Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

क्या आप के ऊपर कभी काला जादू कर सकता है ?

यह जानने के लिए यह बहुत ही सरल भाषा में लिखा हुआ लेख पढ़ें बहुत ज्ञान से भरपूर है-

जिसकी आत्मा डर गई या फिर जिस के दिल और दिमाग में किसी भी डर असर हो गया और उसने मान लिया थी मेरे ऊपर काला जादू हो सकता है तो यह बहुत ही सीधी सी बात है थी काला जादू आपके ऊपर वास्तव में असर कर सकता है।

आपने देखा होगा काले जादू का असर सर्वप्रथम व्यक्ति के मन पर पड़ता है और वह अपनी मानसिक शांति को खो बैठता है अत: कमज़ोर चंद्रमा का काले जादू में बहुत बड़ा योगदान रहता है क्योंकि यह हमारे मन और मानसिक गति को दर्शाता है ।

काला जादू अथवा प्रताड़न केवल हमारे शत्रुओं के द्वारा ही किया जा सकता है काला जादू एक प्रकार से मानसिक रोग ही है । अतः छठा भाव काले जादू या शत्रु के द्वारा पीडा प्रदान करने में बहुत योगदान रखता है।

काला जादू अपने अर्थ को अपने आप में ही सिद्ध कर रहा है काला अर्थात शनि और जादू अर्थात राहु । अत: राहु और शनि का काले जादू में बहुत बड़ा योगदान रहता है ।

बिना किसी शंका के यदि किसी व्यक्ति का लग्न या लग्न का स्वामी कमजोर हो अथवा राहू, केतु और शनि जैसे पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसे अरिष्टों के होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है ।

निष्कर्ष – यदा कदा चंद्रमा पाप ग्रहों जैसे शनि राहु और केतु के द्वारा पीड़ित हो तो काले जादू की संभावना होती है और यदि चंद्रमा के साथ-साथ लग्न भी पाप प्रभाव को प्राप्त हो रहा है तो निश्चित रुप से काले जादू जैसे उपद्रवों की संभावना और अधिक बढ़ जाती है ।

उदाहरण – जन्म जन्मकुंडली में यदि राहू और चंद्रमा लग्न में बैठै हो और पाप ग्रहों जैसे शनि, केतु इत्यादि से दृ्ष्ट हो तो जातक काले जादू अथवा नकारात्मक उर्जा के प्रभाव में आ सकता है, उसी तरह यदि प्रश्न कुंडली में भी राहु और चंद्रमा लग्न से संबंध करे तो निश्चित रूप से किसी अपर विद्या या काले जादू की ओर संकेत करते हैं । लग्न को शरीर तथा चन्द्रमा को मन की सज्ञां दी गई है अत: यदा कदा दोनों कमजोर अथवा पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक शीघ्रता और सरलता से काले जादू के प्रभाव मे आ सकता है ।

विशेष – यदि आप से कोई प्रश्न पूछता है कि क्या वह काले जादू के प्रभाव में है तो आप यह जानने के लिये मेरे द्वारा नीचे लिखी गई प्रश्न कुंडली विधि का प्रयोग कर सकते हैं । ध्यान दें, इस विधि का प्रयोग तभी करें जब कोई आपसे प्रश्न पूछता है ।

यह विधि इस प्रकार से है-

यदि प्रश्न कुंडली में सूर्य 6–8–12 भावों में हो तो यह क्षेत्रपाल के दोष को इंगित करता है क्षेत्र अर्थात स्थान और पाल अर्थात रक्षक । सामान्य भाषा में यदि कहा जाए तो आपके रहने वाले स्थान या आपके जन्मभूमि का जो रक्षक है वही क्षेत्रपाल कहलाता है । इसे कुलदेवता, इष्ट देवता या स्थान देवता के नाम से भी जाना जाता है । यह दोष सबसे गंभीर माना जाता है, क्योकि इष्ट की कृपा तो हर कोई चाहता है ।

यदि प्रश्न कुंडली में चंद्रमा या शुक्र 6–8–12 भावों में बैठते हैं तो यह कुलदेवी के द्वारा दोषों अथवा रुकावटों को दर्शाते हैं कुलदेवी अर्थात जिसे आपके कुल के द्वारा बहुत लंबे समय से पूजा-अर्चना किया जा रहा है ।

उसी तरह यदि राहु, शनि या केतु 6–8–12 भावों में बैठते हैं तो यह नकारात्मक उर्जा अथवा काले जादू का संकेत करते हैं और यदि इसमे चंद्रमा सम्मिलित हो तो संभावनायें और भी बड जाती है ।इसके अलावा मेरे अनुभव से यदा कदा भी हमारे ऊपर से हमारे इष्ट की कृपा हट जाती है।

और मैंने ये भी अनुभव किया है जो व्यक्ति नित्य सूर्य की उपासना या जप, तप, संध्या, पूजा-अर्चना इत्यादि करता है तो उस व्यक्ति से ये नकारात्मक ऊर्जायें कोसों दूर रहती है और सरलता से प्रभावित नही कर सकती ।

Recommended Articles

Leave A Comment