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सुखी, स्वाभिमान एवं सम्मान के साथ जीवन जीने के तीन सूत्र हैं! उपयोगिता, भावना एवं कर्तव्य के साथ समय प्रबंधन भी आवश्यक है!

उपयोगिता संबंधों को प्रगाढ़ करती है, भावना परिवार को मजबूत करती है और कर्तव्य घर, परिवार, समाज में एकता एवं समन्वय स्थापित करते हैं।

उपयोगिता के बदले उपयोगिता, भावना के बदले भावना चाहिए, लेकिन कर्तव्य के बदले कुछ नहीं चाहिए, कर्तव्य तो निःस्वार्थ भावना से किए जाते हैं।

छोटी-सी भूल सदियों की सजा बन जाती है, इसलिए हमें जीवन सही और व्यवस्थित तरीके से जीना चाहिए।

जिन माँ-बाप ने हमें खून दिया उन्हें बुढ़ापे में खून के आँसू बहाने पर मजबूर करना कायरता है, जिन्होंने अपने खून से हमे बड़ा किया उनके लिए खून बहा देना मानवता है।

भगवान राम ने कर्तव्य की खातिर सौतेली माँ के वचनों को स्वीकार कर लिया, क्या आप भी इतने कर्तव्यनिष्ठ होकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं? अगर नहीं तो आपका जीवन सार्थक नहीं है।

श्रवण कुमार अपने पुत्र होने का कर्तव्य बगैर किसी तर्क के निभाता है, कर्तव्य के पालन में तर्क नहीं समर्पण की जरूरत पड़ती है।

गंगा जल पीने से ज्यादा पुण्य बूढ़े माँ-बाप के आँसू पोछने से, बहू को नौकरानी समझने की गलती मत करना वो भी किसी की बेटी है, बेटी की तरह रखो वो भी तुम्हारा माँ की तरह खयाल रखेगी।

माला जपने वाले हाथों से ज्यादा पवित्र वे हाथ होते हैं जो सेवा करते हैं, कर्तव्यों के पालन में तर्क की नहीं समर्पण की जरूरत पड़ती है, प्रेम भीख में नहीं मिलता है उसे जितना लुटाओगे उतना ही मिलेगा।

जीवन में मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, हम चाहे किसी भी परिस्थि‍ति या किसी भी समय में हों, श्रम हमेशा लाभकारी होता है. यही जीवन में सफलता का मूलमंत्र भी है।

जीवन में समय का महत्वपूर्ण स्थान होता है, बीता समय कभी लौट कर नहीं आता. अतः मनुष्य को चाहिए कि जो समय उसे मिलता है उसका सदुपयोग करे, समय ही सबसे बडा बलवान है।

‘पुरुष बली नहि होत है, समय होत बलवान’

जो व्यक्ति समय का सदुपयोग नही करता उसका जीवन नष्ट हो जाता है, मानव की उन्नति में समय का सहयोग महत्वपूर्ण होता है, अपने लक्ष्य की प्राप्ती के लिए मनुष्य को समय के महत्व को जानकर उसका सदुपयोग करना चाहिए।

समय अपनी गति से बड़ता जाता है. वह किसी के लिए रुकता नही, उसे रोकने की शक्ती भी किसी में नही है, वास्तव में समयानुसार आवश्यक तथा उचित कार्यों को संपन्न करना ही समय का सदुपयोग है।

विद्यार्थी जीवन में ही मनुष्य अपने भावी जीवन की तैयारी करता है, मानसिक तथा शारीरिक पुष्टता से अपने को सक्षम बनाता है।

जो व्यक्ति इस काल का सदुपयोग न करके अन्य कार्यों में व्यस्त होता है वह अपने गृहस्त जीवन में असफल हो जाता है, उसका भावी जीवन कठिनाइयों का शिकार हो जाता है, वह शारीरिक दृष्टि से कमजोर पड़ जाता है।

जो व्यक्ति इस काल में समय का सदुपयोग करता है, उसका भावी जीवन संकट हीन बनाता है, वह उन्नति के मार्ग पर निरंतर बड़ते जाता है, विजय उसके चरण चूमने लगती है।

समय के सदुपयोग से कई लाभ है, जीवन उन्नत मार्ग पर अग्रसर होता है, जीवन में उन्नति की कुंजी समय का सदुपयोग ही है, वे ही लोग जीवन में सफल बनते है जो समय का ठीक उपयोग करते है।

इनके जीवन में समन्वय होता है, उनका पारिवारिक जीवन सुख-शान्ति से विकसित होता है, उन्हें जीवन में शान्ति मिलती है, समाज में उनका आदर होता है।

जो व्यक्ति विद्यार्थी जीवन में पढाई-लिखाई में मन नही लगाता, यौवन में धन नहीं कमाता, वह बुढापे में कर ही क्या सकता है?

समय के सदुपयोग न करने से मन चंचल हो जाता है, ऐसा व्यक्ति कोई भी काम ठीक प्रकार नही कर सकता, उससे सफलता दूर भागेगी, ऐसा व्यक्ति बर्बर और उद्दंड होगा, उसमे उचित कार्य क्षमता की भावना का अभाव होता है।

वह न ज्ञानार्जन कर सकेगा न धनार्जन, वह केवल अशांति का शिकार बनकर रह जाएगा, उसका जीवन अभावों से भरा रहता है, वह निंदा का पात्र बनेगा और जीवन के अंतिम क्षणों में उसे पछ्ताना पडेगा।

पछताने से भी उसके हाथ कुछ नही आयेगा, मनुष्य को चाहिए कि वह अपने समय का सदुपयोग करके जीवन को मार्ग पर ले चले, वह अपने भावी जीवन को भी सुखमय बनावे।

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