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*अन्नकूट महोत्सव के 56 भोग *

भगवान को लगाए जाने वाले 56 भोग की बड़ी महिमा है | इनके लिए 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं,
जिसे छप्पन भोग कहा जाता है |

56 भोग का वैज्ञानिक कारण
रस 6 प्रकार के होते है।
१. कटु
२. तिक्त
३. कषाय
४. अम्ल
५. लवण
६. मधुर
इन छ: रसों के मेल से हम सभी प्रकार से 56 वयंजन बना सकते है।
अर्थात 56 भोग का मतलब है सारी तरह का खाना जो हम भगवान को अर्पित करते है।

छप्पन भोग में लगाये जाने वाले व्यंजनों के नाम इस प्रकार है

  1. भक्त (भात, चावल)
  2. सूच (दाल)
  3. प्रलेह (चटनी)
  4. सदिका (कढ़ी)
  5. दधि शाकजा (दही शाक की कढ़ी)
  6. सिखरिणी (सिखरन)
  7. अवलेह (शरबत)
  8. बालका (वाटी)
  9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
  10. त्रिकोण (शर्करा युक्त, शक्कर पारे)
  11. बटक (बड़ा),
  12. मधु शीपर्क (मठरी)
  13. फेणिका (फेनी)
  14. परिष्टश्च (पूरी)
  15. शतपत्र (खजरा)
  16. संधिद्रक (घेवर)
  17. चक्राम (मालपुआ)
  18. चिल्डिका (चीला)
  19. सुधाकुंडलिका (जलेबी)
  20. धृतपूर (मेसू)
  21. वायुपूर (रसगुल्ला)
  22. चन्द्रकला (पगैमा चन्द्रकला)
  23. दधि (मट्ठा, रायता)
  24. स्थूली (थूली)
  25. कर्पूर नाड़ी (लौंगपूरी)
  26. खंड मंडलम (खुरमा)
  27. गोधूम (दलिया गेहूँ का)
  28. परिखा (पारिखा)
  29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)
  30. दूधिरुप (बिलसारू, विलासहन)
  31. मोदक (लड्डू)
  32. शाक (साग)
  33. सौधान (अधानौ अचार)
  34. मंडका (माठे)
  35. पायस (खीर)
  36. दधि (दही)
  37. गोघृत (गाय का घी)
  38. हैयंगपीनम (मक्खन)
  39. मंडूरी (मलाई)
  40. पूपिका (रबड़ी, कूपिका)
  41. पर्पट (पापड़)
  42. शक्तिका (सीरा, शीरा)
  43. लसिका (लस्सी)
  44. सुवत (सबूत)
  45. संघाय (मोहन)
  46. सुफला (सुपारी, सफला)
  47. सिता (इलायची)
  48. फल
  49. तांबूल (पान)
  50. मोहन भोग
  51. लवण (नमकीन)
  52. कषाय
  53. मधुर (मीठा पदार्थ)
  54. तिक्त (तीखा)
  55. कटु (कड़वा)
  56. अम्ल (खट्टा)

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