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🏕️🏖️🏜️त्रिदोष अनुसार आयुर्वेदिक भोजन 🏝️🏜️

🎋🎋आयुर्वेद के अनुसार आहार व्यक्ति के जीवन और सवास्थ्य की गुणवत्ता को निर्धारित करने वाला एक प्रमुख अंग है. इसका असर ना केवल शरीर की सुदृढ़ता को निर्मित करता है, अपितु व्यक्ति के मन पर भी आहार का ही प्रभाव पड़ता है. आहार ऐसा होना चाहिए जिससे दोषों का शमन हो. एक व्यक्ति के लिए जो भोजन अमृत है, अन्य के लिए वह विष समान हो सकता है. उचित आहार हमें चिरायु प्रदान करता है.
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🌍वातज  प्रकृति (Vaat Prakriti- Diet Hindi)

🌍वात रुक्ष, ठंडा, खुरदुरा, सूक्ष्म, गतिशील, पारदर्शी और सूखाने वाला द्रव्य है.

🌍वात का शमन करने वाले भोजन: जिन व्यक्तियों की प्रकृति वातज है उन्हें वात का शमन करने के लिए पौष्टिक और ऊतक (tissues) का निर्माण करने वाले भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. वात- शमन के लिए स्निग्ध, भारी, कोमल नमी-युक्त और तेलीय पदार्थों का सेवन अत्यंत हितकर है.
🌍इस तरह के भोजन के सेवन से शरीर में ऊतक के निर्माण में सहायता मिलती है. प्रायः ये स्वाद में मीठे, खट्टे या लवणीय हो सकते हैं.
🌍अन्न के बने पदार्थ घी के साथ लेना, गर्म और पौष्टिक सब्जियों से बना सूप, पूरे अन्न या चोकरयुक्त गेहूँ से बनी चपाती वात दोष प्रधान व्यक्तियों के लिए हितकर है.
🌍शतावर, चुकंदर, गाजर, खीरा, हरी फलियाँ, मूली, भिंडी, कचालू, शलगम, प्याज़, लहसुन.
🌍फल: केले, संतरे, तरबूज़, खरबूज़ा, खजूर, नारियल, आड़ू, आम और साधारण तौर पर सब ही फल.
🌍वात बढ़ाने वाले भोजन: वात-दोष की प्रधानता वाले व्यक्तियों को कच्चे सलाद, चिल्ड डेजर्ट, मैदा, चीनी इत्यादि नहीं खाने चाहिए. इन्हें लंबी और हरी पत्ती की चाय पीना भी हितकर नही. धूम्रपान, शराब पीना, जंक फुड (junk food)- ये सब लेना वात प्रकृति वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.
🌍गोभी, पत्तागोभी, बेंगन, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सेलरी (celery), मटर, मशरूम, शिमला मिर्च, आलू, टमाटर, तोरई, अंकुरित अन्न का सेवन वात प्रकृति के व्यक्ति को नहीं करना चाहिए.
🌍अगर इस प्रकार की सब्जियाँ खानी ही पड़ें तो इन्हें कोल्ड-प्रेसस्ड तिल तेल या गाय के दूध से बने देसी घी में पकाकर ही खाएँ.
🌍रहिला (pears), सेब और अनार खाने से भी वात बढ़ता है.
🌍वात प्रकृति वाले व्यक्ति हर प्रकार का मसाला थोड़ी मात्रा में ले सकते हैं परंतु जब वात अत्यधिक प्रकोप में हो तो मेथी, धनिया, लाल मिर्ची का प्रयोग सावधानी पूर्वक ही करें.

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🎇पित्तज  प्रकृति (Pitta Prakriti- Diet Hindi)

🎇पित्त गर्म, तीक्ष्ण, तेलीय और हल्के तरल पीले रंग का पदार्थ हैं.

🎇पित्त का शमन करने वाले भोजन: अत्यधिक पित्त को शांत करने के लिए ठंडे, भारी भोज्य पदार्थों का सेवन करना निहित है.
🎇पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को दूध, चावल, बीन्स, हल्के उबले हुई सब्जियाँ, ताज़े मौसमी फलों का सेवन करना हितकारी है. हल्के मसले जैसे ज़ीरा, हरा धनिया, पुदीना लेने से पित्त को शांत किया जा सकता है. 
🎇मध्यम प्रकृति के कार्य करना, ठंडक में रहना, घृत, नारियल तेल, जैतून का तेल, हरी ईलाईची, अंकुरित अन्न और कच्चे सलाद खाना पित्त प्रकृति के लिए हितकर है.
🎆पित्त को बढ़ाने वाले भोजन: लाल मिर्ची, अदरक, सोंठ, और तीखे और तेलीय पदार्थों का सेवन पित्त-दोष प्रधान व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए. 
🎆शराब, धूम्रपान, कॉफी, चाय जैसे मादक द्रव्यों का सेवन करना भी शरीर में पित्त के संतुलन को और बिगाड़ता है. 
🎆खट्टे पदार्थ जैसे अचार, सिरका, तले हुए मसालेदार भोजन, किंवित भोजन (fermented foods), बादाम, मकई, तिल का तेल, सरसों का तेल ये सब पित्त को अनियंत्रित करते हैं.
🎆चुकंदर, गाजर, बेंगन, लाल मिर्च, प्याज़, पालक, टमाटर पित्त में वृद्धि करते हैं.
🎆इसके अलावा राइ, बाजरा, और छिलका वाले चावल लेना पित्त प्रकृति के लिए उचित नही.
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🎊कफज़  प्रकृति (Kaphaj Prakriti- Diet Hindi)
🎊कफ भारी, ठंडा, तैलीय, घना, स्निग्ध, मधुर,भोथरा, ठोस, स्थाई पदार्थ है.
🎊कफ का शमन करने वाले भोजन: कफ की प्रधानता का शमन करने के लिए, वात गुण वाला भोजन थोड़ी सी मात्रा में लेना अच्छा रहता है. जो भोज्य पदार्थ कशाय, कटु और कसैले स्वाद के होते हैं जिस तरह किनोआ, चौलाई, कसैला या कटु स्वाद की हरी पत्तेदार सब्जियाँ. इसके अलावा जौ, फूला हुई मकई, फूली हुई चावल खाना भी हितकर है. 
🎊हल्का, गर्म भोजन, सूखा भोजन जिसमें पानी अधिक ना हो, कम से कम चिकनाई युक्त भोजन जिसमें माखन, तेल और चीनी की मात्रा कम हो- इसी प्रकार का भोजन लेना कफज़ प्रकृति के मनुष्य के लिए हितकारी है.
🎊वैसे तो सभी प्रकार की सब्जियाँ कफ प्रधान व्यक्ति ले सकते हैं परंतु यदि कफ बढ़ा हुआ होने की वजह से आपको फेफड़ों में संकुलन (congestion), या हृदय में संकुलन, मोटापा, मधुमेह, कोलेस्टरॉल (cholesterol) में बढ़ौतरी तो मीठे रसीले फलों का त्याग करना सर्वथा उचित है. इसमें खीरा, कद्दू, कचालू, टमाटर, घिया, तोरई आते हैं. अतः इन्हें ना खाएँ. सेब, खूबानी, अनार, रहिला, अंजीर, आड़ू, किशमिश, मुन्‍नका वातज व्यक्तियों के लिए लाभकारी है.
🎊सोया बीन के अलावा हर प्रकार की बीन्स खाना हितकर है.
🎊अदरक के सेवन से पाचन तंत्र अच्छा होता है.
🎊हरिद्रा का उपयोग बढ़ी हुई शेलशमा (कफ)को सुखाने में मदद करता है जबकि मिर्ची से श्लेष्मा का संचार बाहर की ओर होता रहता है.
🎊कफ को बढ़ाने वाले भोजन: दूध और दुग्ध पदार्थ, गेहूँ, एवोकैडो, तेल, मीठे, खट्टे, लवन-युक्त भोजन को खाने से शरीर में कफ बढ़ता है. 
🎊मीठे, ठंडे, तेलीय, स्निग्ध, मिष्ठान, डिज़र्ट (dessert), अधिक तले हुए भोजन लेने से, यही नही अगर व्यक्ति के व्यवहार में कंजूसी और चीज़ों के प्रति अति राग अथवा आलस्य  है तो इससे ये दोष बढ़ जाता है.
🎊राजमा और सोया बीन खाना, मीठे, रसीले फल, अधिक मात्रा में नमक हितकर नहीं.

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