🌹 बीज मंत्रो से उपचार :🌹
🌹 खं– हार्ट-टैक कभी नही होता है | हाई बी.पी., लो बी.पी. कभी नही होता | ५० माला जप करें, तो लीवर ठीक हो जाता है | १०० माला जप करें तो शनि देवता के ग्रह का प्रभाव चला जाता है |
🌹 कां– पेट सम्बन्धी कोई भी विकार और विशेष रूप से आंतों की सूजन में लाभकारी।
🌹 गुं– मलाशय और मूत्र सम्बन्धी रोगों में उपयोगी।
🌹 शं– वाणी दोष, स्वप्न दोष, महिलाओं में गर्भाशय सम्बन्धी विकार औेर हर्निया आदि रोगों में उपयोगी ।
🌹 घं – काम वासना को नियंत्रित करने वाला और मारण-मोहन-उच्चाटन आदि के दुष्प्रभाव के कारण जनित रोग-विकार को शांत करने में सहायक।
🌹 ढं– मानसिक शांति देने में सहायक। अप्राकृतिक विपदाओं जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।
🌹 पं– फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।
🌹 बं– शूगर, वमन, कफ, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक।
🌹 यं– बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।
🌹 रं – उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।
🌹 लं– महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर करने में उपयोगी।
🌹मं– महिलाओं में स्तन सम्बन्धी विकारों में सहायक।
🌹धं – तनाव से मुक्ति के लिए मानसिक संत्रास दूर करने में उपयोगी ।
🌹ऐं– वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलेस्ट्राॅल, मूर्छा आदि असाध्य रोगों में सहायक।
🌹द्वां– कान के समस्त रोगों में सहायक।
🌹ह्रीं– कफ विकार जनित रोगों में सहायक।
🌹ऐं– पित्त जनित रोगों में उपयोगी।
🌹वं– वात जनित रोगों में उपयोगी।
🌹शुं– आंतों के विकार तथा पेट संबंधी अनेक रोगों में सहायक ।
🌹हुं– यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉयटिक सिद्ध होता है। गाल ब्लैडर, अपच, लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।
🌹अं – पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक इस बीज का सतत जप करने से शरीर में शक्ति का संचार उत्पन्न होता है।
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