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🌹खाना हजम नहीं होता तो –

🌹कोई आदमी बीमार है और खा–पी नहीं सकता, digestion power zero हो गया तो कमरा बंद करके गो-चन्दन अगरबत्ती, हवन धुप करो और उसमे जौ, तिल, हवन सामग्री डालों | उसी का धुवाँ कम कपडे पहन के…. रोमकूप से भी धुवाँ लेगा और प्राणायम से भी मिलेगा | उसको खुराक का ताकत मिल जायेगा |


[🌹आधी रात को नींद खुल जाती है तो –🌹

🌹कभी नींद १२ से २ के बीच खुल जाती है तो पित्त की प्रधानता है | उस समय मिश्री मिश्रित ठंडा पानी…. न हो थोडा गुनगुना पानी पी ले… पित्त का शमन होगा ….नींद अच्छी आयेगी |
लेकिन २ से ६ बजे तक अनिद्रा और दुःख होता तो वायु है | तो मिश्री और जीरा ….कूट के रख दे ,सेक के | जीरा और मिश्री मिलाके पीना चाहिये | लेकिन ठंडा पिने से जठराग्नि मंद होगी | रात को पानी नहीं पीना चाहिये, थोडा गुनगुना पानी पी ले |


[ 🌹स्वास्थ्य व दीर्घायु हेतु सरल उपाय🌹

🌹सूर्योदय के समय जठराग्नि तथा पाचक ग्रंथियों सक्रिय होती हैं और सूर्यास्त के समय मंद पड जाती हैं | सूर्यास्त के पूर्व भोजन करने से श्वास व ह्रदय संबंधी रोग, वायुविकार, अजीर्ण तथा अनिद्रा आदि रोग नहीं होते | रात्रि के समय भोजन करने से अनेक रोग हो जाते हैं | यदि प्राणी पहले ही रोगी है और रात का भोजन देर से करता है तो रोग की उग्रता बढ़ जाती है | अत: रोगी-निरोगी सभीके लिए देर रात्रि का भोजन त्याज्य है |


[ 🌹गर्भवती माँ और बच्चे का विकास :-🌹

👉बच्चे का विकास नहीं होता हो तो चंद्रमा की किरणों नाभि पे पड़े तो बच्चे का विकास होता है |

👉 नारियल और मिश्री चबा के खाये तो बच्चे का विकास होगा, अष्टमी को न खाये |

👉 जितना दूध उतना पानी और एक–डेढ़ चम्मच घी डाल दे १५-२० ग्राम उबाल-उबाल के पानी । पानी सोंक ले और घी वाला दूध पिलाओ अपने-आप बच्चे का विकास होगा

👉अथवा सुवर्णप्राश की २–२ गोली और संजीवनी गोली २–२ गोली खाओं बच्चे का भी और अपना भी विकास होता है ।


[🌹वर्षा ऋतु में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ

🌹1.वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है। इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं।

🌹2.काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं।

🌹3.अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं। अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं। पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें।

🌹4.बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है।

🌹5.जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है।

🌹6.इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

🌹7.बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं।

🌹8.जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं।

🌹9.बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है। वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं। इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो। ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो।

🌹10.अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो। ऐसा 10 बार करो। दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा। फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया। कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी। 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना। अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना।
[: 🌹निरोगी काया बलबृद्धि के लिए

🌻10-15 मि.ली. आँवला रस में उतना ही पानी मिला के मिश्री, शहद अथवा शक्कर का मिश्रण करके भोजन के बीच में लेने वाला व्यक्ति कुछ ही सप्ताह में निरोगी काया व बलवृद्धि का एहसास करता है, ऐसा कइयों का अनुभव है।

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