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: आप क्यों हैं लोगों के आकर्षण की वजह ?
जानिए अपनी राशि के अनुसार !

राशि अनुसार जानें अपनी कार्यक्षमत:-
हर राशि की अपनी एक अलग पहचान होती है।
उस राशि के जातक की सकारात्मकता और कार्यक्षमताएं भी अलग-अलग होती हैं। एक बार आप अपनी क्षमता या रुचि जान लेते हैं तो आगे का कार्य चुनना आपके लिए आसान हो जाता है।

मेष राशि:-
मेष राशि के जातक अपने लक्ष्यों के प्रति वफादार होते हैं।
वो एक बार जो सोच लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं। अन्य राशियों की तुलना में मेष राशि के जातक बहुत ही हिम्मत वाले होते हैं। जीवन में उन्हें कभी किसी असफलता या परेशानी से डर नहीं लगता है।

वृष राशि:-
वृष राशि के जातक बहुत ही भरोसेमंद होते हैं।
इनमें स्थिरता होती है और ये अपनी ही शर्तों पर काम करते हैं।
इनके जीवन का लक्ष्य आजीवन शांति पाना होता है। शांतिपूर्ण जीवन के अतिरिक्त इन्हें किसी अन्य चीज की चाह नहीं होती।

मिथुन राशि:-
मिथुन राशि के जातक बहुत ही अच्छे विश्लेषक और समीक्षक होते हैं।
ये बहुत ही प्रभावी संवादकर्ता भी होते हैं। इन्हें तब तक किसी बात पर यकीन नहीं होता जब तक ये उसे अपनी आंखों से देख नहीं लेते। मिथुन राशि के जातक बहुत ही जिज्ञासु होते हैं और इस स्वभाव के कारण वे किसी भी परिस्थिति में बोर नहीं होते।

कर्क राशि:-
केकड़े की भांति कर्क राशि के जातक उपर से तो बहुत कठोर होते हैं
लेकिन अंदर से वो बहुत ही भावुक होते हैं। उनकी भावनाओं में गहराईयां होती है। इस राशि के जातक जब किसी से रिश्ता बनाते हैं तो उनसे बहुत ही आत्मीयता से जुड़ जाते हैं। वे अपने प्रियजनों की हर बात सुनते हैं और उनकी भावनाओं का खयाल रखते हैं। इस राशि से जुड़े लोग इनके साथ अत्यंत सुरक्षित महसूस करते हैं।

सिंह राशि:-
सिंह राशि के जातक बहिर्मुखी स्वभाव के होते हैं।
ये बड़े दृढ़निश्चयी होते हैं और इनमें कुछ कर दिखाने की तमन्ना होती है। ये लोगों से कुछ भी नहीं छिपाते और पूरे संसार को एक दर्शक की भांति समझते हैं। ये अपने जीवन में सफल होते हैं और इन्हें अक्सर अपने कामों के लिए तारीफें भी बहुत मिलती है।

कन्या राशि:-
इस राशि के जातक हमेशा पूर्णता की तलाश में होते हैं।
अन्य राशियों की तुलना में इस राशि के जातक अपने निजी विकास के लिए सबसे अधिक समर्पित होते हैं। ये हमेशा अपनी सफलता को आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहते हैं और इस प्रक्रिया में कई बार दूसरों की मदद भी लेते हैं।

तुला राशि:-
तुला राशि के जातक बहुत ही अनुशासनप्रिय होते हैं
और इस कारण वे अपने घरों में शांति बहाल रख पाते हैं। संतुलन की क्षमता के कारण इस राशि के लोगों के व्यवहार में एक जादूई प्रभाव होता है। ये आस-पास के लोगों का भी बहुत ध्यान रखते हैं।

वृश्चिक राशि:-
वृश्चिक राशि के जातक में हर डर से लड़ने की क्षमता होती है।
ये बहुत ही साहसी और जुनुनी होते हैं। ये संसार की नश्वरता को समझते हैं और जानते हैं कि दुनिया में सबकुछ बस थोड़े ही समय के लिए है। इस सच को गहराई से समझने के कारण ये दुनिया की हर चीज का भरपूर लुफ्त उठाते हैं।

धनु राशि:-
धनु राशि के जातक बहुत ही खुले विचारों के होते हैं।
ये बहुत ही उत्साही और रोमांचक होते हैं। वे हमेशा कुछ नया करने की तलाश में रहते हैं और उससे जुड़े अनुभव को दूसरों से साझा भी करते हैं। हमेशा कुछ नया कर दिखाने की चाह और उससे जुड़ा उनका अनुभव उन्हें ज्ञान का नया भंडार दे जाती है।

मकर राशि:-
मकर राशि के जातक बहुत ही ईमानदार, मेहनती और समर्पित होते हैं।
ये ईमानदारी से नाम कमाने में यकीन रखते हैं। इस राशि के लोग हमेशा आत्मनिर्भर रहना चाहते हैं। ये उसके लिए अनवरत प्रयास करते रहते हैं और उनकी ये कोशिश दूसरों को उनके जैसा बनने के लिए प्रेरित भी करती है।

कुंभ राशि:-
कुंभ राशि के जातक क्रांतिकारी और विद्रोही स्वभाव के होते हैं।
इन्हें अपनी आजादी बहुत ही प्रिय होती है। ये हमेशा अपने अस्तित्व को साबित करने का प्रयास करते रहते हैं और दूसरों से भी यही अपेक्षा रखते हैं। उनका यह स्वभाव उन्हें लोगों का नेतृत्व करने के लिए भी कौशल बनाता है।

मीन राशि:-
मीन राशि के जातक मन की गहराई को समझते हैं।
इस कारण इनका स्वभाव रचनात्मक होता है और ये अपनी रचना के माध्यम से जीवन के सभी रहस्यों को सामने लाने का प्रयास करते हैं। इस राशि के लोग बड़ी ही सरलता से अपनी अंतरात्मा को छू पाते हैं। ये इस संसार में जीते तो अवश्य हैं पर खुद को इसका हिस्सा नहीं मानते।


[जन्म कुंडली में इस योग के बनते ही, नौकरी, व्यापार में होने लगता है लाभ ….

ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलेगी या असफलता, धनवान, बनेंगे या निर्धन इसका पता जन्म के समय ही जन्म कुंडली देखकर लगाया जा सकता है।

कुंडली में कुछ ऐसे शुभ योग बनते हैं, जिस कारण व्यक्ति को नौकरी में उन्नति, व्यापार में लाभ आदि होने लगते हैं। जानें आपकी जन्मकुंडली में क्या ये योग बन रहे हैं।

केवल इस एक मंत्र का हर रोज इतनी बार उच्चारण मात्र से बदल जाता है भाग्य

व्यापार में सफलता के योग

1- यदि कुंडली में सप्तमेश सप्तम भाव में हो या सप्तम भाव पर सप्तमेश की दृष्टि हो तो बिजनेस में सफलता मिलती है।

2- सप्तमेश स्व या उच्च राशि में होकर शुभ भाव (केंद्र-त्रिकोण आदि) में हो तो बिजनेस के अच्छे योग होते हैं।

3- यदि लाभेश लाभ स्थान में ही स्थित हो तो व्यापार में अच्छी सफलता मिलती है।

4- लाभेश की लाभ स्थान पर दृष्टि हो तो व्यापार में सफलता मिलती है

5- यदि लाभेश दशम भाव में और दशमेश लाभ स्थान में हो तो अच्छा व्यापारिक योग होता है।
जन्मकुंडली में इस योग के बनते ही, नौकरी, व्यापार होने लगता है लाभ

6- दशमेश का भाग्येश के साथ राशि परिवर्तन भी व्यापार में सफलता देता है।

7- यदि धनेश और लाभेश का योग शुभ स्थान पर हो या धनेश और लाभेश का राशि परिवर्तन हो रहा हो तो भी व्यापार में सफलता मिलती है।

8- सप्तमेश यदि मित्र राशि में शुभ भावों में स्थित हो तो भी बिजनेस में जाने का योग होता है।

9- यदि सप्तमेश और दशमेश का राशि परिवर्तन हो अर्थात सप्तमेश दशम भाव में और दशमेश सप्तम भाव में हो तो भी बिजनेस में सफलता मिलती है।

10- बुध स्व या उच्च राशि (मिथुन, कन्या) में होकर शुभ भावों में हो तो बिजनेस में जाने का अच्छा योग होता है।

11- बुध यदि शुभ स्थान केंद्र-त्रिकोण में मित्र राशि में हो और सप्तम भाव, सप्तमेश अच्छी स्थिति में हो तो भी बिजनेस में सफलता मिल जाती है।

12- यदि लाभेश (ग्यारहवे भाव का स्वामी) पाप भाव (6,8,12) में हो तो ऐसे में बिजनेस में संघर्ष की स्थिति रहती है।

13- कुंडली के एकादश भाव में किसी पाप योग (ग्रहण योग, गुरुचांडाल योग आदि) का बनना भी बिजनेस में संघर्ष उत्पन्न करके सफलता को कम करता है।

14- कुंडली में सप्मेश का पाप भाव या नीच राशि में होना भी बिजनेस के क्षेत्र में संघर्ष देता है।

करें यह उपाय …
अगर किसी का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा तो वे इस एक उपाय को अवश्य करें, इसस आपके व्यापार कारोबार में तेजी से वृद्धि होने लगती है।

  • प्रति दिन हनुमान जी के दर्शन करें एवं सुबह शाम श्री हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें एवं दोनों समय घी का दीपक भी जलाये,

इससे अंदर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने लगेगी और कुछ ही दिनों आपका कारोबार में वृद्धि होने लगेगी।

         

[ जन्मकुंडली में शुक्र👇🏼

🔹शुक्र की आज बात करे तो यह वृष और तुला राशि का स्वामी है यह मीन राशि मे उच्च का होता है और कन्या में नीच का आज इनका हर राशि मे होने से क्या फल होता है ।
🔸मेष =आंखों में विकार , सबका विरोध करने का स्वभाव दोस्तो के कारण कष्ट।
🔸वृष = तैयार धन की हमेसा कमी , असमाजिक छुपे हुए शौक।
🔸मिथुन= रोमांस प्रेम के कारण तनाव ,अकेलेपन में घबराहट।
🔸कर्क= नशे की आदत , पूर्वजों की गलतियों का भुगतान।
🔸सिंह =लापरवाही , नेत्र विकार , धीरज की कमी
🔸कन्या=अकुलीन स्त्रियों से परिचय, बदनामी ,आंख ,कान , नाक गले मे खराबी।
🔸तुला= अधिक मेहनत , घर से वाहर रहे ।
🔸वृश्चिक= धूर्त स्वभाव , कम सहयोगी , कर्ज , गुप्त रोग
🔸धनु =खानपान का सुख , वाहन सुख में वाधा
🔸मकर=अपने से बड़ी उम्र की स्त्री के कारण हानि , ह्रदय रोग , कम खरा व्यवहार ।
🔸कुभ= अशांत मन , कम सफलता , पड़ोसियों से कष्ट
🔸मीन = अधिक भोगी।
🔸कुंडली मे यह सूर्य के साथ कमजोर होता है ।
🔸 सप्तमेश या सप्तम भाव मे इसका सम्बन्द बने तो स्त्री और सन्तान के कारण कष्ट होता है ।
🔸गुरु के साथ यह अशांत रहता है।
🔸शुक्र के साथ राहु या मंगल हो तो वैवाहिक सुख में कमी होती है।
||#शनिनोकरीकराएगायाव्यापार???|| कल की पोस्ट पर एक सज्जन का प्रश्न था शनि क्या नोकरी कराता है व्यापार नही करा सकता आदि।तब इसी विषय पर बात करते है अब।। शनि नोकरी और व्यापार दोनो ही करवा सकता है।अब प्रश्न यह है किन परिस्थितियों में यह नोकरी करवाएगा और किन परिस्थितियों में यह व्यापार करा सकता है? #पहलेबातकरतेहैव्यापारकी, नोकरी या व्यापार के लिए 10वा भाव देखा जाता है, जब शनि 10वे भाव मे बलवान होकर बैठेगा और जिस राशि मे शनि बैठा है उस राशि का स्वामी भी बलवान स्थिति में और शुभ भावगत होगा साथ ही व्यापार कारक बुध और कही न कही दूसरा/ग्यारहवा भाव बलवान होगा तब शनि ऐसी स्थिति में व्यापार कराएगा,अपने से सम्बंधित कारक वस्तुओं का।जितना ज्यादा बलवान शनि होगा व्यापार की स्थिति उतनी अच्छी रहेगी, दसवे भाव के स्वामी के साथ के साथ भी यह शुभ स्थितिगत बेठा होगा और दशमेश बलवान होगा आदि तब भी जातक को यह व्यापार कराएगा, व्यापार के लिए बुध का बलवान होना और कही न कही दूसरे/ग्यारहवे भाव की स्थिति बलि होना जरूरी है।। #उदाहरणकेअनुसार:- मीन लग्न अनुसार, मीन लग्न में दसवे भाव का स्वामी गुरु होता है अब गुरु उच्च होकर बेठा हो जो कि 5वे भाव मे होगा और शनि दसवे भाव मे गुरु की धनु राशि में बैठा हो और बुध बलवान हो साथ ही कही न कही दूसरा भाव भी बलवान हो तब ऐसा जातक व्यापार ही करेगा, शनि यहाँ धनु राशि के दसवे भाव मे सामान्य बलवान है इस कारण व्यापार में सामान्य अच्छी सफलता देगा,लेकिन यहाँ शनि वर्गोत्तम हो जाये या किसी मित्र ग्रहो का सहयोग से ओर ज्यादा बलवान हो जाये तब बड़ी स्तर की सफलता व्यापार में देगा, शनि से संबंधित वस्तुओं का व्यापार ही यहाँ तरक्की देगा।शनि यहां अस्त, अशुभ योग आदि में होकर किसी तरह अशुभ न हो वरना व्यापार में अशुभ होने पर नुकसान देगा।। #शनिनोकरीकबकरवाताहै? जब शनि कमजोर होगा और दसवे भाव या दशमेश को प्रभावित करेगा और दसवे भाव का स्वामी भी सामान्य बलवान होगा तब यह नोकरी करवाता है इसके अलावा शनि का दृष्टि प्रभाव दशमेश पर है तब नोकरी करने में ही सफलता मिलती है।अब सफलता नोकरी में किस स्तर की मिलेगी यह दसवे भाव, भावेश कितने बलवान और शुभ स्थिति आदि में है साथ ही शनि कितना अच्छा है आदि उसी अनुसार सफलता मिलती है।नोकरी करने वाले जातक/जातिकाओ के लिए शनि का शुभ और बलवान होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि शनि नोकरी कारक है।शनि अशुभ होने पर नोकरी में संघर्ष रहता है और इसके शुभ/बलवान होने पर साथ ही दसवे भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी होने पर नोकरी में अच्छी सफलता मिलती है।उदाहरण से समझते है अब #उदाहरणअनुसार:- माना किसी जातक या जातिका की कन्या लग्न की कुंडली है तब यहाँ दसवे भाव का स्वामी बुध बनेगा, अब बुध कमजोर हो साथ ही दसवे भाव मे अकेला शनि बेठा होगा तब शनि यहाँ नोकरी करवाएगा।ऐसे ही दशमेश बुध पर या किसी भी लग्न की कुंडली हो उसमे दसवे भाव के स्वामी पर शनि की दृष्टि है और दशमेश अकेला है आदि तब नोकरी ही करनी पड़ती है।जब नोकरी की स्थिति रहेगी कैसी? यह निर्भर करेगा दशमेश और शनि की स्थिति कैसी है?, अच्छी होगी तब नोकरी अच्छे स्तर की रहेगी और जहां दशमेश और शनि की स्थिति कमजोर या अशुभ हुई तब नोकरी में संघर्ष रहेगा।। इस तरह शनि जातक/जातिका को नोकरी कराने में भी सक्षम है और व्यापार करा देने में भी निर्भर करेगा आपका शनि किस स्थिति में आपके कार्यक्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।व्यापार योग होने पर भी शनि अशुभ प्रभाव व्यापार पर डालेगा तब नुकसान जरूर देगा और शुभ होकर व्यापार में सफलता देगा।।

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