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🌷🌷ॐ ह्लीं पीताम्बरायै नमः🌷🌷
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🌷ऊँ की ध्वनि का महत्व जानिये🌷
एक घडी,आधी घडी,आधी में पुनि आध,,,,,,,
तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध,,,,,,।।
1 घड़ी= 24मिनट
1/2घडी़=12मिनट
1/4घडी़=6 मिनट

🌷क्या ऐसा हो सकता है कि 6 मि. में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं।

   उत्तर है *हाँ हो सकते हैं*

वैज्ञानिक शोध करके पता चला है कि……

🌷सिर्फ 6 मिनट ऊँ का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं जो दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं होते………

🌷👉 छः मिनट ऊँ का उच्चारण करने से मस्तिष्क मै विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है…. और औक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है।

  🌷कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं.. स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है,,,, मैमोरी पावर बढती है..।

🌷👉लगातार सुबह शाम 6 मिनट ॐ के तीन माह तक उच्चारण से रक्त संचार संतुलित होता है और रक्त में औक्सीजन लेबल बढता है।
🌷रक्त चाप , हृदय रोग, कोलस्ट्रोल जैसे रोग ठीक हो जाते हैं….।
🌷👉विशेष ऊर्जा का संचार होता है ……… मात्र 2 सप्ताह दोनों समय ॐ के उच्चारण से
🌷घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी जैसे रोग दूर होते हैं।

🌷👉कंठ में विशेष कंपन होता है मांसपेशियों को शक्ति मिलती है..।
🌷थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है और स्वर दोष दूर होने लगते हैं..।
🌷👉पेट में भी विशेष वाइब्रेशन और दबाव होता है….। एक माह तक दिन में तीन बार 6 मिनट तक ॐ के उच्चारण से
🌷पाचन तन्त्र , लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है, और डाइजेशन सही होता है, सैकडौं उदर रोग दूर होते हैं..।

🌷👉उच्च स्तर का प्राणायाम होता है, और फेफड़ों में विशेष कंपन होता है..।

   🌷फेफड़े मजबूत होते हैं, स्वसनतंत्र की शक्ति बढती है, 6 माह में  अस्थमा, राजयक्ष्मा (T.B.) जैसे रोगों में लाभ होता है।

🌷👉आयु बढती है।
ये सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं।
🌷जरूरत है छः मिनट रोज करने की….।

🙏�नोट:- ॐ का उच्चारण लम्बे स्वर में करें ।।

🙏🏻आप सदा स्वस्थ और प्रसन्न रहे यही मंगल कामना🙏🏻
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🌷🌷जय मां पीताम्बरा🌷🌷
: ध्यान योग क्रिया में ओमकार साधना का बड़ा महत्व है।

अकार मूलं ऊकार रुपं मकार शब्दम् प्रणवं सोहम।

शरीर निरोग होता है
रक्त संचार सुचारू होता है
और सही से चले तो निर्विकार को भी अग्रसर होता है जीव।

ॐ प्रणव का उच्चारण नाभि से होता है या कहिए महसूस होता है, बस वही शुद्ध उच्चारण है।

कोई भी मन्त्र जो बिना ॐ से शुरू होता है जपने भजने लायक नही है, ऐसा कहा गया है।

ॐ का उच्चारण सवेरे खाली पेट किया जाना चाहिए।

तभी कहा गया है के भजन पुजन सवेरे खाली पेट ही किया जाय।

बिहार झारखंड में तो नियम ही है शिवलिंग स्पर्श खाली पेट, कुछ खा लेने के बाद लिंग स्पर्श नही करते।

11 साल वैद्यनाथ को कावड़ चढ़ाई व एक वर्ष प्रति माह दर्शन किये तो देखा के पुजारी जो शाम को पूजा करता है वो भी सवेरे से भूखा रहता है, आरती समय कुछ लोकल लोग भी नियम से आते थे जो सवेरे से भूखे रहते थे बस उन्हें ही स्पर्श करने मिलता था।

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