Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

कुण्डली मिलान 






योनि मिलान

कुण्डली में हम योनि मिलान शारीरिक संबधो मे सहजता के संतुलन के लिए करते है। विवाह मे एक दुसरे के प्रति शारीरिक व्यवहार का संतुलन महत्वपूर्ण है। योनि मिलान द्वारा हम वैवाहिक संतुष्टी आकलन करते है ।

हमारे प्राचीन महान महर्षि द्वारा जातक के जन्मनक्षत्र के अनुसार जातक की संभावित यौन व्यवहार के अनुसार14 प्रकार में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है

1)अश्व (घोड़ा)— अश्विनी, शतभिषा जन्मनक्षत्र वाले

2) गज (हाथी)— भरणी, रेवती जन्मनक्षत्र

3) मेष (मेंढा)— पुष्य, कृतिका जन्मनक्षत्र

4) सर्प (सांप)— रोहणी, मृगशिरा जन्मनक्षत्र

5)श्वान ( कुत्ता)— मूला,  आद्रा जन्मनक्षत्र

6)मार्जर (बिल्ली)— अश्लेषा, पुनर्वसु जन्मनक्षत्र

7)मूषक (चूहा)— माघा, पुर्वफाल्गुणी जन्मनक्षत्र

8) गौ (गाय)— उत्तरफाल्गुणी, उत्तरभद्रापद जन्मनक्षत्र

9)महिषी (भैंस)—  स्वाति, हस्ता जन्मनक्षत्र

10)व्याध्र (चीता)—- विशाखा,  चित्रा जन्मनक्षत्र

11)मृग  (हिरण)—- ज्येष्ठा, अनुराधा जन्मनक्षत्र

12) वानर (बंदर)—-पूर्वाषाढ़ा, श्रवणा जन्मनक्षत्र

13) नकुल (नेवला)— उत्तराषाढ़ जन्मनक्षत्र

14) सिंह (शेर)— पूर्वभाद्रपद, धनिष्ठा जन्मनक्षत्र

योनि मिलान विधी – 

योनि गुण मिलान  को कुल 4अंक आवंटित किया जाता है।

योनि मिलान में हम  5भाग में विभाजित करते है। और नीचे दिये गये सारणी के अनुसार अंक आंवटित करते है।

1)समान योनि – वर और कन्या की एक ही योनि हो तो यह सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। यह शारीरिक संबंधो के लिए भी उत्तम होता है। इसलिए 4 अंक मिलान में आवंटित किया जाता है।

2) मित्र योनि – जब वर और कन्या के योनि एक दूसरे के मित्र हो तो 3अंक आबंटित किया जाता है। मित्र योनि होने स आपस मेे रिश्ता अच्छा होता है।

3) तटस्थ योनि – जब वर और कन्या के योनि आपस मे तटस्थ हो तो यह औसत विचार किया जाता है और 2 अंक आवंटित किया जाता है। यह आपस मे ठीक ठाक संबधो का संकेत देता है।

4) विपरीत योनि – जब वर और कन्या के योनि एक दुसरे से विपरीत स्वाभव के हो तो यह आपस मे एक दूसरे से संबंध बनाने में कठनाई का संकेत देता है।और आपसी संबधो मे तालमेल का अभाव दर्शाते है ।इसप्रकार के आबंटन 1 अंक आंवटित किया जाता है।

5) शत्रु योनि – जब वर और कन्या के योनि एक दूसरे के शत्रु हो तो यह हैं आपसी संबधो के लिए यह बहुत बुरा माना जाता है और इस प्रकार के रिश्ते को जीवन में समस्या और मानसिक अवसाद के कारक हो सकते है।समान्यतः वे एक से दूसरे से शादी नहीं करना चाहिएऔर इस प्रकार के मिलान को 0 अंक आवंटित किया जाता है।

अगले अंक मे हम ग्रह मैत्री मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे ।
 ज्योतिष ज्ञान
📚📖📚📖
धन (द्वितीय) भाव फ्लाध्यायः
〰〰〰〰〰〰〰〰〰
द्वितीय भाव में उच्च राशि, नवमांश तथा षडवर्ग शुद्ध मंगल का फल
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
यदि द्वितीय स्थान में मंगल अपनी उच्च राशि मे स्थित हो तो जातक युद्ध आदि से धन प्राप्त कर अपने कोष में वृद्धि करता है। 

यदि मंगल द्वितीय स्थान में अपने उच्च नवमांश में स्थित हो तो जातक को अत्यधिक कष्ट उठाकर भी बहुत कम धन प्राप्त होता है।

यदि मंगल द्वितीय स्थान में मंगल षडवर्ग से शुद्ध हो तो जातक अपने बंधु-बांधवों के धन में समृद्धि करता है।

द्वितीय भाव में नीच राशि, नवमांश तथा पापवर्ग मंगल का फल
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
यदि जन्म समय मे मंगल अपनी नीच राशि मे धन स्थान में स्थित हो तो ऐसा जातक निर्धन होता है। 

यदि मंगल अपने नीच नवमांश में स्थित हो तो जातक जीवन भर कर्जदार रहता है।

यदि मंगल पापवर्ग में स्थित हो तो जातक के शरीर मे घावों के निशान होते है।

द्वितीय भाव में मित्र राशि, नवमांश तथा वर्गोत्तम नवमांश मंगल का फल
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰

यदि मंगल द्वितीय (धन) स्थान में अपने मित्र ग्रह की राशि मे स्थित हो तो जातक को मित्रो की सहायता से धन प्राप्त होता है।

यदि मंगल द्वितीय स्थान में मित्र के नवमांश में स्थित हो तो जातक के पास मित्रो की सहायता से तथा मित्रो के वर्गोत्तम नवमांश में स्थित होने पर जातक को देवताओं व गुरु के आशीर्वाद से धन मिलता है।

द्वितीय भाव में शत्रु राशि, नवमांश तथा मूल त्रिकोण में मंगल का फल
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰

यदि द्वितीय स्थान में मंगल शत्रु की राशि मे स्थित हो तो जातक को बहुत कम व कभी कभी धन मिलता है।

यदि मंगल द्वितीय स्थान में  शत्रु राशि के नवमांश में है तो जातक को ऋण के कारण बेईमानी से धन अर्जित करना पड़ता है।

यदि मंगल मूल त्रिकोण राशि मे स्थित हो तो मनुष्य को धन कमाने के लिये लोगो को पकड़ना पड़ता है अर्थात वह राहजनी, लूटमारी, अपहरण आदि से धनार्जन करता है।


〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰
 अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को बढ़ाने और पालन करने से आयु की वृद्धि होती है।

~~~
हमारी संस्कृति में वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि अगर अपने नक्षत्र के अनुसार किसी वृक्ष को लगाने से आपकी हर इच्छा पूरी होगी। साथ ही धन-धान्य की भी प्राप्ति होगी।

मनीषियों ने चंद्रमा की यात्रा मार्ग को 27 भागों में विभाजित किया है। प्रत्येक सत्ताईसवें भाग में पड़ने वाले ‘तारामंडल’ के बीच कुछ विशिष्ट तारों की परिचय कर उन्हें नक्षत्रों की संज्ञा दी है।
इस प्रकार नवग्रह तथा 27 नक्षत्रों की पहचान की है।

किसी व्यक्ति के जन्म के समय, चंद्रमा धरती से जिस नक्षत्र की परछाई में रहता है।
वह उस व्यक्ति का जन्म-नक्षत्र कहलाता है। इस प्रकार अपने जन्म-नक्षत्र को जानकर उस वृक्ष को पहचानिए जिसका सेवन आपके लिए वर्जित है। अत: जन्म-नक्षत्र से संबंधित वृक्ष का सेवन नहीं, सेवा करनी चाहिए।

नक्षत्रों के अलावा आप विशेष सिद्धि या अपनी इच्छा प्राप्ति के लक्ष्य से भी वृक्षों का चुनाव कर सकते हैं। जानिए नक्षत्रं के हिसाब से किन वृक्षों को लगाने से होगी हर इच्छा पूरी।

हो सके तो अपने जन्म-नक्षत्र के पौधे घर में लगाकर उसे सींचे। ऐसा करना हित में होगा।
इससे निरोगी, स्वस्थ और संपन्न रहेंगे।

प्रस्तुत है जन्म-नक्षत्र से संबंधित वे वृक्ष और वृक्ष-फल जिनका तोडना नहीं, सींचना लाभकारी है।

नक्षत्र वृक्षों के नाम इस प्रकार है……

1- अश्विनी – केला, आक, धतूरा
2- भरणी – केला, आंवला
3- कृतिका – गूलर
4- रोहिणी – जामुन
5- मृगशिरा – खैर
6- आर्द्रा – आम, बेल
7- पुनर्वसु – बांस
8- पुष्य – पीपल
9- आश्लेषा – नाग केसर या चन्दन
10- मघा – बड़
11- पूर्वा फाल्गुनी – ढाक
12- उत्तरा फाल्गुनी – बड़ / पाकड़
13- हस्त – रीठा
14- चित्रा – बेल
15- स्वाति – अर्जुन
16- विशाखा – नीम
17- अनुराधा – मौलसिरी
18- ज्येष्ठा – रीठा
19- मूल – राल वृक्ष
20- पूर्वा षाढा – मौलसिरी या जामुन
21- उत्तरा षाढा – कटहल
22- श्रवण – आक
23- धनिष्ठा – शमी या समर 24- शतभिषा – कदम्ब
25- पूर्वा भाद्रपद – आम
26- उत्तरा भाद्रपद- पीपल / सोनपाठा
27- रेवती- महुआ

यदि किसी जातक को उनके नक्षत्र के पौधे नहीं मिल रहे है तो उसे आम, पीपल, बड़, गुलर, जामुन जैसे सर्वमान्य वृक्षों की सेवा करनी चाहिए।
किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से पूछ कर वह इनमे से किसी पेड़ की परिक्रमा या पूजा कर सकता है।


~~~~~~~~

Recommended Articles

Leave A Comment