क्या वास्तव में रावण के दस सिर और बीस भुजाएं थीं???
दस सिर ताहि बीस भुजदंडा।
रावन नाम बीर बरिबंडा।।
गोस्वामी जी रावण के परिचय में कहते हैं कि उसके दस सिर और बीस भुजाएं थीं..
दस सिर ताहि+
ताहि बीस भुजदंडा।
ऐसा है परान् रावयति इति रावणः (दूसरे को रूलाने वाला) का परिचय।
वह अत्यंत प्रचंड प्रतापी वीर था।
चाहे किसी भी प्रकार से सही ( जो उससे सबल थे उनमें बली के यहां कुंभकर्ण के विवाह करा कर, बाली से मित्रता कर) परन्तु रावण तीनों लोकों को अपने वश में कर लिया था अतः उसके वीरता पर संदेह नहीं पर उसके दस सिर और बीस भुजाओं पर संदेह स्वाभाविक है।
रावण असुर कन्या और विप्र पिता से उत्पन्न हुआ जिनके एक सिर और दो भुजाएं होते हैं फिर रावण के दस सिर और बीस भुजाएं कैसे???
तो आइए जिसने रावण को देखा है और जिनका वर्णन है,हम उसी के आधार पर जानने के प्रयास करते हैं कि क्या ये सच है और यदि हां तो कैसा दिखाई देता होगा।
लंका रावण दरबार में हनुमानजी भी गए लेकिन उन्होंने उसे देखने को महत्व नहीं दिया। उन्होंने रावण के अंदर भी अपने आराध्य प्रभु राम जी के बल को ही देखा जिसे वह दुरूपयोग कर रहा।
हनुमानजी ने..
दसमुख सभा दिखि कपि जाई।
अर्थात् दसमुख के सभा को देखा पर उसे नहीं।
दसमुख सभा दिखि कपि जाई।
कहि न जाइ कछु ..
कुछ तो कहिए हनुमानजी?
हनुमानजी – ये प्रभुता के अति है जिसका अंत होगा अतः..
कहि न जाइ कछु अति प्रभुताई।
(अपने शक्ति बल पर सभी को बलात अपने चरणों में झुकाना सामर्थ्य के अति है)
अतः हनुमानजी रावण के अभिमान प्रदर्शित करने वाले उस प्रभुता को नहीं देखा अतः कोई शंका भी नहीं…
देखि प्रताप न
तो
न कपि मन संका।
अतः हनुमानजी को रावण को देखने वालों की सूची से अलग रखते हैं और अब अंगद रावण संवाद पर चलते हैं 🙏
रावण अपने विश्व विजय के क्रम में पाताल लोक में राजा बली को जीतने के लिए चला गया तो उसे वहां के बालकों ने देख लिया। बालकों ने देखा कि ये तो विचित्र जीव है,
चलो इसे पकड़ लेते हैं और इसकी घुड़सवारी करेंगे। अतः बालकों ने रावण को पकड़कर घुड़सार में बांध दिया..
बलिहि जितन एक गयउ पताला।
तो
राखेउ बांधि
कौन?
सिसुन्ह (नन्हे बच्चों ने रावण को पकड़कर बांध दिया)
राखेउ बांधि सिसुन्ह हयसाला।।
विचित्र घोड़ा समझकर घुड़सार में बांध दिया और हो सकता है कि सूखी घास भी खाने को दे दिया हो 😃😃😃
फिर सुबह हुई कि बच्चे रावण को लेकर उसे घोड़े के जैसे सवारी करने लगे। रावण जब घोड़े जैसा दौड़ नहीं लगा सकता तो बच्चे उसे चाबुक (कोड़े) लगाने लगे…
खेलहिं बालक + मारहिं जाई।
तो रावण के क्रंदन राजा बली ने सुनी और उसकी दुर्गति देखकर दया आ गई अतः दयावश उसे मुक्त करा दिया…
खेलहिं बालक मारहिं जाई।
तो
दया लागि बलि दीन्ह छड़ाई।।
फिर रावण कुछ दिनों तक विश्व विजय पर नहीं निकला परन्तु कुछ दिन बाद उस दुर्गति को भूलकर पुनः अपने विश्व विजय अभियान पर निकला और सहस्त्राबाहु के पास चला गया।
रावण सहस्त्राबाहु के सामने कहीं नहीं ठहरता,
अतः सहस्त्राबाहु को देखते ही रावण भागने लगा।
जब सहस्त्राबाहु की दृष्टि भागते हुए रावण पर गई तो उन्होंने देखा कि ये तो विचित्र प्राणी है।
दस सिर और बीस भुजाएं??
ये अवश्य ही प्रकृति प्रदत्त विचित्र जंतु है..
एक बहोरि सहसभुज देखा।
तो
धाइ धरा (दौड़ा कर पकड़ा)
जिमि जंतु बिसेषा।।
अर्थात् रावण वहां भी मानव दानव भी नहीं बल्कि जंतु (पशु) था।
सहस्रबाहु ने प्रकृति के आश्चर्यजनक विचित्र जंतु समझकर उसे पकड़कर अपने यहां ले आए और लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया।
रावण कुछ दिनों तक वहां भी कैद में रहा तो किसी प्रकार से इसकी सूचना पुलस्त्य मुनि को मिली तो उन्होंने सहस्त्राबाहु को बताया कि ये कोई विचित्र जंतु नहीं बल्कि मेरे पुत्र विश्रवा का पुत्र है 😃।
इसकी संरचना भले ही विचित्र है किन्तु ये मेरे ही वंश का है अतः छोड़ दो।
तो अब आइए तीसरे प्रत्यक्षदर्शी अंगद ने रावण को देखा तो कैसा लगा उसे देखते हैं…
अंगद दीख दसानन बैसें। सहित प्रान कज्जलगिरि जैसें।।
रावण कज्जलगिरि अर्थात् सीधे तौर पर कहें तो काला कलूटा पहाड़ जैसा।
उसकी बीस भुजाएं मानो वटवृक्ष के बीस तने हैं।
और सिर जैसे उस काले पर्वत की दस चोटियां…
भुजा बिटप
सिर सृंग समाना।
रोमावली लता जनु नाना।।
रावण के मुख और नाक तो जैसे पर्वत की कंदराएं हैं…
मुख नासिका नयन अरु काना। गिरि कंदरा खोह अनुमाना।।
(ध्यान रहे कि ये छोटे युवा कपि के लिए है जिसके सामने रावण बड़े आकार का है)
और युद्धभूमि में तो बंदर रावण रूपी पर्वत पर उछल कूद करते हैं…
गहे न जाहिं करन्हि पर फिरहिं। जनु जुग मधुप कमल बन चरहीं।।
अतः उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि रावण के दस सिर और बीस भुजाएं थे जिसे आज के विज्ञान की भाषा में दुर्लभतम अंग विकृति कह सकते हैं।
रावण राजा बलि एवं सहस्त्राबाहु की दृष्टि में विचित्र जंतु था इसलिए क्योंकि उसके आकृति विचित्र थी।
अतः आजकल भी कहीं कहीं देखने सुनने को मिलता ही है कि वहां दो सिर वाले बच्चे, तो कहीं चार चार हाथ पैर वाले बच्चे का जन्म हुआ है, अतः उसी प्रकार रावण अति दुर्लभतम विचित्रता युक्त अंग (दस सिर और बीस भुजाओं ) युक्त था, इसमें संदेह नहीं है। क्योंकि यह करोड़ों वर्षों में घटित दुर्लभतम है अतः विश्वास करना सहज नहीं है किन्तु मुनियों के कथन असत्य नहीं हो सकता…
🙏🙏🙏
सीताराम जय सीताराम
सीताराम जय सीताराम