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मस्तक रेखा
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मस्तक में विधाता ने हमारा भाग्य अंकित कर रखा है ! आपने कभी-कभी किसी व्यक्ति विशेष को परेशानी आदि की स्थिति में माथा पीते हुए यह कहते सुना होगा -“मेरा तो भाग्य ही फूट गया, मेरा तो नसीब ही फूट गया अथवा मेरी तो किस्मत ही मारी गयी है आदि !!!

  क्योंकि मस्तक से व्यक्ति विशेष के संदर्भ में बहुत सी रोचक जानकारी प्राप्त होती है, यह जानकारी विशेषकर मस्तक अथवा ललाट में स्थित रेखाओं द्वारा प्राप्त होती है ! मस्तक पर मुख्यत: सात रेखायें पायी जाती हैं ! ललाट(सिर के बालों के नीचे का स्थान) के नीचे प्रथम रेखा है -शनि रेखा तत्पश्चात क्रमश: गुरू, मंगल, बुध, शुक्र, सूर्य तथा चंद्र रेखायें पायी जाती हैं ! 

    शुक्र रेखा आज्ञा चक्र(दोनो भौहों के बीत का स्थान, जहाँ पर तिलक लगाया जाता है) पर स्थित है तथा सूर्य रेखा दाह्नी भौहों के ऊपर और चंद्र रेखा बांयी भौहों के ऊपर स्थित है ! जौनसी रेखा स्पष्ट, लम्बी तथा अखंडित(बिना टूटी-फूटी) होगी, उससे सम्बन्धित ग्रह को बलवान अथवा शुभ प्रभाव युक्त समझना चाहिए ! और जो रेखा खंडित(टूटी-फूटी), अस्पष्ट अथवा टेढ़ी-मेढ़ी हो, उससे सम्बन्धित ग्रह को कमजोर अथवा अशुभ समझना चाहिए !

       मस्तक पर स्थित मोटी अथवा गहरी रेखायें भाईयों की तथा हल्की रेखायें बहनों की प्रतीक हैं ! स्पष्ट तथा सीधी रेखा भाई-बहनो का सुख प्रदान करती हैं तथा उन्हें दीर्घजीवी(दीर्घायु) बनाती हैं ! इसके विपरीत खंडित अथवा अस्पष्ट रेखा भाई-बहनों को अल्पायु तथा उनके सुख सं वंचित रखती हैं !

     मस्तक पर स्थित सभी रेखायें लम्बी, निर्दोष तथा अखंडित हों, तो व्यक्ति सुखी, सम्पन्न, दीर्घायु,ऐश्वर्यशाली, भाई-बहनों तथा संतान सुख से युक्त तथा जीवन में उच्च सफलताादि प्राप्त करने वाला होता है ! इसके विपरीत खंडित,अस्पष्ट अथवा दुषित रेखा विपरीत फल प्रदान करती है ! मस्तक रेखाओं की भिन्-भिन्न स्थिति के कारण इनका फलादेश भी भिन्न हो जाता है -
  • सीधी, स्पष्ट तथा पूर्ण रेखा: दीर्घायु, सुखी, भाई-बहनों का सुख अथवा सहयोग प्राप्त होना, ऐश्वर्,यशाली तथा सम्पन्न !
  • छिन्न-भिन्न अथवा दुषित रेखायें: आर्थिक परेशानी, दु:ख-संकट, बाधायें, भाई-बहनो के सुख से वंचित !
  • निर्दोष(स्पष्ट, लम्बी तथा अखंडित) सूर्य रेखा: यश, सम्मान, प्रतिष्ठा प्राप्त होना, नौकरी अथवा राज्य सरकार(उच्चाधिकारी) द्वारा लाभ !
  • निर्दोष चंद्र रेखा: कला, नृत्य, संगीतादि में रूची तथा सफलता प्राप्त करना, दृढ़ मनोबल, मात्र सुख, माता दीर्घायु,आर्थिक सम्पन्नता !
  • दुषित(खंडित,अस्पष्ट अथवा छिन्न-भिन्न) सूर्य रेखा: यश, सम्मान, प्रतिष्ठा में कमी तथा पित्र सुख से वंचित !
  • दुषित चंद्र रेखा: मानसिक परेशानियाँ, मानसिक अस्थिरता, आर्थिक बाधा, जल भय, श्वान( कुत्ता) द्वारा काटना तथा मात्र सुख से वंचित, माता को कष्ट !
  • निर्दोष शुक्र रेखा: नृत्य, कला, संगीतादि में रूचि, नवीन(नये) वस्त्रादि पगनने में रूचि, फैशनादि में रूचि, सम्मोहक तथा आकर्षक व्यक्तित्व, पत्नी सुख, विवाहोपरांत भाग्योदय !
  • दुषित शुक्र रेखा: पत्नी से अनबन अथवा तलाक, उत्साह में कमी, साधारण व्यक्तित्व, विवाहा में बाधादि, बदनामी आदि !
  • रेखाओं का अभाव(एक भी रेखा न होना): 30-40 वर्षायु !
  • 5से अधिक रेखायें: अल्पायु !
  • 3रेखा: सुखी तथा 70वर्ष से अधिक आयु !
  • 2कटी हुयी रेखायें: हमेशा परेशान रहना !
  • मस्तक पर चाँद: ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है, महान संत, महात्मा तथा उपदेशक !
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