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🔶आरोग्य🔶 टमाटर सेवन से स्वास्थ्य लाभ

गुण-धर्मः टमाटर खट्टा मीठा, रूचिवर्धक, अग्निदीपक व शक्तिवर्धक है। इसके सेवन से शरीर की स्थूलता, उदररोग, अतिसार आदि रोगों का नाश होता है। इसमें लौहतत्त्व दूध की अपेक्षा दोगुना व अण्डे की अपेक्षा पाँच गुना अधिक है। सब्जियों व फलों की अपेक्षा इसमें लौहतत्त्व डेढ़ गुना अधिक होता है।

50 से 200 ग्राम टमाटर के नियमित सेवन से शरीर में बलवृद्धि होती है। रक्त शुद्ध होता है। सप्तधातुओं के लिए टमाटर अत्यंत उपादेय है, साथ ही यह पाचनतंत्र को सुचारू बनाये रखता है।

भोजन के पूर्व टमाटर का सेवन करने से भूख खुलकर लगती है व भोजन शीघ्र पचता है।

रक्ताल्पता के रोगियों को इसका सेवन अवश्य करना चाहिए। यकृत, पित्त, बदहजमी से पीड़ित रोगियों के लिए भी यह लाभकारी है। मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर का सेवन हितकारी है। नेत्रविकार, रतौंधी, मसूढ़े कमजोर हो गये हों, मुँह में बार-बार छाले पड़ना आदि चर्म रोगों में इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।

टमाटर में ताँबा अधिक होता है। फलस्वरूप वह रक्त में लाल कणों की वृद्धि करता है। वैज्ञानिक मतानुसार टमाटर खाद्य पदार्थों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण और उपयोगी है। शरीर संवर्धन के लिए सभी उपयोगी तत्त्व टमाटर में प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं। गर्भवती स्त्रियों के लिए व प्रसूति के बाद शारीरिक व मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए इसका रस लाभदायक है।

मधुमेहः मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर अत्यंत हितकारी है। इस रोग में प्रातः व सायं 150 -200 ग्राम टमाटर के रस का सेवन करें। परिणामतः मूत्र में शर्करा की मात्रा धीरे-धीरे कम होकर मधुमेह दूर हो जायेगा।

रक्तदोषः रक्तविकार के कारण त्वचा पर लाल लाल चकते निकलना, मसूढ़ों में सूजन व खून का आना, इसमें 20-20 ग्राम टमाटर का रस दिन में तीन से चार बार पियें।

उल्टीः 100 ग्राम टमाटर का रस व 25 ग्राम शक्कर, लौंग, काली मिर्च व इलायची का थोड़ा सा चूर्ण – इन सबको मिलाकर पीने से उल्टियाँ बंद हो जाती है।

वायुविकारः टमाटर उत्तम वायुनाशक है। इसके रस में पुदीना व अदरक का रस मिलाकर चुटकी भर सैंधव नमक डालकर पीने से वायुविकार नष्ट होते हैं।

🔹विशेषः पथरी के रोगी को टमाटर नहीं खाना चाहिए।

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