Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

ज्योतिष अनुसार राहु के फल
〰〰🌼〰🌼〰🌼〰〰
राहू कूटनीति का सबसे बड़ा ग्रह है राहू संघर्ष के बाद सफलता दिलाता है यह कई महापुरुषों की कुंडलियो से स्पष्ट है राहू का 12 वे घर में बैठना बड़ा अशुभ होता है क्योकि यह जेल और बंधन का मालिक है 12 वे घर में बैठकर अपनी दशा, अंतरदशा में या तो पागलखाने में या अस्पताल और जेल में जरूर भेजता है। किसी भी कुंडली में राहू जिस घर में बैठता है 19 वे वर्ष में उसका फल दे कर 20 वे वर्ष में नष्ट कर देता है राहू की महादशा 18 वर्ष की होती है। राहू चन्द्र जब भी एक साथ किसी भी भाव में बैठे हुए हो तो चिंता का योग बनाते है।

राहू की अपनी कोई राशी नहीं है वह जिस ग्रह के साथ बैठता है वहा तीन कार्य करता है।
1👉 उस ग्रह की सारी शक्ति समाप्त कर देता है।
2👉 उसकी शक्ति स्वयं ले लेता है।
3👉 उस भाव में अत्यधिक संघर्ष के बाद सफलता देता है।

राहु के कारण व्यक्ति को निम्नांकित परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।

1👉 नौकरी व व्यवसाय में बाधा।
2👉 मानसिक तनाव व अशांति।
3👉 रात को नींद न आना।
4👉 परीक्षा में असफलता प्राप्त होना।
5👉 कार्य में मन न लगना।
6👉 बेबुनियाद ख्यालों में उलझे रहना।
7👉 अचानक धन का अधिक खर्च। होना या धन रूक-रूक कर प्राप्त होना।
8👉 बिना सोचे समझे कार्य करना।
9👉 दुर्जनों व दुष्टों से मित्रता।
10👉 पति-पत्नी में तनाव व नीच स्त्रियों से सम्बन्ध होना।
11👉 पेट व आंतडि़यों के रोग होना।
12👉 बनते कार्यो में रूकावट होना।
13👉 पुलिस व कानूनी परेशानियां तथा सरकार की तरफ से दण्ड।
14👉 घर व भौतिक सुखों की कमी।
15👉 धन, चरित्र, स्वास्थ्य की तरफ से लापरवाही।
16👉 ब्लैक मैजिक टोना टोटका के प्रभाव में आना।
17👉 बनावटी बातों वाले धोखेबाज लाईफ पार्टनर देना।
18👉 गुप्त विद्याओं में रूची दिखाकर गल्त राह पर चलाना।
19👉 पीठ पीछे जड़े काटने वाले मित्र देना।
20👉 पति पत्नी में संदेहास्पद स्थिती बनाकर तलाक जैसे योग बनाना।
21👉 छोटी उम्र में वीर्य को समाप्त कर यौन रोग देना।

राहु के शुभ होने पर व्यक्ति को कीर्ति, सम्मान, राज वैभव व बौद्धिक उपलब्धता प्राप्त होती हैं परन्तु राहु के अशुभ होने पर जो राहु की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यन्तर व द्वादश भावों में राहु की स्थिति के दौरान व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों व कष्टों का सामना करना पड़ता हैं। मिथुन, कन्या, तुला, मकर और मीन राशियाँ राहु की मित्र राशि है तथा कर्क और सिंह शत्रु राशिया है। यह ग्रह शुक्र के साथ राजस तथा सूर्य एवं चन्द्र के साथ शत्रुता का व्यवहार करता है। बुध, शुक्र, गुरू को न तो अपना मित्र समझता है और नहीं उससे किसी प्रकार की शत्रुता ही रखता है यह अपने स्थान से पाँचवे, सातवे, नवे स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता हैं।

जन्म कुण्डली के विभिन्न भावों में स्थित राहु अपने दोषी प्रभाव को निम्नानुसार प्रकट करता है
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
1👉 प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, नवम, दशम तथा एकादश भाव में राहु की स्थिति शुभ नहीं मानी जाती हैं। परन्तु कुछ विद्वान तीसरे, छठे तथा ग्यारहवें भाव राहु की स्थिति को शुभ भी मानते हैं।
2👉 नीच अथवा धनु राशि का राहु, अशुभ फल देता हैं।
3👉 यदि राहु शुभ भावी का स्वामी होकर अपने भाव से छठे अथवा आठवें स्थान पर बैठा हो तो अशुभ फल देता हैं।
4👉 यदि राहु श्रेष्ट भाव का स्वामी होकर सूर्य के साथ बैठा हो अथवा शुक्र व बुध के साथ बैठा हो तो अशुभ फल देता हैं।
5👉 सिंह राशिस्थ अथवा सूर्य से दृष्ट राहु अशुभ होता हैं।
6👉 जन्म कुण्डली में राहु की अशुभ स्थिति हो तो राहु कृत पीड़ा के निवारणार्थ राहु-शांति के उपाय अवश्य कराने चाहिए।

अगर आपकी दैनिक दिनचर्या में भी उपरोक्त में से कम से कम पांच या सात समस्याएं मिलती जुलती हैं तो बेशक आप भी बुरे राहु के प्रभाव में हैं। किसी अच्छे ज्योतिष से अपनी कुंडली दिखाकर उपाय करें।

बिना कुंडली दिखाए कुछ गिने चुने उपाय आपकी जिंदगी बरबाद कर सकते हैं। क्योंकि हर कुंडली में ग्रह की स्थिती अलग अलग होती है। अाप नहीं जानते कि ग्रह को किसी अन्य भाव में पहुंचाने के क्या उपाय होंगे। यह कोई सुयोग्य ज्योतिष ही आपको बता सकता है।

अक्सर देखा जाता है कि जातक सस्ते व सरल उपाय के चक्कर में हर तरह के ज्योतिष को आजमाता रहता है। जो जैसा बोल दे वैसा चल पड़ता है। हर तरह के उपाय करता है पर स्थिती बनती कम बिगड़ती ज्यादा है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि खराब ग्रह के ज्यादा से ज्यादा तीन या चार उपाय ही फल देते हैं। इससे ज्यादा होने पर उक्त ग्रह अपना बुरा प्रभाव देना शुरू कर देता है।

यह ठीक वैसे ही है जैसे आप अपने रोग को ठीक करने की दवा लेते हैं। जितनी खुराक हो अगर उतनी लेंगे तो रोग में सुधार होगा। यदि डबल डोज लेंगे तो रोग के साथ और भी समस्याएं होंगी।

कुछ स्थितियों में राहु केतु व शनि द्वारा ऐसे दोष भी निर्मित होते हैं जिनमें न तो उपाय लगते हैं न ही पूजा पाठ। इसलिए उपाय हमेशा कुंडली दिखाकर ही किया जाऐं तो आप अपनी दशा बेहतर बना सकते हैं।


〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

Recommended Articles

Leave A Comment