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🌺🐝मधु (शहद)🐝🧉
👉वैधकीय सलाह अनुपात जरूरी है वर्ना विष युक्त साबित हो शकता हैं।

जय गुरूदेव🌺
प्रिय भाई बहनों आज मैं आपको शहद के गुण विशेषता, शुद्ध शहद की पहचान प्रयोग करने की सही विधी बताऊंगा,
शहद
शहद एक प्राकृतिक मधुर पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में एकत्र करने के फलस्वरूप बनता है। शहद का स्वाद बेहद मीठा होता है। दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है जो उत्तम एवं संतुलित भोजन की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो संतुलित आहार में होने चाहिए।
यह वात और कफ को नियंत्रित करता है तथा रक्त व पित्त को सामान्य रखता है। शहद नेत्र ज्योति को बढ़ाता है, प्यास को शांत करता, कफ को घोलकर बाहर निकालता और शरीर में विषाक्तता को कम करता है। इतना ही नहीं यह मूत्रमार्ग में उत्पन्न व्याधियों तथा निमोनिया, खाँसी, डायरिया, दमा आदि में बहुत उपयोगी होता है।
🧉शहद में लगभग 75 प्रश शर्करा होती है जिसमें से फ्रक्टोस, ग्लूकोज, सुल्फोज, माल्टोज, लेक्टोज आदि प्रमुख हैं। इसमें अन्य पदार्थों के रूप में प्रोटीन, वसा, एन्जाइम भी पाया जाता है। यही नहीं शहद में विटामिन ए, बी-1, बी-2, बी-3, बी-5, बी-6, बी-12 तथा अल्पमात्रा में विटामिन सी, विटामिन एच और विटामिन ‘के’ भी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें लोहा, फास्फोरस, कैल्शियम और आयोडीन भी पाए जाते हैं।*
🔆🧉🐝शहद शुद्धता की पहचान
काँच के एक साफ ग्लास में पानी भरकर उसमें शहद की एक बूँद टपकाएँ। अगर शहद नीचे तली में बैठ जाए तो यह शुद्ध है और यदि तली में पहुँचने के पहले ही घुल जाए तो शहद अशुद्ध है।
शुद्ध शहद में मक्खी गिरकर फँसती नहीं बल्कि फड़फड़ाकर उड़ जाती है।
शुद्ध शहद आँखों में लगाने पर थोड़ी जलन होगी, परंतु चिपचिपाहट नहीं होगी।
🐶शुद्ध शहद कुत्ता सूँघकर छोड़ देगा, जबकि अशुद्ध को चाटने लगता है।
शुद्ध शहद का दाग कपड़ों पर नहीं लगता।
शुद्ध शहद दिखने में पारदर्शी होता है।
🍽️शीशे की प्लेट पर शहद टपकाने पर यदि उसकी आकृति साँप की कुंडली जैसी बन जाए तो शहद शुद्ध है।
शहद के लाभकारी प्रयोग
शहद
*शहद का नियमित और उचित मात्रा में उपयोग करने से शरीर स्वस्थ, सुंदर, बलवान, स्फूर्तिवान बनता है और दीर्घजीवन प्रदान करता है। शहद को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। *शहद का पीएच मान 3 से 4.8 के बीच होने से जीवाणुरोधी गुण स्वतः ही पाया जाता है।* प्रातःकाल शौच से पूर्व शहद-नींबू पानी का सेवन करने से कब्ज दूर होता है, रक्त शुद्ध होता है और मोटापा कम होता है।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों द्वारा शहद का सेवन करने से पैदा होने वाली संतान स्वस्थ एवं मानसिक दृष्टि से अन्य शिशुओं से श्रेष्ठ होती है। त्वचा पर निखार लाने के लिए गुलाब जल, नींबू और शहद मिलाकर लगाना चाहिए। गाजर के रस में शहद मिलाकर लेने से नेत्र-ज्योति में सुधार होता है। उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद लेने से रक्तचाप सामान्य होता है।
त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है।
👉👉नोट : गर्म करके अथवा गुड़, घी, शकर, मिश्री, तेल, मांस-मछली आदि के साथ शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।

👉सावधानी : छोटी आंत होती है प्रभावित
🧉शहद की अधिकता आपकी छोटी आंत को प्रभावित करती है। जब आपकी छोटी आंत प्रभावित होती है तो इससे शरीर को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में काफी दिक्कत आती है। अंततः इससे कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं।

📚चरक संहिता, अध्याय २७, सूत्र संख्या २३६-२४८ बहुत स्पष्ट लिखा है कि शहद को गर्म करके अथवा गर्म अवस्था (गर्म वस्तु के साथ) देने से मारक (प्राण घातक ) है।
दूसरा, शहद के अधिक खाने से उत्पन्न आम रोग जैसा कष्ट साध्य दूसरा कोई रोग नहीं है।

अतः शहद का सेवन बहुत ही विवेक पूर्वक करना चाहिए। औषधि रूप में ही कीजिये, आहार रूप में तो बिल्कुल नहीं।

👉🧉शहद दो तोले से ज्यादा कभी न ले २३ ग्राम उसका अजिर्न कभी नही मिटता ऐसा हमारे गुरुदेव का कथन है।

🌺🐝🧉🐝🌺

🐝मधु प्रकृति द्वारा मनुष्य को उत्तम भेंट है जो पंचामृत में से एक अमृत है। मधु आयुर्वेद में अधिकांश भाग की दवाइयों के लिए श्रेष्ठ अनुपान है। प्राकृतिक रूप से मधु में विपुल राशि में शर्करा होती है। मधु तुरन्त शक्ति और गर्मी देकर मांसपेशियों को बल प्रदान करता है। रात में एक चम्मच शहद पानी के साथ लेने से नींद ठीक से आ जाती है। पेट साफ होता है। खाली पेट मधु और नींबू का शरबत भूख लगाता है।

🐝मधु जीवाणुओं का नाश करता है। टाइफाईड और क्षय के रोगियों के लिए भी मधु उत्तम है।

🐝हजारों वर्षों तक भी मधु बिगड़ता नहीं। मधु बच्चों के विकास मे बहुत उपयोगी है। यदि बालक को प्रारंभिक नौ महीने मधु दिया जाये तो उसे छाती के रोग कभी न होंगे। मधु से अँतड़ियों में उपयोगी एसिकोकलिस जीवाणुओं की वृद्धि होती है। मधु दुर्बल और सगर्भा स्त्रियों के लिए श्रेष्ठ पोषणदाता आहार है। मधु दीर्घायुदाता है। रशिया के जीवशास्त्री निकोलाइना सिलिव प्रयोगों के अंत में कहते हैं कि रशिया के 200 शत-आयुषी लोगों का धंधा मधुमक्खी के छत्ते तोड़ना है और मधु ही उनका मुख्य आहार भी है।

🐝दुर्बलता दूर करके शक्ति बढ़ाने के लिए मधु जैसी गुणकारी वस्तु विश्व में अन्य कोई नहीं है। मधु शरीर की मांसपेशियों को शक्ति देता है। अतः अविराम कार्य करने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण मांसपेशी हृदय के लिए मधु अत्यंत उपयोगी है। मधु से मंदाग्नि दूर होक भूख लगती है। वीर्य की वृद्धि होती है। आबालवृद्ध सबके लिए मधु हितावह है। बालकों को जन्मते ही दिया जा सके ऐसा एकमात्र भोजन मधु है।

🐝मधु के खनिज तत्त्व रक्तनिहित लाल कणों की वृद्धि में सहायक बनते हैं। गर्भवती और प्रसूता माता को भी बालक के हितार्थ शहद का सेवन करना चाहिए। रोगी और कमजोर को मधु शक्ति देता है। शारीरिक परिश्रम करनेवालों को यह शक्ति देता है कारण कि उसे पचाने में शक्ति लगानी नहीं पड़ती  और शक्ति का भंडार मिलता है। मधु के इन गुणों का कारण वह पंचमहाभूत का सार है। अंतिम रस है। मधु उत्तम स्वास्थ्यवर्धक है और साथ-साथ शरीर के रंग को निखारने का, त्वचा को कोमल बनाने का और सुन्दरता बढ़ाने का काम भी करता है। चेहरे और शरीर पर यदि शहद की मालिश की जाये तो सौन्दर्य अक्षय बनता है। अच्छे साबुनों में मधु का उपयोग भी होता है।

🐝मधु, नींबू, बेसन और पानी का मिश्रण चेहरे पर मलकर स्नान करने से चेहरा आकर्षक और सुन्दर बनता है। मधु के सेवन से कंठ मधुर, सुरीला और वाणी मीठी बनती है। दैवी गुणों की वृद्धि होती है। मानव विवेकपूर्ण और चारित्र्यवान बनता है।

🐝मधु शरीर-मन-हृदय का दौर्बल्य, दम, अजीर्ण, कब्ज, कफ, खाँसी, वीर्यदोष,अनिद्रा, थकान, वायुविकार तथा अन्य असंख्य रोगों में रामबाण दवाई है।

🐝मधु हरेक खाद्य पदार्थ के साथ ले सकते हैं। धारोष्ण दूध (एकदम ताजा निकाला हुआ) और फलों के रस में मधु ले सकते हैं। मधु ठंडे पानी में लेना हितावह है। मधु गरम नहीं करना चाहिए। मछली, मधु और दूध साथ में खाने से कफेद कोढ़ होता है। कमलबीज, मूली, मांस के साथ मधु लेना वर्जित है। मधु और बारिस का पानी सममात्रा में नहीं पीना चाहिए। तदुपरांत घी,तेल जैसी चर्बीयुक्त पदार्थों के साथ मधु समान मात्रा में लेना विष के समान होता है। बोतलों में पैक लैबोरेटरी में पास कराया हुआ कृत्रिम मधु जो दुकानों पर बिकता है वह उतना फायदा नहीं करता जितना असली मधु से होता है।

       

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