Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

टीबी का घरेलू इलाज
👇🍃👇🍃👇🍃👇
तपेदिक संक्रामक रोग होता है।तपेदिक के मूल लक्षणों में खाँसी का तीन हफ़्तों से ज़्यादा रहना, थूक का रंग बदल जाना या उसमें रक्त की आभा नजर आना, बुखार, थकान, सीने में दर्द, भूख कम लगना, साँस लेते वक्त या खाँसते वक्त दर्द का अनुभव होना आदि।

टीबी कोई आनुवांशिक रोग नहीं है। यह किसी को भी हो सकता है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति तपेदिक रोगी के पास जाता है और उसके खाँसने, छींकने से जो जीवाणु हवा में फैल जाते हैं उसको स्वस्थ व्यक्ति साँस के द्वारा ग्रहण कर लेता है। इसके अलावा जो लोग अत्यधिक मात्रा में ध्रूमपान या शराब का सेवन करते हैं, उनमें इस रोग के होने की संभावना ज़्यादा होती है। इस रोग से बचने के लिए साफ-सफाई रखना और हाइजिन का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी होता है।

टीबी का लक्षण
👇🍃👇🍃👇
👉सीने में दर्द

👉खाँसते-खाँसते बलगम में खून का आना

👉बार-बार खाँसना

👉रात में पसीना

👉बुखार

👉भूख में कमी

👉खाँसते और साँस लेते वक्त दर्द का एहसास

👉थकान और कमजोरी का एहसास

👉लिम्फ नोड्स की वृद्धि

👉गले में सूजन

👉पेट में गड़बड़ी

👉अनियमित मासिक धर्म

तो वह तुरन्त जाँच केंद्र में जाकर अपने थूक की जाँच करवायें और डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा प्रमाणित डॉट्स (DOTS- Directly Observed Treatment) के अंतगर्त अपना उपचार करवाकर पूरी तरह से ठीक होने की पहल करें। लेकिन एक बात का ध्यान रखने की ज़रूरत यह है कि टी.बी. का उपचार आधा करके नहीं छोड़ना चाहिए।

घरेलू इलाज
👇🍃👇🍃
शहद 200 ग्राम,मिश्री 200 ग्राम,गाय का घी 100 ग्राम तीनो को मिला लें। 6-6 ग्राम दवा दिन में कई बार चटाऐं।ऊपर से गाय या बकरी का दूध पिलाऐं।तपेदिक रोग मात्र एक सप्ताह में ही जड़ से समाप्त हो जाएगा।
पीपल वृक्ष की राख 10 ग्राम से 20 ग्राम तक बकरी के गर्म दूध में मिला कर प्रतिदिन दोनो समय सेवन करने से यह रोग जड़ से समाप्त हो जाऐगा।इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री या शहद मिला सकते हैं।
पत्थर का कोयले की राख(जो एकदम सफेद हो)आधा ग्राम,मक्खन मलाई अथवा दूध से प्रातः व सांय खिलाओं राम बाण है।टी.बी. के जिन मरीजों के फेफड़ों से खून आता हो उनके लिए यह औषधि अत्यंत प्रभावी है। जिन लोगों में रोग अत्यधिक बढ़ चुका है वे ये औषधियाँ सेवन करे
आक की कली प्रथम दिन एक निगल जाऐं,दूसरे दिन दो फिर बाद के दिनों में तीन तीन निगल कर 15 दिन इस्तेमाल करें।औषधि जितनी साधारण है उतने ही इसके लाभ अद्भुत हैं।
प्रथम दिन 10 ग्राम गो मूत्र पिलाऐं,तीन दिन पश्चात मात्रा 15 ग्राम कर दें छह दिन पश्चात 20 ग्राम।इसी प्रकार 3-3 दिन पश्चात 5 ग्राम मात्रा प्रतिदिन पिलाऐं निरंतर गौ मूत्र पिलाने से तपेदिक रोग जड़ से समाप्त हो जाएगा।और फिर दोबारा जिन्दगी में नही होगा।
असगंध,पीपल छोटी,दोनो समान भाग लेकर औऱ अत्यन्त महीन पीसकर चूर्ण बना लें इसमें बराबर वजन की खाँड मिलाकर औऱ घी से चिकना करके दुगना शहद मिला लें।इसमें से 3 से 6 ग्राम की मात्रा लेकर प्रातः व सांय सेवन करने से तपेदिक 7 दिन में जड़ से समाप्त हो जाता है।
आक का दूध 50 ग्राम,कलमी शोरा और नौसादर ,पपड़िया प्रत्येक 10-10 ग्राम लें।पहले शोरा और नौसादर को पीस लें,फिर दोनों को लोहे के तवे पर डालकर नीचे अग्नि जलाऐं और थोड़ा थोड़ा आक का दूध डालते रहैं।जब सारा दूध खुश्क हो जाए और दवा विल्कुल राख हो जाए चिकनाहट विल्कुल न रहे,तब पीसकर रखें।
आधा आधा ग्रेन (2 चावल के बरावर ) मात्रा में प्रातः व सांय को बतासे में रखकर खिलाऐं या ग्लूकोज मिलाकर पिलाऐं।यह योग ऐसी टी.बी. के लिऐ रामबाण है जिसमें खून कभी न आया हो।इसके सेवन से हरारत,ज्वर,खांसी,शरीर का दुबलापन,आदि टी.बी. के लक्षणों का नाश हो जाता है।
काली मिर्च,गिलोय सत्व,छोटी इलायची के दाने,असली बंशलोचन,शुद्ध भिलावा,सभी का कपड़छन किया चूर्ण लें।प्रातः ,दोपहर व सांय तीनो समय एक रत्ती की दवा मक्खन या मलाई में रखकर रोगी को खिलाने से तपेदिक विल्कुल ठीक हो जाता है।इस औषधि को तपेदिक का काल ही जानो। विटामिन सी शरीर में कुछ ऐसे तत्वों के उत्पादन को सक्रिय करता है जो टीबी को खत्म करती है।

Recommended Articles

Leave A Comment