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अपनाएं दैत्य गुरु शुक्राचार्य की ये 5 नीतियां, परेशानियां रहेंगी कोसो दूर :~ प्रिय बन्धुओं भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु थे। लेकिन देवता भी उनकी नीतियों का लोहा मानते थे। शुक्राचार्य की नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय हुआ करती थीं।

शुक्रनीति में कई बातें ऐसी हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर किसी भी परेशानी से बचा जा सकता है। हम आपको ऐसी ही कुछ चुनिंदा नीतियों के बारे में बता रहे हैं जिनको अपनाकर आप हर परेशानी से बच सकते हैं…

  1. सावधानी पूर्वक बनाएं मित्र
    नीति :~
    “यो हि मित्रमविज्ञाय यथातथ्येन मन्दधिः।
    मित्रार्थो योजयत्येनं तस्य सोर्थोवसीदति।।”
    अर्थ :- बिना सोचे-समझे किसी से भी मित्रता कर लेना कई बार हानिकारक भी हो सकता है। मित्र के गुण-अवगुण, उसकी अच्छी-बुरी आदतें हम पर समान रूप से असर डालती है।
  2. भविष्य की सोचें, लेकिन भविष्य पर टालें नहीं :~

नीति :-
“दीर्घदर्शी सदा च स्यात, चिरकारी भवेन्न हि।।”
अर्थ :- हमको यह ध्यान रखना चाहिए कि आज हम जो काम कर रहे हैं, उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा। इस हिसाब से हमें भविष्य की योजनाएँ भी बनानी चाहिए। लेकिन कभी किसी भी काम को कल पर नहीं टालना चाहिए। कभी भी अंधविश्वास नहीं करना चाहिए :~
नीति :-
3. नात्यन्तं विश्वसेत् कच्चिद् विश्वस्तमपि सर्वदा।।”
अर्थ :- शुक्राचार्य के अनुसार हमें लोगों पर एक हद में ही भरोसा करना चाहिए। जरूरत से ज्यादा भरोसा करना कई बार घातक सिद्ध हो सकता है। कई लोग ऊपर से तो हमारे हितैषी बनते हैं पर मन में हमारे प्रति ईर्ष्या रख सकते हैं।

4. बुरे काम करने वाला कितना भी प्रिय हो, उसे छोड़ देना चाहिए :~
नीति :-
“त्यजेद् दुर्जनसंगतम्।।”
अर्थ :- शुक्रनीति के अनुसार हमें बुरे काम करने वालों से दूर ही रहना चाहिए। बुरे काम करने वाला चाहे हमारा प्रियतम ही क्यों न हो, उसे छोड़ देना ही बेहतर है। अन्यथा उसकी वजह से आप भी मुसीबत में फंस सकते हैं।

5. धर्म ही मनुष्य को सम्मान दिलाता है :~
नीति :-
“धर्मनीतिपरो राजा चिरं कीर्ति स चाश्रुते।।”
अर्थ :- शुक्राचार्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का सम्मान और उसकी बातों का पालन करना चाहिए। जो मनुष्य अपने धर्म के अनुसार जीवनयापन करता है उसे कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता। धर्म ही मनुष्य को सम्मान दिलाता है।

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