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🌺🌺खटिया🌺🌺🏵 चारपाई – कला व स्वास्थ्य 🏵
सोने के लिए हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज क्या थी। क्या हमारे पूर्वज को लकड़ी चीरना नहीं आता था? या लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर कीलें ठोंककर डबल – बेड नहीं बना सकते थे? आपको क्या लगता है कि डबल – बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस है? चारपाई भले ही कोई साइंस ना हो, पर इसमें समझदारी अवश्य थी कि कैसे शरीर की मांसपेशियों को दबाव देकर कम समय में कैसे अधिक आराम दिया जा सके। चारपाई बनाना एक कला थी, उसके लिए जूट, पटुआ, सनई आदि की रस्सी को बुनना पड़ता था, चारपाई भरने में दिमाग और श्रम दोनो लगता था, तभी वह कई प्रकार की बेहतर डिजाइन की चारपाई बना सकते थे। जब चारपाई भरी जाती थी तो सारा खेल अंगुलियों के होता था, और अंगुलियों द्वारा पूरे शरीर के अंगों को सक्रिय किया जाता था।

चारपाई किस लकड़ी की हो, उसका "पाये" कितने कितने ऊँचे हो? उसकी लंबाई - चौड़ाई का क्या अनुपात हो इस बात का उन्हें भली - भाँति ज्ञान था। 

एक चारपाई कई प्रयोग :-
चारपाई सोने का ही नहीं अपितु सोफे का भी काम करता था। अनाज व कपड़े सुखाने के कामों में प्रयोग होता था। अंदर – बाहर करके जब चाहे धूप से बचने के लिए पेड़ो के नीचे, जब चाहे प्रकृति की ठंडी – खुली लेने के लिए बाहर निकाल लेते थे। बन्द कमरे में अपनी साँस को छोड़ने व फिर उसी को लेने का तरीका नहीं था। चारपाई खड़ी करके घर में जगह बना लो या फिर गाँव के शादी – विवाह में देकर उसकी इज्जत बचा लो।। एक चारपाई से अनगिनत काम होते थे पर बेड से ..? जहाँ रखा है ऐसा लगता है घर भीतर मजार सजी हो ना हिल सकती है ना घूम सकती है ना ताजी हवा दे सकती है, ना अनाज या कपड़े सुखा सकती है। यही है ना हमारा आधुनिक आविष्कार …??

स्वास्थ्य की दृष्टिकोण :-

पाचन क्रिया में श्वांस की भूमिका
जब हम सोते हैं तो सिर और पाँव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है; क्योंकि रात या दोपहर में भोजन के बाद पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। बेड पर सोने पर हमारा सिर, पीठ एड़ी, हिप तो बेड पर लगता है, पर कमर व पैरों के जोड़ हवा में होते है, जिससे दर्द आता है। बेड पर सोने वालों को कभी भी शुद्ध आक्सीजन नसीब नहीं हो पाता जिसके कारण रक्त की धमनियां व फेफड़े कमजोर रहते। कमरे में बन्द होने के कारण अपने ही छोड़े गए कार्बन डाई आक्साइड को बार – बार ग्रहण करना पड़ता है, जिसका प्रभाव मष्तिष्क व पूरे शरीर पर पड़ता पर चारपाई पर हमारा कोई भाग हवा में नहीं होता है, जितनी रक्त कोशिकाएं गर्मी उत्पन्न करती है उतना चारपाई के सुराखों से पुनः ताजी ऊर्जा मिलती रहती है। माँस – पेशियों में नसों पर चुभन से उनमें रक्त का बहाव बना रहता है, नसे ब्लॉक नहीं होतीं थी, पाचन क्रिया बेहतर होती थी। इसलिए बेड के मुकाबले हमारा स्वस्थ्य बेहतर होता था।

कुर्सियों और स्वास्थ्य
बच्चों का पालना हो या आरामदायक कुर्सियां सभी में चारपाई की तरह जाल बनाया बनाया जाता है। बच्चों के पुराने पालने में सिर्फ कपडे की जाली होती थी। लेकिन अब लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया है। जहाँ चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द कभी नही होता है। वहीं बेड व तख्त पर सोने वालों में अधिकांश लोगों को दर्द बना रहता है, तथा लोग अनिद्रा के शिकार भी हो रहे हैं।

जमीन व तख्त पर साधु सन्यासियों को सोने के लिए है। साधु नीचे कुशा का आसन लगाते है जो उनकी रक्त संसार को सुव्यस्थति रखता है। कुशा अपने – आप में त्रिदोषनाशक है, गहरी नींद देता है।

जीवाणुओं से बचाव

डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, जिससे रोग के जीवाणुओं व कीटाणुओं का बसेरा बन जाता हैं। वजन में भारी होने के कारण प्रतिदिन इसके नीचे साफ – सफाई नहीं हो पाती, इस कारण अनगिनत मकड़ी – मच्छरों, छिपकलियों, जीवाणुओं का बसेरा बन जाता है। चारपाई को रोज सुबह धूप में खड़ा करके नीचे साफ – सफाई हो जाती है। सूरज का प्रकाश अपने आप में कीटनाशक है। खटिये को धूप में रखने से सूर्य से तापित हो जाता था और खटमल भी नहीं पड़ते थे।

बेड – रेस्ट से दर्द बढ़ेगा या कम होगा?
आजकल अक्सर डॉक्टर बेड रेस्ट लिख देता है तो उसे दो तीन दिन अंग्रेजी बेड पर लेटने दें, उसे BED-SOAR शुरू हो जाता है, वहीं चारपाई पर सोने वालों को कभी भी बेड रेस्ट नहीं बोला गया। बेड रेस्ट वालों को भारतीय चारपाई बहुत काम की है | चारपाई पर BED SOAR नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर – पार होती रहती है ।

तापमान का प्रभाव

जहाँ गर्मियों में अंग्रेजी बेड  गर्म हो जाता है इसलिए AC चलाने की जरुरत पड़ जाती है, वहीं चारपाई के नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है।

 इस प्रकार देखा जाए तो भारतीय चारपाई से मांसपेशियों का एक्वाप्रेशर, ताजी हवा, गर्मी का कम लगना आदि फायदे हैं वहीं गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनद ही कुछ और है। ताज़ी हवा , बदलता मोसम , तारों की छाव ,चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है । बस ध्यान रखे कि प्लास्टिक की चारपाई घर में ना हो।

सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है, लेकिन वह सही नही है।

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