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#गाँठ
हर तरीके से पाए गाँठ से छुटकारा पाने के आयुर्वेदिक उपाय
अक्सर हमारे शरीर के किसी भी भाग में गांठे बन जाती हैं. जिन्हें सामान्य भाषा में गठान या रसौली कहा जाता हैं. किसी भी गांठ की शुरुआत एक बेहद ही छोटे से दाने से होती हैं. लेकिन जैसे ही ये बड़ी होती जाती हैं. इन गाठों की वजह से ही गंभीर बीमारियां भी हो जाती हैं. ये गांठे टी.वी से लेकर कैंसर की बीमारी की शुरुआत के चिन्ह होती हैं. अगर किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग में कोई गाँठ हो गई हैं. जिसक कारण उस गाँठ से आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव हो रहा हो. तो हो सकता हैं कि यह कैंसर की बीमारी के शुरुआती लक्षण हो. लेकिन इससे यह भी सुनिश्चित नहीं हो जाता कि ये कैंसर के रोग को उत्पन्न करने वाली गांठ हैं. कुछ गाँठ साधारण बिमारी उत्पन्न होने के कारण भी हो जाती हैं. किन्तु हमें किसी भी प्रकार की गांठों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा उसका तुरंत ही उपचार करवाना चाहिए.कुछ स्त्रियाँ या पुरुष नासूर या ऑपरेशन कराने के डर से जल्द गाँठ का इलाज नहीं करवाते. लेकिन ऐसे व्यक्तियों के लिए यह समझना बहुत ही आवश्यक हैं कि इन छोटी सी गांठों को यदि आप लगातार नजरअंदाज करेंगें. तो इन गांठों की ही वजह से ही आपको बाद में अधिक परेशानी का सामना करना पड सकता हैं. आज हम आपको शरीर के किसी भी भाग में होने वाली गांठ को ठीक करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में बतायेंगें.

  1. कचनार की छाल और गोरखमुंडी

आप ये दो चीज पंसारी या आयुर्वेद दवा की दुकान से ले ले। वैसे यह दोनों जड़ी बूटी बेचने वाले से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ले तो अधिक लाभदायक है। कचनार (Bauhinia purpurea) का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है।

कचनार इसकी सबसे बड़ी पहचान है – सिरे पर से काटा हुआ पत्ता । इसकी शाखा की छाल ले। तने की न ले। उस शाखा (टहनी) की छाल ले जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो । बहुत पतली या मोटी टहनी की छाल न ले।

गोरखमुंडी का पौधा आसानी से नहीं मिलता इसलिए इसे जड़ी बूटी बेचने वाले से खरीदे ।

कैसे प्रयोग करे

कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सुखी छाल 15 ग्राम ) को मोटा मोटा कूट ले। 1 गिलास पानी मे उबाले। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमे 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई ) डाले। इसे 1 मिनट तक उबलने दे। छान ले। हल्का गरम रह जाए तब पी ले। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है। गांठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, काँख की गांठ हो गले के बाहर की गांठ हो , गर्भाशय की गांठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनो मे गांठ हो या टॉन्सिल हो, गले मे थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो (Goiter) या LIPOMA (फैट की गांठ ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार ले। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा निराश होकर बीच मे न छोड़े।

गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है. आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी मक़सद के लिये दी जाती है जबकि ऐलोपैथी में ओप्रेशन के सिवाय कोई और चारा नहीं है।

  1. आकडे का दूध (Figures Milk)

आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।

  1. निर्गुण्डी (Nirgundi)

गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।

गण्डमाला की गाँठें (Goitre)

गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है। मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।

क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है। तथा कफवर्धक पदार्थ न खायें।

काँखफोड़ा (बगल मे होने वाला फोड़ा)

कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से काँखफोड़े में लाभ होता है।

[अगर यूरिक एसिड बढ़ा हो तो राम-बाण उपचार


छोटी हरड का पावडर – 100 ग्राम
बड़ी हरड का पावडर – 100 ग्राम
आवंला का पावडर – 100 ग्राम
जीरा का पावडर -100 ग्राम
गिलोय का पावडर – 200 ग्राम

इन सभी को आपस में मिला लीजिये। प्रतिदिन 5 ग्राम सुबह और 5 ग्राम शाम को पानी से निगल लीजिये। यूरिक एसिड नार्मल होते देर नहीं लगेगी।

लेकिन सावधान आपको लाल मिर्च का पावडर और किसी भी अन्य खटाई, अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना है।

[ कैसी भी खांसी हो , पुराना बुखार हो ,जो शरीर मे आंतरिक हो (टाइफाइड व वायरल हो)*

उन्नाव 8 नग
मुनक्का (बिना बीज ) 8 नग
कालीमिर्च 5 नग
लोंग 5 नग
तुलसी पत्र 5 नग
छोटी इलायची 5 नग
ख़ूबकला 10 gm
मुलेठी 10 gm

बनाने की बिधि- मुलेठी को दरदरा कूट ले व शेष सभी दवाओं को 500 gm पानी मे धीमी धीमी आग पर उबाले यानी क्वाथ करे 200 gm शेष रहने पर छान कर रख ले बस दवा तैयार है।

सेवन बिधि – 4-4 ढक्कन दवा प्रत्येक 4 घण्टे पर दिन में 4 से 5 बार दे एक बार की बनी हुई दवा 3 से 4 दिन चलेगी । 9 से 10 दिन में पुरानी से पुरानी खांसी , ठीक होगी तथा पुराने से पुराना बुखार भी ठीक होता है।

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