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इस मॉनसून में इम्युनिटी बढ़ाने वाली 3 चीजें जरूर खाइए
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यह साल का वह समय है, जब हम उदासी से भरे दिनों का सामना करते हैं लेकिन साथ ही नम मिट्टी की खुशबू का आनंद भी लेते हैं। मॉनसून का मौसम चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है। गर्म पकौड़े और अदरक की चाय बारिश का मजा और बढ़ा देते हैं।
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इस मौसम की अपनी खूबसूरती है, लेकिन यह कई तरह की मौसमी बीमारियां भी लाता है। हालांकि जरूरी नहीं है कि सभी बीमारियां जलजनित ही हों। मैक्स हेल्थकेयर, दिल्ली में डायटेटिक्स की रीजनल हेड ऋतिका समद्दर के अनुसार मॉनसून के दौरान हमारी इम्युनिटी थोड़ी कमजोर हो जाती है और हम सर्दी, वायरल इंफेक्शन, फ्लू और पाचन सम्बंधी समस्याओं के अधिक शिकार होने लग जाते हैं। इसलिए, इस मौसम में हमारा इम्यून सिस्टम अच्छा रहना चाहिये, जो कुछ तरह के खाद्य पदार्थ लेने से संभव हो सकता है।
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बेहद इम्युनिटी के लिए अपनी डाइट में इन तीन फूड्स को शामिल कीजिए –
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1.बादामः बादाम में 15 पोषक तत्व होते हैं, जैसे मैग्नीशियम, प्रोटीन, रिबोफ्लेविन, जिंक, आदि। इसके अलावा, बादाम में विटामिन ‘ई’ प्रचुर मात्रा में होता है, जो पल्मोनरी इम्यून फंक्शन को सहयोग देने के लिये एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। विटामिन ‘ई’ वायरस और बैक्टीरिया द्वारा होने वाले इंफेक्शंस से भी सुरक्षा देता है। बादाम एक सुविधाजनक स्नैक है, जिसे कहीं भी, कभी भी खाया जा सकता है। इसे कई अलग तरीकों से डाइट में शामिल किया जा सकता है। बादाम का अपना स्वाद होता है और कोई भी भारतीय मसाला इसका स्वाद बढ़ा देता है। आप हेल्दी और स्वादिष्ट स्नैक्स बनाने के लिये अपने पसंदीदा फ्लेवर्स के साथ बादाम को मिला भी सकते हैं!
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2.दहीः दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स या ‘‘अच्छे बैक्टीरिया’’ आपके इम्यून फंक्शन को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं। वे आंतों के स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद करते हैं, जिससे रोगों से लड़ने के लिए आपका इम्यून सिस्टम गति प्राप्त करता है। दही में विटामिन ‘डी’ भी होता है, जो सर्दी और फ्लू होने से रोकता है। हेल्दी डाइट के लिये आप फ्रूट स्मूथीज बना सकते हैं या दही की कटोरी में फलों या सूखे मेवों को काटकर डाल सकते हैं!
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- हल्दीः यह सबसे शक्तिशाली भारतीय मसालों में से एक है और इसमें कैल्शियम, फाइबर, आयरन, जिंक, आदि समेत 300 से अधिक पोषक तत्व होते हैं। हल्दी में प्रदाहरोधक (एंटी-इनफ्लैमेटरी) गुण भी होते हैं, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसमें एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो शरीर के इम्यून फंक्शन को मजबूत करते हैं। हल्दी का काली मिर्च के साथ दूध या घी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है!
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हम सभी को मॉनसून बहुत पसंद है और हममें से कोई भी इस सुखद मौसम में बीमार या खुद को मजबूर नहीं रखना चाहता है। यह समय सावधानी रखते हुए अपने शरीर को रोगों से सुरक्षित रखने का है।
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उदर विकार मुक्ति का प्राकृतिक उपाय
जैसे – जैसे कोई व्यक्ति तनाव, अवसाद और अनिद्रा जैसे मनोरोगों से घिरता जाता है वैसे – वैसे उसका पाचन तंत्र बिगड़ता जाता है। पेट साफ होना कम होने लगता है, क्रोनिक कांस्टिपेशन हो जाता है।
किसी को उदर विकार न हो और उस उसे तनाव,अवसाद अथवा अनिद्रा सहित अन्य किसी भी प्रकार के रोग शारीरिक रोग जैसे माइग्रेन, थायराइड, शुगर आदि हो जाए यह लगभग नब्बे प्रतिशत संभव नहीं है। अपवाद छोड़ कर।…
आप यह समझ लीजिए कि व्यक्ति का आधा तनाव और चिंता, मानसिक बेचैनी, थकान और आलस्य तो सुबह ठीक से “पेट साफ” होने पर ही ठीक हो जाए लेकिन यह लोगों के संज्ञान में नहीं है, जिसके कारण कष्ट में जीते हैं ।
यदि ठीक से उदर साफ हो जाए तो आप पाएंगे कि जैसे मस्तिष्क से कोई बहुत भारी बोझ उतर गया है।
बुद्धि सक्रिय हो जाएगी, मन प्रसन्न हो जायेगा।
चलिए आपके लिए “उदर साफ” करने वाले दो सबसे सरल प्रयोग बताते हैं।
पहला:- अच्छा पका मीठा पपीता डेढ़ से दो किलो. सुबह नित्यक्रिया से निवृत्त हो खाली पेट आराम से जितना खा सकते हैं खा लें। पपीता खाने के बाद दो घंटे तक कुछ भी नहीं खाना है। दोपहर और रात का भोजन आप समय से करें एवं दिनभर खूब पानी पिएं।
पपीते का यह प्रयोग केवल तीन दिन करना है, इससे अधिक नहीं।
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दूसरा :- इस समय बेल गिरी पर्याप्त मिल रहे हैं, पके हुए बेल गिरी का शर्बत सुबह से दोपहर तक दिन में तीन से चार गिलास सेवन करें। बाकी भोजन के समय हल्का भोजन करें।
यह प्रयोग आप लगातार एक सप्ताह करें , इसे इसके बाद भी कर सकते हैं।
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उपरोक्त दो प्रयोगों से आप अपने उदर को साफ करें एवं आप पाएंगे कि आपको बार – बार होने वाली एलर्जी कम हो गई।
शरीर का बढ़ा हुआ पित्त शांत होने लगा और भूख लगने लगी।
मस्तिष्क शांत हो गया, बेचैनी , थकान, आलस्य दूर हो गया।
दुनिया साथ प्रतिशत से अधिक लोग तो क्रोनिक कब्ज के कारण तनाव, अवसाद और अनिद्रा सहित अन्य मानसिक रोगों के शिकार होते हैं।
यहां तक कि पेट साफ होने का वास्तविक अनुभव क्या होता है वह भी बहुतों को पता नहीं है।
आप लोग स्वस्थ रहें और आनंदित रहें बस यही यहां लिखने का उद्देश्य हैं।