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: बच्चों के शारीरिक विकास में लिए

2 साल के ऊपर के सभी बच्चों को नीचे लिखा पाउडर घर में बना कर दें।

बादाम 50 ग्राम (पानी में भिगो कर छिलका उतार कर सुखा लें)
अखरोट 50 ग्राम
छुहारा 50 ग्राम
मखाना 300 ग्राम
मूंगफली 100 ग्राम
बंसलोचन 50 ग्राम
शंखपुष्पी 50 ग्राम
मीठी बच 10 ग्राम
लटजीरा 20 ग्राम
वायबिडंग 20 ग्राम
छोटी इलायची 10 ग्राम
सौंफ 50 ग्राम
काली मिर्च 50 ग्राम
अश्वगंधा 100 ग्राम
सतावर 50 ग्राम
चंद्रसूर 50 ग्राम
मिश्री 700 ग्राम

सबको कूट पीस कर पाउडर बना कर रख लें। 1 चम्मच ये पाउडर दूध में मिला कर दें, इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। बच्चा जल्दी बीमार नही पड़ेगा।

इससे नेत्र ज्योति बढ़ेगी, जिन बच्चों को चश्मा लग गया है उन्हें इससे बहुत फायदा मिलेगा। लंबाई बढ़ेगी, बुद्धि और शरीर के विकास के लिए बहुत उत्तम है।


[ हमारे वेदों के अनुसार स्वस्थ रहने के १५ नियम
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१- खाना खाने के १.३० घंटे बाद पानी पीना है

२- पानी घूँट घूँट करके पीना है जिस से अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके , पेट में acid बनता है और मुँह में छार ,दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा

३- पानी कभी भी ठंडा ( फ़्रीज़ का )नहीं पीना है।

४- सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए २ ग्लास पानी पीना है ,रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही चाहिए ।

५- खाना ,जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना है ।

६ -खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा या उखड़ूँ बैठकर ही भोजन करे ।

७ -खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही , प्याज़ के साथ दूध , दही के साथ उड़द दल

८ -समुद्री नमक की जगह सेंध्या नमक या काला नमक खाना चाहिए

९-रीफ़ाइन तेल , डालडा ज़हर है इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों , तिल , मूँगफली , नारियल का तेल उपयोग में लाए । सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है , आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते है ।

१०- दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद ५०० क़दम पैदल चलना चाहिए

११- घर में चीनी (शुगर )का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में १७ तरह के ज़हर ( केमिकल )मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आजकल गुड बनाने में कॉस्टिक सोडा ( ज़हर ) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड ना खाए । प्राकृतिक गुड ही खाये । और प्राकृतिक गुड चोकलेट कलर का होता है। ।

१२ – सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए ।

१३- घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन , कुकर नहीं होना चाहिए । हमारे बर्तन मिट्टी , पीतल लोहा , काँसा के होने चाहिए

१४ -दोपहर का भोजन ११ बजे तक अवम शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए

१५ सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंध्या नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर ) पीना चाहिए । यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और देश के ८ लाख करोड़ की बचत होगी । यदि आप बीमार है तो ये नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग ( BP , शुगर ) अगले ३ माह से लेकर १२ माह में ख़त्म हो जाएँगे।📚🖊🙏🙌
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घरेलु उपचार: हाई ब्‍लड प्रेशर पर प्रभावशाली घरेलू उपाय

हाई ब्लड प्रेशर में रोगी को चक्कर आने और सिर घूमने की समस्‍या होती है। रोगी का किसी काम में मन नहीं लगता। उसमें शारीरिक काम करने की क्षमता नहीं रहती और रोगी अनिद्रा का शिकार रहता है। घरेलू उपचार के सावधानीपूर्वक इस्तेमाल से बिना दवाई लिए इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है। जरूरत है संयमपूर्वक नियम पालन की।

आइए जानें हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय।

नमक का कम प्रयोग

नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला सबसे प्रमुख कारक है। इसलिए यह बात सबसे महत्‍वपूर्ण है कि हाई बी पी वालों को नमक का प्रयोग कम कर देना चाहिए।

लहसुन

उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू उपाय है। यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्रॉल होने की स्थिति का समाधान करती है।

प्याज

प्याज के नियमित सेवन से ब्‍ल्‍ड प्रेशर नियंत्रण में रहता है और अगर आपका ब्‍लड प्रेशर बढ़ गया है तो उसे तुरंत करने के लिए प्‍याज का सेवन करें। इसके सेवन से शरीर से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी नियंत्रित होती है। इसमें क्योरसेटिन पाया जाता है, यह एक ऐसा ऑक्सीडेंट फ्लेवेनॉल है, जो दिल को बीमारियों से बचाता है। प्‍याज को खाने के साथ और सलाद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।

अदरक

प्याज और लहसुन की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैल्‍शियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटी-ऑक्सीडेटस होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रॉल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।

नींबू का रस

नींबू के रस से रक्‍त वाहिनियां कोमल व लचकदार हो जाती हैं। इससे रक्‍तचाप सामान्‍य बना रहता है। यह हृदयाघात के खतरे को भी कम करता है। एक-एक चम्‍मच शहद, अदरक और नींबू के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर सप्‍ताह में दो-तीन बार पीना चाहिए। यह ब्‍लड प्रेशर के लिए बहुत अच्‍छा टॉनिक है। इसके अलावा बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। यह बहुत ही लाभकारी उपचार है।

तिल

तिल का सेवन करने से रक्‍तचाप सामान्‍य हो जाता है। तिल का तेल और चावल की भूसी को एक साथ खाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। यह हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है। माना जाता है कि यह रक्‍तचाप कम करने वाली अन्य औषधियों से ज्यादा बेहतर है। रक्‍तचाप बढ़ने पर इसका सेवन कीजिए।

तरबूज के बीज और खसखस

तरबूज के बीज को छीलकर उसके बीच की गिरी और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें। एक महीने तक इसका सेवन करें। यह हाई ब्‍लड प्रेशर के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

अलसी

अलसी में अल्फा लिनोनेलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एक प्रकार का ओमेगा 3 फैटी एसिड है। कई शोधों में भी पता चला है कि जिन लोगों को हाइपरटेंशन की शिकायत होती है, उन्हें अपने आहार में अलसी का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। इस औषधि में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा भी कम होती है, और इसके सेवन से रक्‍तचाप भी कम हो जाता है।
: 💐सिस्टाइटिस (Cysitis)
 

🌻परिचय:-

जब मू़त्राशय में संक्रमण हो जाता है तो वह सिस्टाइटिस का रोग कहलाता है। सिस्टाइटिस रोग ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है लेकिन कभी-कभी ये रोग बच्चों में भी पाया जाता है।स्नेहा समूह

🌹कारण-

          मलाशय के अन्दर या उसके आसपास रहने वाले बैक्टीरिया जब पेशाब की नली के द्वार पर पहुंच जाते हैं तो ये वहां जाकर सक्रिय हो जाते हैं और सिस्टाइटिस रोग का कारण बनते हैं। इस रोग के होने का एक कारण यह भी है कि जब स्त्रियां अपने यौन अंगों को अच्छी तरह साफ नहीं करती तो बैक्टीरिया संभोग के दौरान भी यह मूत्रद्वार में पहुंच सकते हैं।

🏵️लक्षण-

          सिस्टाइटिस रोग के शुरुआती लक्षणों में रोगी को बार-बार पेशाब करने का मन होता है और जब वह पेशाब करता है तो उसे काफी जलन महसूस होती है, पेशाब से काफी बदबू आती है और पेशाब के साथ खून भी आ जाता है। इस रोग में रोगी के पेट के नीचे या पीठ में दर्द होने लगता है तथा उसे तेज बुखार की शिकायत भी हो जाती है। रोगी का शरीर थका-थका सा रहता है तथा उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता।

🌼चिकित्सा-

          अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे सिस्टाइटिस रोग है या उसमें वो सारे लक्षण है जो एक सिस्टाइटिस रोगी में होते है तो उसे तुरन्त ही अपने पेशाब की जांच करानी चाहिए ताकि उसके रोग का पता चल सके। रोगी को जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए हों सके तो पानी में सोड़ा बाईकार्बोनेट जैसा कोई क्षारीय पदार्थ डाल लें ताकि बैक्टीरिया या अन्य वायरस जल्द खत्म हो जाए या पेशाब के साथ बाहर आ जाए। अगर आप हृदय या गुर्दे के रोगी है तो पानी में सोड़ा बाईकार्बोनेट न मिलाएं।स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप

          🌻जो लोग तंबाकू और शराब का सेवन करते हैं उन्हे तुरंत ही इनका सेवन बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा इस रोग में अम्ल वाले पदार्थ जैसे- संतरे, अंगूर, तेज मसालेदार चाय, कॉफी, कार्बोनेटिक सॉफ्ट ड्रिंक आदि।स्नेहा समूह
[: शरीर सुन्न हो जाने के 14 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. पपीता और सरसों

पपीते या शरीफे के बीजों को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर सुन्न होने वाले अंगों पर धीरे-धीरे मालिश करें|

2. सोंठ, लहसुन और पानी

सुबह के समय शौच आदि से निपट कर सोंठ तथा लहसुन की दो कलियों को चबाकर ऊपर से पानी पी लें| यह प्रयोग आठ-दस दिनों तक लगातर करने से सुन्न स्थान ठीक हो जाता है|

3. अजवायन, लहसुन और तिली तेल

तिली के तेल में एक चम्मच अजवायन तथा लहसुन की दो पूतियां कुचलकर डालें| फिर तेल को पका-छानकर शीशी में भर लें| इस तेल से सुन्न स्थान की मालिश करें|

  1. बादाम

बादाम का तेल मलने से सुन्न स्थान ठीक हो जाता है|

5. पीपल और सरसों

पीपल के पेड़ की चार कोंपलें सरसों के तेल में मिलाकर आंच पर पकाएं| फिर छानकर इस तेल को काम में लाएं|

  1. सोंठ, पीपल, लहसुन और पानी

सोंठ, पीपल तथा लहसुन – सभी बराबर की मात्रा में लेकर सिल पर पानी के साथ पीस लें| फिर इसे लेप की तरह सुन्न स्थान पर लगाएं|

  1. बादाम

बादाम घिसकर लगाने से त्वचा स्वाभाविक हो जाती है|

8. कालीमिर्च और इलायची

कालीमिर्च तथा लाल इलायची को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाएं|

  1. नारियल और जायफल

100 ग्राम नारियल के तेल में 5 ग्राम जायफल का चूर्ण मिलाकर त्वचा या अंग विशेष पर लगाएं|

10. लहसुन और पानी

एक गांठ लहसुन और एक गांठ शुंठी पीस लें| इसके बाद पानी में घोलकर लेप बना लें| इस लेप को त्वचा पर लगाएं|

  1. घी

रात को सोते समय तलवों पर देशी घी की मालिश करें| इससे पैर का सुन्नपन खत्म हो जाएगा|

  1. चोपचीनी, पीपरामूल, मक्खन और दूध

5 ग्राम चोपचीनी, 2 ग्राम पीपरामूल और 4 ग्राम मक्खन – तीनों को मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें|

13. बेल, पीपल, चित्रक और दूध

बेल की जड़, पीपल और चित्रक को बराबर की मात्रा में लेकर आधा किलो दूध में औटाएं| फिर रात को सोते समय उसे पी जाएं|

  1. सैन्धव तेल

सैन्धव तेल की मालिश से सुन्नपन में काफी लाभ होता है|

शरीर सुन्न हो जाने का कारण

शरीर के किसी अंग के सुन्न होने का प्रमुख कारण वायु का कुपित होना है| इसी से वह अंग भाव शून्य हो जाता है| लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि खून के संचरण में रुकावट पैदा होने से सुन्नता आती है| यदि शरीर के किसी विशेष भाग को पूरी मात्रा में शुद्ध वायु नहीं मिलती तो भी शरीर का वह भाग सुन्न पड़ जाता है|

शरीर सुन्न हो जाने की पहचान

जो अंग सुन्न हो जाता है, उसमें हल्की झनझनाहट होती है| उसके बाद लगता है कि वह अंग सुन्न हो गया है| सुई चुभने की तरह उस अंग में धीरे-धीरे लपकन-सी पड़ती है, लेकिन दर्द नहीं मालूम पड़ता|

हाथ-पैर सुन्‍न पड़ जाएं तो अपनाएं ये घरेलू उपचार

अगर हाथ पैरों में जन्‍नाहट होती है तो अपने आहार में ढेर सारे विटामिन बी, बी6 और बी12 को शामिल करें। इनके कमी से हाथ, पैरों, बाजुओं और उंगलियों में सुन्‍नता पैदा हो जाती है। आपको अपने आहार में अंडे, अवाकाडो, मीट, केला, बींस, ओटमील, दूध, चीज़, दही, मेवे, बीज और फल शामिल करने चाहिये। आप चाहें तो
vitamin B-complex supplement भी दिन में दो बार खा सकते हैं।हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां, मेवे, बीज, ओटमील, पीनट बटर, सोया बीन, अवाकाडो, केला, डार्क चॉकलेट और लो फैट दही आदि खानी चाहिये। आप रोजाना मैग्‍नीशियम 350 एम जी की सप्‍पलीमेंट भी ले सकती हैं। पर इस बारे में डॉक्‍टर से जरुर बात कर लें।हाथ और पैरों के खराब ब्‍लड सर्कुलेशन से ऐसा होता है। इसलिये उस प्रभावित हिस्‍से को ऊपर की ओर उठाइये जिससे वह नार्मल हो सके। इससे सुन्‍न वाला हिस्‍सा ठीक हो जाएगा। आप अपने प्रभावित हिस्‍से को तकिये पर ऊंचा कर के भी लेट सकते हैं।सबसे पहले प्रभावित जगह पर गरम पानी की बोतल का सेंक रखें। इससे वहां की ब्‍लड सप्‍पलाई बढ़ जाएगी। इससे मासपेशियां और नसें रिलैक्‍स होंगी। एक साफ कपड़े को गरम पानी में 5 मिनट के लिये भिगोएं और फिर उससे प्रभावित जगह को सेंके। आप चाहें तो गरम पानी से स्‍नान भी कर सकती हैं।व्‍यायाम करने से शरीर में ब्‍लड र्स्‍कुलेशन होता है और वहां पर ऑक्‍सीजन की मात्रा बढ़ती है। रोजाना हाथ और पैरों का 15 मिनट व्‍यायाम करना चाहिये। इसके अलावा हफ्ते में 5 दिन के लिये 30 मिनट एरोबिक्‍स करें, जिससे आप हमेशा स्‍वस्‍थ बने रहें।

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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