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लहसुन
लहसुन का प्रयोग भारत में बहुत पहले से चला आ रहा है। यह दाल व सब्जी में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग औषधि को बनाने में किया जाता है। लहसुन में बीज नहीं होता है तथा इसकी कलियों को ही बोया जाता है। लहसुन के पौधे 30 से 45 सेमी तक होते हैं। इसकी जड़ में ही लहसुन की कली लगती है। जिसमें कई सारी कली होती हैं। इसके पत्ते प्याज की तरह चपटे, सीधे, लंबे और नोकदार होते हैं। प्राचीन काल से ही इसे अमृत के समान माना गया है
         लहसुन की दो किस्में होती हैं। लाल और सफेद। दोनों ही के गुण लगभग एक होते हैं। इसके अलावा एक कली वाला भी लहसुन होता है। जिसे एकपुती लहसुन कहते हैं। एक पुती वाले लहसुन को अंग्रेजी में शैलोट कहते हैं। इस लहसुन में भी सारे गुण होते हैं तथा इस लहसुन का उपयोग भी दाल, साग और चटनी में किया जाता है। लहसुन का तेल लकवे और वात रोगों में उपयोगी होता है।
लहसुन में पाए जाने वाले तत्त्व:प्रोटीन6.3 प्रतिशतवसा0.1 प्रतिशतकार्बोहाइड्रेट29.0 प्रतिशतपानी62.8 प्रतिशतविटामिन-सी13 मिग्रा./100 ग्रामलौह1.3 मिग्रा./100 ग्रामफास्फोरस0.31 प्रतिशतकैल्शियम0.03 प्रतिशत

विभिन्न रोगों में लहसुन का उपयोग:
1. बाल उड़ना: लहसुन का रस बालों में लगायें और सूखने दें। इस तरह 3 बार रोज लहसुन का रस लगातार 60 दिनों तक लगायें। इससे सिर में बाल उग जाते हैं।
2. सिर की जूं: लहसुन को पीसकर नींबू के रस में मिलायें। रात को सोने से पहले सिर पर लगायें और सुबह धो लें यह क्रिया 5 दिन तक करें। ध्यान रहे कि यह आंखों पर न लगे। इससे सिर की जुंए मर जाती हैं।
3. दांत दर्द:दांतों में कीडे़ लगने या दर्द होने पर लहसुन के रस को लगाने से दर्द दूर होता है। लहसुन की कली दांत के नीचे रखकर उसका रस चूसने से दर्द जल्दी दूर होता है।
लहसुन को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर आग पर गर्म करें। लहसुन जल जाने पर तेल को ठंडा करके छान लें। इस तेल में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर रोजाना मंजन करें। इससे दांतों के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
लहसुन को आग पर सेंककर दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे दांतों को दर्द ठीक हो जाता है
4. कफ: लहसुन को खाने से श्वास नलियों में इकट्ठा कफ आराम से बाहर निकल जाता है। यह टी.बी. के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है।
5. दिल का दौरा: 4-5 लहसुन की कलियों को दौरे के समय ही चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा नहीं रहता है। इसके बाद लहसुन को दूध में उबालकर देते रहना चाहिए। दिल के रोग में लहसुन देने से पेट की वायु निकल जाती है। इससे दिल का दबाव हल्का हो जाता है और दिल को ताकत मिलती है।
6. वृद्धावस्था की झुर्रियां: जो व्यक्ति रोज लहसुन चबाता है। इसके चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं।
7. प्लूरिसी: अगर फेफडे़ के पर्दे में पानी भर गया हो, बुखार हो, सांस रुक-रुक कर आती है और छाती में दर्द हो तो लहसुन पीसकर, गेहूं के आटे में मिलाकर गर्म-गर्म पट्टी बांधने से लाभ होता है।
8. क्षय (टी.बी):लहसुन खाने वालों को क्षय रोग नहीं होता है। लहसुन के प्रयोग से क्षय के कीटाणु मर जाते हैं।
लहसुन का रस 3.5 से 7 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से उपवृक्क (गुर्दे) की टी.बी. या किसी भी प्रकार की टी.बी में लाभ मिलता है।
250 मिलीलीटर दूध में लहसुन की 10 कली उबालकर खाएं तथा ऊपर से उसी दूध को पीयें। यह प्रयोग लंबे समय तक करते रहने से टी.बी ठीक होती है।
लहसुन की 1-2 कली सुबह-शाम खाकर ऊपर से ताजा पानी पीना चाहिए। लहसुन यक्ष्मा (टी.बी.) को दूर करने में बहुत सहायक होता है।
9. फेफड़ों की टी.बी.: लहसुन के प्रयोग से कफ गिरना कम होता है। यह रात को निकलने वाले पसीने को रोकता है, भूख बढ़ाता है और नींद अच्छी लाता है। फेफड़ों में क्षय (टी.बी) होने पर लहसुन के रस में रूई तर करके सूंघना चाहिए ताकि श्वास के साथ मिलाकर इनकी गन्ध फेफड़ों तक पहुंच जाए। इसे बहुत देर तक सूंघते रहने से लाभ होता है। खाना खाने के बाद भी लहसुन का सेवन करना चाहिए। यक्ष्मा, ग्रिन्थक्षय और हड्डी के क्षय में लहसुन खाना बहुत ही फायदेमंद है।
10. आंतों की टी.बी.: लहसुन के रस की 5 बूंदे 12 ग्राम पानी के साथ लेते रहने आंतों की टी.बी. दूर होती है।
11. प्लीहा बढ़ना: लहसुन, पीपरामूल और हरड़ के बारीक चूर्ण को गाय के मूत्र के साथ पी लें। इससे प्लीहा का बढ़ना रुक जाता है।
12. जी मिचलाना: बस में या यात्रा करते समय जी मिचले तो लहसुन की कली को चबाना चाहिए। इससें मिचली दूर होगी।
13. निमोनिया: 1 चम्मच लहसुन का रस गर्म पानी में मिलाकर पीने से निमोनिया के रोगी के सीने का दर्द दूर होता है।
14. स्तनों का ढीलापन: नियमित 4 कली लहसुन की खाते रहने से स्तन उभरकर तन जाते हैं।
15. रक्तविकार के कारण उत्पन्न खुजली: लहसुन को तेल में उबालकर मालिश करने से खुजली में लाभ मिलता है। लहसुन को खाने से खून भी साफ होता है।
16. मक्खियां भगाना: आग पर 5 कली लहसुन और चने की दाल के बराबर हींग डाल देने से मक्खियां भाग जाती हैं।
17. पेट का कैंसर:लहसुन को रोज खाने से पेट का कैंसर नहीं होता है। अगर कैंसर हो भी जाये तो लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर कुछ हफ्ते तक पीयें इससे कैंसर ठीक होता है। खाना खाने के बाद 3 कली लहसुन लेने से पेट साफ रहता है और पेट की पेशियों में संकोचन पैदा होता है, जिससें आंतों को काम कम करना पड़ता है। लहसुन खाने से लीवर भी उत्तेजित होता है जिससे आक्सीजन और पेट की कोशिकाओं को बल मिलता है।
लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर कुछ सप्ताह तक पीने से पेट के कैंसर में लाभ होता है।
18. आंतों के कीड़े:लहसुन के रस में शहद मिलाकर खाने से आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
लहसुन को बायविडंग के चूर्ण के साथ खाने से आंतों के कीडें मरकर मल के बाहर निकल जाते हैं।
19. अरुचि: लहसुन, हरा धनियां, अदरक, मुनक्का, चीनी और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से अरुचि दूर होती है और खाना भी जल्दी पचता है।
20. हैजा
अपने आस-पास छिले हुए लहसुन रखने से हैजा के कीटाणु दूर  हो जाते हैं।
लहसुन, बिना बीज की लाल मिर्च, कच्ची हींग और कपूर इन चारों को बराबर की मात्रा में मिलाकर थोड़े से पानी में पीसकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बना लें हर आधे घंटे के बाद 1 गोली खाने से हैजा के रोग में फायदा होता है।          

21. दर्द:
लहसुन की चटनी को घी में मिलाकर खाने से दर्द दूर हो जाता है।
80 ग्राम लहसुन, 5 ग्राम एरण्ड का तेल, सेंधानमक थोड़ा सा और 1 ग्राम घी में सेंकी हुई हींग को मिलाकर बारीक पीस लें। इसे रोजाना 10 ग्राम खाने से दर्द मिट जाता है।

लहसुन की 2 गांठ पीसकर 100 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर गर्म करके मालिश करने से दर्द दूर होता है।

22. बुखार:

तेज बुखार होने पर लहसुन को कूटकर थोड़े से पानी में मिलाकर पोटली बनाकर रोगी को सुंघायें। यह प्रयोग करने से तेज बुखार भी दूर हो जाता है। लहसुन का रस दिन में 3 बार थोडे़ पानी में डालकर एक सप्ताह तक पीने से बुखार उतर जाता है।

लहसुन को खाने से बार-बार आने वाला बुखार उतर जाता है।

23. मलेरिया का बुखार:

अगर मलेरिया का बुखार एक निश्चित समय पर आता हो तो लहसुन का रस हाथ-पैरों के नाखूनों पर बुखार के आने से पहले लेप करें और 1 चम्मच लहसुन का रस 1 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर जब तक बुखार न आए 1-1 घंटे के अंतराल में जीभ पर लगाकर चूसें। इस तरह यह प्रयोग 3 से 4 दिन तक करने से मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।

लहसुन की 3 से 4 फलियां छीलकर घी में मिलाकर खिलाने से मलेरिया की ठंड उतर जाती है।

24. हाई ब्लडप्रैशर:लहसुन के रस की 6 बूंदे 4 चम्मच पानी में मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से हाई ब्लडप्रैशर (उच्चरक्त चाप) के रोग में लाभ मिलता है।

लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, कालीमिर्च और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से ब्लडप्रैशर (उच्चरक्तचाप) दूर होता है।

लहसुन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से ब्लडप्रैशर (उच्च रक्तचाप) में बहुत लाभ होता है।

25. बांझपन: सुबह के समय 5 कली लहसुन की चबाकर ऊपर से दूध पीयें। यह प्रयोग पूरी सर्दी के मौसम में रोजाना करने से स्त्रियों का बांझपन दूर हो जाता है।

26. वातरोग:लहसुन के तेल से रोजाना मालिश करें। लहसुन की बड़ी गांठ को साफ करके 2-2 टुकड़े करके 250 मिलीलीटर दूध में उबाल लें और इस बनी खीर को 6 हफ्ते तक रोजाना खाये। इससे गठिया रोग दूर हो जाता है। वातरोग में खटाई, मिठाई का परहेज करना चाहिए। लहसुन को दूध में पीसकर भी उपयोग में ले सकते हैं।

लगभग 40 ग्राम लहसुन लेकर उसका छिलका निकाल लें। फिर लहुसन को पीसकर उसमें 1 ग्राम हींग, जीरा, सेंधानमक, कालानमक, सोंठ, कालीमिर्च और पीपर का चूर्ण डालकर उसके चने की तरह की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खाने से और उसके ऊपर से एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से लकवा, सर्वांगवायु, उरूस्तम्भ (जांघों की सुन्नता), पेट के कीड़े, कमर के दर्द और सारे वायु रोग ठीक हो जाते हैं।

लहसुन का सूखा चूर्ण 400 ग्राम, सेंधानमक, काला नमक, सोंठ, कालीमिर्च, लेडी पीपल और हीरा हींग 6 ग्राम लें, घी में हींग को भूनकर अलग रख लें बाकी सभी चीजों को कूटकर पीस लें और उसमें भूनी हुई हींग भी मिला दें इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से वात रोग में आराम मिलता है।

बूढ़े व्यक्ति अगर सुबह के समय 3-4 कलियां लहसुन खाते रहें तो उन्हें वात रोग नहीं होता है

27. आमवात: लहसुन की कलियों को शुद्ध घी में तलकर रोजाना खाने से आमवात रोग दूर होता है।

28. घाव:शरीर में कहीं भी कटकर घाव हो जाये तो लहसुन को दबाकर उसका रस निकालकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है।

दुर्गन्धित एवं दूषित क्षत या घाव हो तो रोजाना लहसुन का रस 3 भाग और पानी 4 भाग को एक साथ मिलाकर धोयें। इससे जल्द लाभ होता है। दर्द कम होता है। घाव भी जल्दी ठीक होता है। यह कार्बोनिक एसिड से अच्छा प्रतिदूषक है।

29. घाव में कीड़े:फोड़े के अन्दर के कीड़ों को मारने के लिए लहसुन को पीसकर लेप करने से रोगी के फोड़े के अन्दर के कीटाणु मर जाते हैं।

10 कली लहसुन की, चौथाई चम्मच नमक को एकसाथ पीसकर देशी घी में सेंककर घाव में लगाने से घाव के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

30. जहरीले कीडे़ के काटने पर: अगर शरीर के किसी स्थान पर किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया हो तो उस स्थान पर लहसुन का रस मलने से कीड़े का जहर उतर जायेगा।

31. सांप से बचने के लिए: जो लोग घर में लहसुन रखते हैं वहां सांप नहीं आता है अगर सांप आ भी जाये तो उस स्थान पर लहसुन छीलकर फेक दें। इससे सांप तुरन्त भाग जायेगा।

32. गर्मी से निकलने वाले लाल दाने: लहसुन की कलियों को पीसकर उसका रस निकाल लें। यह रस 3 दिन तक शरीर पर मलने से शरीर पर गर्मी से निकलने वाले लाल दाने मिट जाते हैं।

33. अन्दरूनी चोट: लहसुन, हल्दी और गुड़ मिलाकर लेप करने से अन्दरूनी चोट में आराम मिलता है।

34. मिर्गी:लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से, लहसुन और उड़द के बडे़ बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से या लहसुन खाने से (अपस्मार) मिर्गी रोग दूर मिट जाता है।

मिर्गी के कारण बेहोश व्यक्ति को लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है।

लहसुन की 10 कली को दूध में उबालकर रोजाना खिलाने से मिर्गी ठीक हो जाती है। इसका सेवन लंबे समय तक करना चाहिए।

लहसुन को तेल में सेंककर रोजाना खाने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।

एक भाग लहसुन और तीन भाग तिल को पीसकर 30 ग्राम की मात्रा में खाते रहने से “वायु द्वारा पैदा होने वाले मिर्गी का दौरा जो 12 दिन में आता है´´, वह ठीक हो जाता है

लहसुन को घी में भूनकर खाने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।

मिर्गी के बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है। लहसुन की 10 कली दूध में उबालकर रोज खाने से मिर्गी रोग दूर होता है। लहसुन को तेल में सेंककर नियमित खाना भी फायदेमंद होता है।

10 ग्राम लहसुन और 30 ग्राम काले तिल को मिलाकर लगातार तीन सप्ताहं तक सेवन करने से मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।

लहसुन और बायबिडंग को गर्म किये गये दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को पिलाने से मिर्गी या अपस्मार रोग दूर हो जाता है।

भोजन से पहले लहसुन को पीसकर खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है।      

35. लकवा: पहले दिन लहसुन की 1 कली निगल जाये। अगले दिन बढ़ा दें रोज 1-1 बढ़ा दें 40 वें दिन 40 कली निगल जाये और फिर रोज 1-1 कम करते जायें इससे लकवा रोग मिटता है

36. स्वप्नदोष: रात को सोने से पहले हाथ, पैर, मुंह को धोकर पोछ लें फिर लहसुन की 1 कली मुंह में चबा-चबाकर खाने से स्वप्न दोष के रोग में लाभ मिलता है।

37. पेशाब में रुकावट: नाभि के नीचे लहसुन का लेप बनाकर पट्टी बांध लें। इससे पेशाब की जलन दूर होती है और पेशाब खुलकर आता है।

38. श्वास रोग (दमा):लहसुन के रस को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से अस्थमा के रोगी का श्वास का रुकना खत्म हो जाता है।

लगभग 2 बूंद लहसुन का रस और 10 बूंदे कुठार का रस को शहद के साथ दिन में चार बार देने से दमा और श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।

सोमलता, कूट, बहेड़ा, मुलहठी, अर्जुन की छाल सभी को बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें भुने लहसुन को पीसकर मिला दें। इस तैयार मिश्रण को एक चम्मच की मात्रा में लेकर शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से दमा और श्वास की बीमारी में काफी लाभ मिलता है।

लगभग 15-20 बूंद लहसुन के रस को लेकर हल्के गर्म पानी के साथ सुबह, दोपहर और शाम को खाने से दमा और श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।

लहसुन को कुचलकर उसका रस निकालकर गुनगुना करके पिलाना श्वास रोग में लाभकारी होता है।

लहुसन, तुलसी की पत्तियां और गुड़ को लेकर चटनी बनाकर खाने से दमा ठीक होता है।

लहसुन के एक जवे को भूनकर सेंधानमक के साथ चबाकर खाएं।

10 बूंद लहसुन का रस, एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

लहसुन की 20 कलियां व 20 ग्राम गुड़ को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर लहसुन की कलियां खा लें और पानी को गुनगुना ही दिन में एक बार पीयें। इससे श्वास व दमा रोग में आराम मिलता है। आराम न होने तक इसका सेवन करते रहना चाहिए।

लहसुन के तेल से छाती व पीठ की मालिश करें। इससे दमा का रोग दूर होता है।

39. आंखों का फड़कना: लहसुन को सरसों के तेल में पका लें, फिर इस तेल को पलकों पर मालिश करें या वायविडंग और लहसुन के रस को एक साथ पकाकर सेवन करने से पलकों का फड़कना ठीक हो जाता है।

40. पुनरावर्तक ज्वर: 2 से 3 ग्राम लहसुन के रस को घी के साथ खाली पेट सुबह सेवन करने से बुखार में आराम मिलता है।

41. फेफड़ों का ताकतवर होना: पोथिया लहसुन की एक गांठ पीसकर 250 मिलीलीटर पानी मिले दूध में उबालें, फिर इसमें खांड मिलाकर सेवन करें। इससे फेफड़ों की कमजोरी दूर हो जाती है।

42. फेफड़ों के रोग: लहसुन के प्रयोग से कफ गिरना कम हो जाता है, इसके लिए खाना खाने के बाद लहसुन का सेवन करना चाहिए।

43. बालों के रोग: सिर के बाल उड़ने पर लहसुन को खाने से बाल फिर से उग आते हैं।

44. काली खांसी (कुकर खांसी):बच्चों की कुकर खांसी में लहसुन की माला पहनाते हैं जिससे इसकी गंध खांसने के साथ-साथ अन्दर चली जाती है और इसी का रस आधा चम्मच शहद के साथ भी पिलाते हैं। इससे काली खांसी दूर हो जाती है।

लहसुन का रस दस बूंद से आधा या एक चम्मच की मात्रा में (उम्र के अनुसार) शहद मिलाकर प्रतिदिन दो-तीन बार सेवन करने से खूब लाभ मिलता है।

लहसुन के रस को जैतून के तेल में मिलाकर बच्चों की छाती और पीठ पर मालिश करने से खांसी मिट जाती है।

45. खांसी:कफवाली खांसी में लहसुन की कली चबाकर उसके ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ, तीन-चार दिनों में ही निकल जाएगा।

60 मिलीलीटर सरसों के तेल में लहसुन की 1 गांठ को साफ करके पकाकर रख लें। इस तेल से गले और सीने की मालिश करें तथा मुनक्का के साथ दिन में तीन बार लहसुन खाएं, ध्यान रहें इस बीच खटाई न खायें। इससे खांसी दूर हो जाती है।

20 बूंद लहसुन का रस अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से हर तरह की खांसी में लाभ होता है।

श्वास और खांसी के रोग में लहसुन को त्रिफला के चूर्ण के साथ खाने से बहुत फायदा होता है

सूखी और कफवाली खांसी में लहसुन की कली को आग में भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस एक चुटकी चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। यह खांसी की अचूक औषधि है।

5 ग्राम लहसुन का रस तथा शहद 20 ग्राम को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार एक-एक उंगली चटाने से लाभ होता है।

लहसुन की कलियों को आग में भूनकर चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण की मात्रा एक चुटकी शहद के साथ दिन में तीन-चार बार चटाना चाहिए।

एक कली लहसुन की और तीन-चार मुनक्के लेकर इसके बीज निकाल लेते हैं फिर दोनों की चटनी बनाकर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।

46. पायरिया: लहसुन का रस निकालकर 20 बूंद रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें। इसके रोजाना प्रयोग से पायरिया, मसूढ़ों की सूजन, दर्द एवं बदबू बंद हो जाती है।

47. गैस्ट्रिक अल्सर: खाना खाने के बाद चार कच्चे लहसुन की कली को खाने से आमाशयिक व्रण (जख्म) में लाभ होता है।

48. कब्ज:साग-सब्जियों में लहसुन को मिलाकर खाने से कब्ज नहीं रहती है।

एक पुतिया लहसुन की कली और सोंठ 250 ग्राम अलग-अलग पीसकर आधा किलो शहद में मिलाकर रख लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में यह मिश्रण खाने से वायु की पीड़ा मिटती है।

49. अतिझुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना): 4 फांके लहुसन में घी मिलाकर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

50. मुंह के छाले:लहसुन की 2 कलियों का रस निकालकर 1 गिलास पानी में मिलाकर कुल्ला करें। रोजाना 4 से 5 दिन तक प्रयोग करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।

लहसुन की कली को पानी के साथ पीसकर उसमें थोड़ा-सा देशी घी मिलाकर मलहम तैयार करें। इस मलहम को छालों पर लगाने से छाले खत्म होते हैं।

51. पेट की गैस:एक कली लहसुन की लेने से पेट में गैस नहीं बनती है। पेट में अम्ल बनता है, तो लहसुन का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।

1 से 2 लहसुन की फांके (कली) को छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का के साथ भोजन करने के बाद, चबाकर खाने से ही कुछ समय के बाद ही पेट में रुकी हुई हवा बाहर निकल जाती है।

लहसुन का पिसा हुआ मिश्रण 240 मिलीग्राम से 360 मिलीग्राम को घी के साथ सेवन करने से पेट में बनी गैस बाहर निकल जाती है।

पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाएं। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।

52. योनि व गर्भाशय के रोग: लहसुन की 3-4 कली छीलकर भुनी हुई हींग 120 मिलीग्राम के साथ सुबह कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बच्चा होने के बाद गर्भाशय का जहरीला तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है।

53. जुकाम:जुकाम में छीकें ज्यादा आने पर लहसुन खाने से फायदा होता है।

लहसुन को खाने से जुकाम में बार-बार छींके आना बंद हो जाती हैं।

लहसुन और तुलसी का रस 5 मिलीलीटर लेकर उसमें सौंठ का चूर्ण 2 ग्राम और कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर आधा लीटर गाय के दूध के साथ रोज सुबह-शाम पीयें। इससे थोडे़ ही दिनों में जुकाम में लाभ होता है।

54. दस्त के साथ ऑव आना:1 कली लहसुन को अफीम के साथ सेवन करने से आंव का आना बंद हो जाता है।

आधे चम्मच देशी घी में 5 कली लहसुन को मिलाकर पीने से आंव बंद जाता है।

55. नपुंसकता:लहसुन की एक पुत्तिया घी में भूनकर शहद के साथ खाने से कामोत्तेजना होती है।

रोज लगभग 20 दिन तक 4-5 लहसुन की कलियां दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

60 ग्राम लहसुन की कली को घी में तलकर रोजाना खाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

56. चेहरे का सौन्दर्य: लहसुन की कली को छीलकर सरसों के तेल में तलकर खाने से त्वचा की झुर्रियां मिटती हैं।

57. कान में आवाज होना: लहसुन की 2 कलियां छिलका हटाई हुई, आक (मदार) का 1 पीला पत्ता और 10 ग्राम अजवायन को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें और लगभग 60 मिलीलीटर सरसों के तेल में पकाने के लिए रख दें। पकने के बाद जब सब जल जाये तो इसे आग पर से उतारकर बचे हुए तेल को छानकर शीशी में भर लें। इस तेल की 2-3 बूंदों को रोजाना 3-4 बार कान में डालने से कान का दर्द, कान में आवाज होना और बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।

58. कान का बहना:10 ग्राम सिन्दूर और 1 कली लहसुन की लेकर लगभग 60 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पकने पर लहसुन जल जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें और एक शीशी में भर दें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, खुजली होना, कान में दर्द होना जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।

4 कली लहसुन की 1 चम्मच सरसों के तेल में उबालकर कान में टपकाने से कान का दर्द, जख्म और मवाद बहना ठीक हो जाता है।

59. कान की सूजन और गांठ: लहसुन की जड़ को पानी के साथ पीसकर गर्म करके कान में लगाने से कान के पीछे की सूजन ठीक हो जाती है।

60. कान के रोग:लहसुन की 1 कली और 10 ग्राम सिन्दूर को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने पर जब लहसुन जल जाये तो तेल को आग पर से उतारकर छान लें और शीशी में भर लें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान में से मवाद बहना, कान में खुजली होना और कान में अजीब-अजीब आवाजे सुनाई देना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।

लहसुन के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

61. बहरापन:लहसुन की 8 कलियों को 60 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर उसकी 2 बूंद कान में टपकाते रहने से कुछ ही दिनों में बहरापन ठीक हो जाता है।

1 चम्मच बरना का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक के रस को लेकर हल्का सा गर्म करके कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

लहसुन की 8 कलियों को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर इस तेल की 2 बूंद कान में डालने से थोड़े ही दिनों में बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।

लहसुन के रस को हल्का सा गर्म करके या लहसुन से बने तेल की 2 बूंद रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरापन दूर होता है।

60. कान के रोग:लहसुन की 1 कली और 10 ग्राम सिन्दूर को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने पर जब लहसुन जल जाये तो तेल को आग पर से उतारकर छान लें और शीशी में भर लें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान में से मवाद बहना, कान में खुजली होना और कान में अजीब-अजीब आवाजे सुनाई देना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।

लहसुन के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

61. बहरापन:लहसुन की 8 कलियों को 60 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर उसकी 2 बूंद कान में टपकाते रहने से कुछ ही दिनों में बहरापन ठीक हो जाता है।

1 चम्मच बरना का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक के रस को लेकर हल्का सा गर्म करके कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

लहसुन की 8 कलियों को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर इस तेल की 2 बूंद कान में डालने से थोड़े ही दिनों में बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।

लहसुन के रस को हल्का सा गर्म करके या लहसुन से बने तेल की 2 बूंद रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरापन दूर होता है।

*62. कान का दर्द:लहसुन की 2 कलियां, नीम के 10 नये मुलायम पत्ते और 4 निंबोली को एक साथ पीसकर सरसों के तेल में डालकर अच्छी तरह से पका लें। पकने केबाद इस तेल को छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को कान में डालने से कान का जख्म, कान से मवाद बहना, कान में फुंसी होना।

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