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Divorce -तलाक – जन्मपत्री का चन्द्रमा ग्रह 90% जिम्मेदार हो सकता है। आप खुद को दोष क्यो देते हो।

  विवाह से पहले कन्या और वर के नामों से गुण मिलान किया जाता हैं। इस गुण मिलान में दोष हो तो बेडरूम में झगड़े होते हैं। जैसे गण दोष, भकुट दोष, नाड़ी दोष, द्विद्वादश दोष होने पर शादी के बाद अशांति के योग बनते हैं।
  1. अगर किसी एक व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष है और उसका मंगल दोष निवारण नहीं करवाया गया है तो वैवाहिक में अशांति रहती है। मंगल व्यक्ति को अभिमानी और अड़ियल बनाता है, जिससे वाद-विवाद ज्यादा होते हैं।
  2. अगर पति या पत्नी में से किसी एक कुंडली में शुक्र नीच का हो या षष्ठम या अष्ठम भाव में हो तो झगड़े होने की संभावनाएं रहती हैं।
  3. कुंडली के सप्तम स्थान पर सूर्य, शनि, राहु, केतु और मंगल में से किसी एक या दो ग्रहों का प्रभाव हो तो ये योग पति-पत्नी के लिए अशुभ रहता है।
  4. कुंडली में गुरु अशुभ होकर सप्तमेश या सप्तम पर प्रभाव डालता है तो झगड़ों की संभावनाएं बनती हैं।
  5. कुंडली में सप्तमेश यानी सप्तम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो झगड़े ज्यादा होते हैं।
  6. अगर पति या पत्नी की कुंडली में सप्तम भाव अशुभ ग्रहों से घिरा हो या सप्तम भाव का स्वामी अशुभ ग्रहों से घिरा हो तो मैरिड लाइफ में शांति नहीं रहती है।

आैर भी अन्य महत्वपूर्ण कारण होते है। जिनका विस्तृत विवरण यहाँ देना सम्भव नहीं है।

उपरोक्त योगो को अंश -कला -विकला के स्तर तक जा कर चैक करे, तभी सटीक फलादेश दे सकते है।

आपके सफल विवाहिक जीवन के लिए मकान के वास्तु पर भी अवश्य विचार करना चाहिये ।

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