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ग्रहों का फल देने का समय

ग्रह अपनी दशा अन्तर्दशा में तो अपना फल देते ही हैं बल्कि कुछ और भी जीवन में ऐसे मौके आते हैं जब ग्रह अपना पूरा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर डालते हैं।

जितना कुछ मेरे मस्तिष्क में है वह सब तो मैं व्यक्त नहीं कर सकता परन्तु आवश्यक नियम इस प्रकार हैं जब आप बीमार होते हैं उस समय सूर्य का प्रभाव आपपर होता है।

कुंडली मे सूर्य यदि अच्छा हो तो बीमारी की अवस्था में भी आपका मनोबल बना रहता है इसके विपरीत यदि सूर्य अच्छा न हो तो जरा सा स्वास्थ्य खराब होने के बाद आपको जीवन से निराशा होने लगती है इस समय सूर्य का पूर्ण प्रभाव आप पर होता है।

घर में किसी बच्चे के जन्म के समय हम चंद्रमा के प्रभाव में होते हैं जीवन में संवेदनशील लम्हों में चन्द्र का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।

इसके अतिरिक्त जब हम अपने हुनर या कला का प्रदर्शन करते हैं तब चन्द्र हमारे साथ होते हैं।

चोट लगने पर, सर्जरी या आपरेशन के समय, संघर्ष करते समय और मेहनत करते वक्त मंगल हमारे साथ होता है उस वक्त किसी अन्य ग्रह की अपेक्षा मंगल का असर सर्वाधिक आप पर रहता है।

हाथ की मंगल रेखा या मंगल के फल देने का काल यही होता है।

जब बोलकर किसी को प्रभावित करने का समय आता है तब बुध का समय होता है।

जब आप चालाकी से अपना काम निकालते हैं तो बुध का बलाबल आपकी सहायता करता है।

जब हम शिक्षा ग्रहण करते है या फिर जब हम शिक्षा देते हैं उस समय गुरु का प्रभाव हमारे जीवन पर होता है।

किसी को आशीर्वाद देते समय या किसी को बददुआ देने के समय बृहस्पति ग्रह की कृपा हम पर होती है इसके अतिरिक्त पुत्र के जन्म के समय या पुत्र के वियोग के समय भी बृहस्पति का पूरा प्रभाव हमारे जीवन पर होता है।

मनोरंजन के समय शुक्र का प्रभाव होता है विवाह, वर्षगांठ, मांगलिक उत्सव और सम्भोग के समय शुक्र के फल को हम भोग रहे होते हैं ।

आनन्द का समय हो या नृत्य का, हर समय शुक्र हमारे साथ होते हैं यही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके निर्बल होने पर जीवन एक बोझ के समान लगता है।

जीवन से आनन्द ख़त्म हो जाए या जीना मात्र एक मजबूरी बन कर रह जाए तो समझ ले कि शुक्र का बुरा प्रभाव आप पर है।

शनि का अर्थ ही दुःख है जिस समय हम दुःख की अवस्था में होते हैं तब शनि का समय समझे इस काल को छोड़कर सभी काल क्षण भंगुर होते हैं।

शनि के काल की अवधि लम्बी होती है दुःख या शोक के समय, सेवा करते वक्त, कारावास में या जेल में और बुढापे में शनि का प्रभाव सर्वाधिक होता है।

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