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धन प्राप्ति के योग
1 जन्म कुंडली में दूसरे भाव का स्वामी धन का स्वामी होता है यदि यह धन का स्वामी धन भाव में ही बैठा है या केंद्र थानों में विराजमान हो या त्रिकोण में विराजमान हो तो दूसरे भाव के स्वामी की महादशा एवं अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा में धन लाभ होता है बहुत सा धन एकत्र होता है अर्थात व्यक्ति उस समय धनवान होता है
2 जन्म कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी भी नित्य आय प्रदान करता है यह भी धन का स्वामी होता है यदि यह 7 भाव का स्वामी 7 भाव में ही बैठा है या केंद्र थानों में विराजमान हो या त्रिकोण में विराजमान हो तो 7 भाव के स्वामी की महादशा एवं अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा में धन लाभ होता है बहुत सा धन एकत्र होता है अर्थात व्यक्ति उस समय धनवान होता है
3 जन्म कुंडली में 9 भाव का स्वामी भाग्य उन्नति प्रदान करने वाला होता है साथ ही इस समय भी बहुत सा धन मिलता हैं यदि यह भाग्य का स्वामी भाग्य भाव में ही बैठा है या केंद्र थानों में विराजमान हो या त्रिकोण में विराजमान हो तो 9 भाव के स्वामी की महादशा एवं अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा में धन लाभ होता है बहुत सा धन एकत्र होता है अर्थात व्यक्ति उस समय धनवान होता है
4 जन्म कुंडली में 10 भाव का स्वामी रोजगार का स्वामी होता है यह अच्छा काम धंधा या नौकरी देता है यह ग्रह भी भाग्य उन्नति प्रदान करने वाला होता है साथ ही इस समय भी बहुत सा धन मिलता हैं यदि यह 10 का स्वामी 10 भाव में ही बैठा है या केंद्र थानों में विराजमान हो या त्रिकोण में विराजमान हो तो 10 भाव के स्वामी की महादशा एवं अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा में धन लाभ होता है बहुत सा धन एकत्र होता है अर्थात व्यक्ति उस समय धनवान होता है
5 जन्म कुंडली में 11 भाव का स्वामी धन प्रदान करने का स्वामी होता है यह अच्छा काम धंधा या नौकरी से निरंतर पैसा देता है यह ग्रह भी भाग्य उन्नति प्रदान करने वाला होता है साथ ही इस समय भी बहुत सा धन मिलता हैं यदि यह 11 का स्वामी 11 भाव में ही बैठा है या केंद्र थानों में विराजमान हो या त्रिकोण में विराजमान हो तो 11 भाव के स्वामी की महादशा एवं अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा में धन लाभ होता है बहुत सा धन एकत्र होता है अर्थात व्यक्ति उस समय धनवान होता है।

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