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🌔कपूर के औषधीय गुण🌖

🌔कपूर को अंग्रेजी में कैंफर कहते हैं।। कपूर को पूजा सामग्री के रूप में अधिक प्रयोग करते हैं परंतु कपूर बड़ी प्रभावशाली औषधि भी है।। कपूर जलाने से वायु मंडल शुद्ध होता है।। हानि कारक बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।। जिस घर में प्रतिदिन कपूर जलाया जाता है वहाँ पर नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।। अनिद्रा,, तनाव इत्यादि मनोरोगों का निवारण करता है।।

🌖हैजा जैसे संक्रामक रोग से बचाव में भी कपूर का महत्व पूर्ण योगदान होता है।। महर्षि चरक ने भी इसकी महत्ता वर्णित की है।। कपूर मुख्य रूप से चीन और जापान से आयात किया जाता है।। औषधीय प्रयोजन में भीमसेनी कपूर का इस्तेमाल होता है।।

🌔🌖गुण – धर्म🌔🌖

🌔नेत्रों के लिए हितकारी, भूख बढ़ाने एवं पाचक रस की वृद्धि करने वाला,, त्रिदोष नाशक,, शीतल,, बलकारक, रक्तपित्त,, मूत्रकृच्छ पेट रोग , दर्द नाशक है।। स्वल्प मात्रा में श्वसन संस्थान और हृदय के लिए उत्तेजक तथा अधिक मात्रा में लेने से दाह पैदा करने वाला,, खाँसी दूर करने वाला, पसीनी द्वारा विकार बाहर निकालता है।। पित्तनाशक,, कफ का शमन करता है।। पसीना का दुर्गंध मिटाता है।। कपूर की कम मात्रा सेवन करने से कफ ढ़ीला होकर बाहर निकालता है।। उचित मात्रा में ही कपूर का सेवन करना चाहिए।। हृदय के रक्षण में तथा श्वेत रक्त कण बढ़ाने में कपूर प्रभावी होता है।। कपूर,, अजवाइन सत तथा पिपरमेंट के योग से “अमृतधारा” जैसी प्राणरक्षक औषधि तैयार होती है जो उलटी,, दस्त,, हैजा,, अपच आदि रोगों में प्रभावी होता है।।

🌖🌔 उपयोग🌖🌔

🌔संग्रहणी एवं खूनी दस्त में- कपूर,, हींग,, इंद्र जौ,, नागर मोथा आदि के योग से “कपूर हिंग्वादि वटी” बनती है।। यह औषधि चिकित्कीय परामर्श के अनुसार सेवन करना चाहिए।।

🌖खूनी बवासीर– यह एक परीक्षीत घरेलू नुस्खा है।। एक पके केले को लेकर बीच में चाकू से चीरा लगाकर उसमें आधा ग्राम शुद्ध कपूर पीसकर,, बुरककर कपूरयुक्त केला खाली पेट सेवन करने से तीन दिन में ही चमत्कारिक लाभ मिलता है।।

🌔उचित खान पान का पालन करने से खूनी बवासीर नियंत्रित रहेगा।। गरम मसाला चाय,, काफी,, पूरी,, पापड़ आदि तले खाद्य तथा अचार,, बेसन से बना पकवान का परहेज करें।। सलाद,, ताजे पके फल,, अंकुरित अनाज,, हरी सब्जी,, ताजा मट्ठा,, ताजी दही लाभप्रद होता है।। कब्ज न हो इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए।। सुबह आधा ली० पानी पीना चाहिए।। सादा,, सुपाच्य सात्विक आहार सेवन करना चाहिए।।

🌖शीतला में– कपूर और सफेद चंदन को पानी में घिस कर मस्तक और शरीर पर लेप करना चाहिए।।

🌔वयस्कों के पेट में कीड़े होने पर– एक ग्राम कपूर ५ ग्राम गुड़ के साथ सेवन करने से लाभ होता है।। बच्चों के कृमि में आधा ग्राम कपूर को ३ ग्राम गुड के साथ सेवन कराना चाहिए।।

🌖श्वास की बदबू में– दो दाने शीतलचीनी(कबाबचीनी) दो ग्राम सुहागा और आधा ग्राम कपूर पीसकर गोली बनाकर मुँह में रखकर चूसने से आँतों में होने वाली सड़न क्रिया भी दूर होती है।। श्वास की ताजगी बनी रहती है।।

🌔स्वप्नदोष एवं शुक्रमेह में– आधा ग्राम कपूर और एक ग्राम अजवाइन चूर्ण रात को सोते समय सेवन करने से लाभ होता है।।

🌖सुजाक,, मूत्रकृच्छ एवं मूत्राघात में– इन रोगों में प्रयुक्त होने वाली औषधियों के साथ मात्र आधा ग्राम कपूर के प्रयोग से अधिक लाभ होता है।।

🌔उन्माद में– प्रसूति के बाद उन्माद या अन्य कारणों से पागलपन में आधा ग्राम कपूर को सारस्वतारिष्ट के साथ नियमित सेवन करने से लाभ होता है।।

🌖पेट दर्द में– जायफल और हल्दीगांठ को पत्थर पर घिस कर,, कपूर मिलाकर,, घोंट कर लेप बनाकर पेट पर लेप करने से लाभ होता है।।

🌔दमा का दौरा पड़ने पर– आधा ग्राम कपूर,, आधा ग्राम हींग के साथ मिलाकर गोली बनाकर दमा का दौरा पड़ने पर हर ३ घंटे बाद सेवन करने से फिर दौरा नहीं पड़ता।। छाती पर तारपीन का तेल की मालिश भी करें, आवश्यक परहेज रखें।। सुपाच्य भोजन करें,, कफ कारक खाद्य – दूध, दही,, दाल,, चावल,, चीनी,, चिकनाई, केला,, आलू का सेवन न करें,, चोकर युक्त आटे की रोटी उबली हरी सब्जी तथा दलिया का सेवन करें,, गरम पानी पिएं,, चाय काफी, तले खाद्यों से परहेज रखें।।

🌖नकसीर में– कपूर को गुलाबजल में पीसकर २-३ बूंद नाक में टपकाने से लाभ होता है।।

🌔हैजा में–प्रारंभिक अवस्था में “अर्क कपूर” ८-१० बूंद बताशे पर डालकर खिलाएं।। उलटी दस्त बंद न हो तो हर आधे घंटे बाद “अर्क कपूर ” देनी चाहिए।।

🌖बिगड़े हुए घावों में– जो घाव ठीक नहीं होते,, घाव में कीड़े पैदा हो जाते हैं, ऐसे घावों को कपूर घोलकर धोना चाहिए।। कीड़े मर जाते हैं।। पालतू जानवरों के घाव में कीड़े पड़ गए हों तो कपूर पीसकर,, हींग मिलाकर घाव में भर देना चाहिए।।

🌔दाँत दर्द में– दाँतों में गड्ढा पड़ जाने पर कपूर और बरगद का दूध मिलाकर रूई का फाहा रखें।। लार बाहर टपकाएं, इससे दाँतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।।

🌖शीतपीत्ती(अर्टिकेरिया) में- त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं तो नारियल तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।।

🌔गरमी या उपदंश के चट्टों पर– एक पात्र में कपूर जलाएं,, कपूर जलने पर तुरंत गाय का घी डालकर घोंटकर रखें।। यह घी दिन में २-३ बार नित्य घावों पर लगाने से लाभ होता है।।

🌔शय्याक्षत होने पर– जीर्ण रोग की अवस्था में कमजोरी की हालत में लंबे समय तक बिस्तर पर लेटे रहने से शरीर में त्वचा पर घाव हो जाता है जिन्हें शय्याक्षत कहते हैं।। कपूर की बनाई औषधि कर्पूरासव को नित्य त्वचा पर लगाते रहने से यह घाव नहीं होते हैं।। घाव हो गए हों तो वे भी ठीक हो जाते हैं।।

🌖यौनांग की खुजली में– ३० ग्राम सुहागा का फूला बनाकर पीसकर ३ ग्राम कपूर मिलाकर नारियल के तेल के साथ लेप करें,, लाभ होता है।।

🌔शरीर के अन्य स्थानों की खुजली में– कपूर तथा हल्दी चूर्ण ५-५ ग्राम १०० ग्राम नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से लाभ मिलता है।।

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