके लोहे के चिमटे को प्रणाम करे और भगवान् शिव का स्मरण कर रक्षा मंत्र द्वारा एक बड़ा गोल खीच ले ! फिर उस गोले में आसन बिछाये और आसन जाप पढ़ कर किलन मंत्र जपे , अपने साथ बकरे की कलेगी और एक शराब की बोतल ले जाएँ ! इन दोनों वस्तुऒ को अपने सामने रख कर गुरुदेव को प्रणाम करे और मंत्र जप की आज्ञा ले ! फिर भगवान् गणेश से मानसिक रूप से आज्ञा ले और उसके बाद भगवान् शिव के किसी भी मंत्र का जप करे और इस साधना में सफलता के लिए प्रार्थना करे ! उसके बाद एक माला गुरु मंत्र की जपे और फिर इस मंत्र की 5 माला जप करे ! मंत्र जप के बाद एक माला पुनः गुरु मंत्र की जपे ! यह क्रिया आपको 21दिन करनी है !

इस साधना के दौरान आपको कुछ डरावने अनुभव हो सकते है, परन्तु किसी भी हालत में रक्षा घेरे से बाहर ना आये ! गोले से बाहर आने पर आप पागल हो सकते है या फिर प्राणों पर संकट भी आ सकता है !

|| प्रयोग विधि ||

जब भी कोई कार्य करवाना हो तो इसी प्रकार शमशान में जाकर मांस और शराब अघोरी बाबा को एक माला मंत्र जप कर चढ़ा दे और अपना कार्य बोल दे ! १०१ % आपका कार्य सिद्ध होगा !

नोट – यह साधना बड़ी ही उग्र है ! इस साधना को सोच विचार कर गुरु आज्ञा से ही करे l

कामख्या वशीकरण के तरीके

कामाख्या मंत्र एवं तंत्र साधना, कामाख्या वशीकरण मंत्र, कामाख्या सिंदूर- माँ कामाख्या वशीकरण साधना का एक विशेष पौराणिक महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सीता के हवन कुंड में आहुति देने के कारण अंग भंग हो गया था. भगवान शिव ने माता पार्वती को बचाने के लिए उन्हें कंधे पर लेकर जहाँ-जहाँ गए वहां उनके शरीर के अंग गिरते चले गए. इन स्थानों पर ही कालांतर में शक्ति पीठों की स्थापना हुई

शक्तिशाली स्त्री वशीकरण शाबर मंत्र:

तंत्र-मंत्र-यंत्र और ज्योतिषीय उपायों में पुरुष या स्त्री को वशीकरण करने के कई तरीके बताए गए हैं। इन्हीं में शाबर वशीकरण के मंत्र भी हैं। कोई पति को अपने वश में रखना चाहती है, तो कोई चाहता है कि उसकी पत्नी हमेशा उसके सम्मोहन में बंधी रहे। किसी पर-पुरुष की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखे। ऐसे ही प्रेमी-प्रेमिका की इच्छा रहती है कि उनके बीच आपसी प्रेम हमेशा बना रहे। इन सबके लिए किए जाने वाले वशीकरण के उपाय अचूक असर वाले होते हैं।

कामख्या वशीकरण के तरीके

कुछ उपाय सरल होते हैं, जबकि कुछ के शाक्तिशाली प्रभाव के लिए गहन तपस्या और तांत्रित अनुष्ठान किए जाते हैं। हालांकि अधिकतर शाबर मंत्र अपने-आपमें सिद्ध होते हैं, ये केवल थोड़े जप के बाद ही बहुत ज्यादा चमत्कारी प्रभाव दिखाते हैं। और तो और, इनके प्रभाव काफी स्थायी होते हैं तथा इनकी काट असंभव है। आईए, एक नजर डालते हैं उन मंत्रों पर जिनकी मदद से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और वशीकरण का प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है।
कोई स्त्री कुंवारी हो, या व्याहता उसे मोहित करने के लिए सदियों से प्रचलन में शाबर मंत्र बहुत ही उपयोगी साबित होते हैं। इसके प्रभाव में आकर स्त्री काफी हद तक वशीभूत हो जाती है। इन मंत्रों को किसी तांत्रिक के सानिध्य में बताए गए विधि के अनुसार करना चाहिए तथा इसका प्रयोग स्वार्थरहित भावना से सच्चाई के लिए किया जाना चाहिए। इस संबंध मं तीन मंत्र इस प्रकार है

कामदेव वशीकरण मंत्र.

ओम नमो काला भैरूं,काली रात, काला चाल्या आध् रात,काला रेत मेरा वीर,पर नारी के राखे सीर, बेगी जा छाती धर ला,सूती हो जो जगाय ला,शब्द सांचा पिण्ड कांचा पफूरो मंत्रा ईश्वरी वाचा।

बंगाली चमत्कारी तंत्र मंत्र

बंगाली मंत्र साधना, बंगाली वशीकरण मंत्र, बंगाली जादू मंत्र- हर प्रांत की अपनी अलग विशेषता होती है| बंगाल प्रारम्भ से ही आद्यात्मिक क्षेत्र में अग्रणी रहा है|यह रामकृष्ण परमहंस तथा उनके शिष्य विवेकानंद की धरती है| परंतु जिस प्रकार प्रत्येक विचार की दो धाराएँ होतीं है उसी प्रकार आध्यात्म के क्षेत्र में भी बंगाल दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है| पहले क्षेत्र में कृष्णानन्द आगमबागीश जैसे बड़े-बड़े योगी तथा भक्ति मार्ग के सिद्ध पुरुष हुए| इनकी इष्ट देवी काली हैं| दूसरे क्षेत्र में बड़े-बड़े अघोड़पंथी हुए| ये भी देवी काली के ही आराधक हैं परंतु तंत्र के वाममार्ग का प्रतिनिधितव करते हैं|
बंगाल राज्य में एक जिला है वीरभूम| यहाँ की तांत्रिक साधना अत्यंत प्रसिद्ध है| यहीं 51 शक्तिपीठों में से के तारापीठ स्थित है| मंदिर से कुछ कदम आगे विशाल श्मशान है जहां वर्ष भर औघड़ों का डेरा लगा रहता है| बंगाल क्षेत्र को राजिनीतिक अथवा भौगोलिक रूप से राज्य के रूप में विचारित करने की बजाय इसमे एकसमान संस्कृति वाले उड़ीसा, आसाम तथा बिहार के कुछ हिस्से को भी शामिल करना पड़ेगा| इन क्षेत्रों में आध्यात्मिक उत्थान के साथ-साथ जादू टोने का प्रचलन इतना अधिक बढ़ गया बाकी सभी बातें गौण होकर रह गई| इनमे भी कलकत्ते का काला जादू तथा कामरूप कामाख्या के जादू – टोने का डंका दुनिया भर में बजने लगा| 19वीं शताब्दी के मध्य तक लोग अपने युवा पुत्रों को इन क्षेत्रो में भेजने से डरते थे| मान्यता है कि वहाँ की जादूगरनियाँ पुरुषों को भेड़ा बनाकर रख लेती हैं|

मंत्र

बंगाली तंत्रिकों के लिए कामरूप कामाख्या तंत्र सिद्धि का विशेष स्थान है| इसलिए अनेक मंत्रो में कामाख्या देवी को ही संबोधित किया जाता है| मान्यता है कि कामख्या देवी अत्यंत उग्र है| यदि इनकी साधना निष्ठापूर्वक किया जाए तो प्रयास निष्फल नहीं जाता| बंगाली तांत्रिक

वशीकरण के लिए भी कामख्या देवी की आराधना ही श्रेष्ठ मानते हैं –
ओम नमो कामाख्या देव्यै अमुक मां वश्य कुरु स्वाहा

कौन हैं कामदेव?

अथर्ववेद के अनुसार ‘काम’ का अर्थ कामेच्छा या आकर्षण से है तो ‘देव’ का अर्थ विशिष्ट शख्सियत से होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं, जिनका विवाह रति के साथ हुआ। रति को सौंदर्य, सम्मोहन और प्रेम की देवी कहा गया है। कामदेव को ही अर्धदेव या गंधर्व भी कहा गया है, जिन्हें स्वर्गलोक के वासियों में कामेच्छा जगाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
शिव महापुराण की एक कथा के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती ने अपने पिता के द्वारा पति के अपमानित होने पर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव काफी आहत और विचलित होने के बाद सभी तरह के बंधनों और रिश्ते-नाते को तोड लिया था। तमाम सांसारिक मोह-माया को त्यागकर तप में लीन हो गए थे। उनके इस तप को कामदेव ने ही अपने तीर से भंग किया था और उनमें देवी पार्वती के प्रति वशीकरण की भावना विकसित की थी।

कामदेव वशीकरण मन्त्र

क्या किसी को वशीभूत करने के लिए कामदेव वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाहते है? स्त्री-पुरुष के बीच आपसी प्रेम, सौंदर्य और काम भावना के प्रति आकर्षण के लिए कामदेव को याद किया जाता है। कामदेव को लेकर हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई मान्याताएं हैं और इनके संबंध भगवान शिव, ब्रह्मा, गंधर्व के अतिरिक्त प्रेम व आकर्षण की देवी रति के साथ बताए गए हं। कामदेव से जुड़ी कई पौराणिक गाथाएं भी मशहूर हैं, तो इनकी आराधना स्त्री-सम्मोहन या वशीकरण के लिए श्रेष्ठ बताया गया है, तो इसके लिए खास मंत्रजाप की महत्ता बताई गई है।

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