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इलायची के औषधीय उपयोग

छायादार नमीयुक्त, भूमि में इलायची के पेड़ होता है। पेड़ की आयु लगभग 10-12 वर्ष होती है। इलायची दो प्रकार की होती है। एक छोटी इलायची और दूसरी बड़ी। घरेलू उपयोग में आने के कारण यह घर-घर उपलब्ध रहती है।
आयुर्वेदिक मतानुसार गुण-दोष-
वायुदोष से सिरदर्द में छोटी इलाचयी के बीच शीत, तीक्ष्ण, पाचन शक्तिवर्धक और सुगंधित होते हैं। इलायची मुख शुद्धिकारक, रुचिकारक, पथरीनाशक, हृदय रोग नाशक, मूत्र रोग नाशक, खांसी, सुजाक, वात, श्वास और क्षय रोग, खुजली तथा बवासीर नाशक मानी गई है। भारतवर्ष में प्राचीनकाल से इलायची पकवानों को सुगंधित स्वादिष्ट बनाने के लिए उपयोग में लाई जाती रही है। मूत्र निस्सारक गुण भी होता है। पेशाब की जलन दूर करती है। अब हम दोनों प्रकार की इलाचयी के रोग हितकारी उपचारो के बारे मे जानकारी देते हैं-
बड़ी इलायची के घरेलू प्रयोग-
सभी प्रकार के ज्वरों में बड़ी इलायची चूर्ण 3 ग्राम के साथ 3 ग्राम बेल वृक्ष की जड़ का चूर्ण तथा पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण की 2-2 ग्राम मात्रा लेकर 200 ग्राम दूध में 100 ग्राम पानी मिलाकर पकाएं, जब मात्र दूध शेष रहे, तब ठंडा होने पर छानकर पिला दें।
गर्भवती को भूख की कमी में-
बड़ी इलायची चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री के साथ पीसकर मिला लें। यह 2 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार खाने से जठराग्नि तेज होती है। भूख खुलकर लगती है।
हिचकी में-
बड़ी इलायची को थोड़ा भूनकर पीस लें तथा 1 ग्राम चूर्ण गरम पानी के साथ तीन-चार बार सेवन कराने से हिचकी दूर हो जाती है।
शीतऋतु की खांसी में- बड़ी इलायची, काली मिर्च, पिपली (बड़ी), बादाम-मिंगी, मुनक्का (बीज निकालकर) सबको 15-15 ग्राम लें। बादाम को पानी में भिगोकर छिलका हटा दें। सबको कूटकर खूब घोंटें। थोड़ा पानी मिलाकर जितनी घुटाई कर सकते हैं करें। जंगली बेर के बराबर गोली बना लें। रात्रि के समय 1 गोलीमुंह में रखकर चूसें।
छोटी इलायची के घरेलू प्रयोग-
सुजाक में-
छोटी इलायची 7 नंग लेकर उसके दाने पीसकर तथा धनियां 5 ग्राम पीसकर, चंदन पाउडर 5 ग्राम लेकर सबको आधा लीटर पानी में खूब घोट-पीसकर छान लें। मिश्री मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाएं। यह रामबाण प्रयोग है।
प्यास की अधिकता में-
प्यास की तीव्रता में चार लीटर पानी में 25 ग्राम इलाचयी के छिलके ओटाकर जब पानी आधा शेष रह जाए तो ठंडा करके पीने के लिए उपयोग में लाएं। यह रामबाण प्रयोग है। यह हैजा में भी उपयोगी है।
सिरदर्द में-
इलायची के बीजों को महीन पीसकर सूंघने से छींकें आती हैं, जिससे सिरदर्द दूर होता है।
केले के अजीर्ण में-
अधिक मात्रा में केला खाने पर अजीर्ण से बचने के लिए केला के पाचन के लिए केला खाने के बाद इलायची खाना चाहिए।
आंखों की कमजोरी में-
इलायची के बीज 50 ग्राम तथा बंशलोचन 50 ग्राम, 50 ग्राम बादाम तथा पिस्ता 50 ग्राम लेकर (बादाम और पिस्ता को पानी में भिगोकर छिलका हटा दें।) सभी को कूट-पीस लें और 2 किलो दूध में पकाएं। जब दूध गाढ़ा हो जाए तब 250 ग्राम मिश्री मिलाकर पकाएं। हलुवा-सा बन जाए तब ठंडा कर सुरक्षित रखें। इसे 20 ग्राम नित्य सेवन करें। इससे आखों की कमजोरी दूर होती है।
उल्टी में-
इलायची दाने का चूर्ण 1 ग्राम लेकर अनार के शरबत के साथ पिलाने से उल्टी बंद होती है।
धातु पुष्टि के लिए-
इलायची के बीच 2 ग्राम, जावित्री 1 ग्राम, बादाम 5 नग इन्हें पानी में पीसकर गाय के मक्खन में मिश्री मिलाकर सेवन करें, यह एक खुराक है। दिन में दो बार लेें।
स्वप्नदोष में- इलायची के बीजों को पीसकर ईसबगोल की भूसी बराबर मात्रा में मिलाकर आंवला के रस में घोंटकर दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें। 40 दिनों तथा 1-1 गोली गाय के दूध के साथ सेवन करें।
कफजन्य खांसी में-
कफजन्य खांसी होने पर इलायची के बीजों को पीसकर आधा ग्राम लेकर बराबर मात्रा में सोंठ चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चटाने से कफदोष से निवृत्ति मिलती है। खांसी में लाभ होता है।
यकृतशोथ एवं पीलिया में-
इलायची चूर्ण 2 ग्राम, भूआमलकी चूर्ण (भुई आंवला) 2 ग्राम और मिश्री 4 ग्राम लेकर गोदुग्ध के साथ नित्य प्रात: सेवन कराने से लाभ होता है।
शीत पित्ती में-
इस रोग में त्वचा पर लाल चकत्ते उभरते हैं। इलायची चूर्ण 60 ग्राम, सोना गेरू 50 ग्राम और जवाखार 60 ग्राम, सबको एक साथ मिलाकर रखें। इसकी 3-3 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ सेवन कराने से लाभ होता है। अधिक गरम भोजन न करें। अचार, गरम मसाला, बेसन एवं तले खाद्यों से बचें। सादा सुपाच्य भोजन करें।
जमालगोटा की विषाक्तता में-
जमालगोटा के विषाक्तता दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए 200 ग्राम दही के साथ 2 ग्राम इलायची बीज के चूर्ण को तीन बार प्रतिदिन सेवन कराएं। तीन-चार दिनों में जमालगोटा के विषय का दुष्प्रभाव दूर हो जाता है।

        

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