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नकारात्मक ऊर्जा
हमारे जीवन मे कई उतार चढ़ाव आते है। बहुत अच्छा समय भी आता है और बुरा समय भी । कभी कभी लगता है की हम इस जीवन के लायक नहीं। हम किसी लायक नहीं । हमारा जीवन व्यर्थ है। हम अपनी जिम्मेदारियों को निभा नहीं सकते है।
हमे कुछ अच्छा नहीं लगता । कसी काम मे मन नहीं लगता।
मतलब कहने का मन मे जब विचार खुद को खत्म करने के आने लगें।
टोसमझिए की आपको नकारात्मक ऊर्जा ने पूरी तरह से जकड़ लिया है।
आप अपने विचारो मे इस कदर घिर चुके होते है कोई भी अच्छा रास्ता अच्छा नहीं लगता। कोई भी सामाजिक कार्य मन को नहीं भाते ।
घर मे बात बात पे झगड़ा । खींचातानी होना।
घर से बाहर से घर पहुचने पर सर भारी हो जाए ,घर में अशांति का वातावरण हो ,कलह होता हो,पति-पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो ,पूजा-पाठ में मन न लगे ,पूजा पाठ से सदैव मन भागे ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो,लगे कोई आसपास है ,जम्हाई अधिक आये ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जाएँ ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न हो ,बीमारियाँ अधिक होती हों ,आय-व्यय का संतुलन बिगड़ा हो ,आकस्मिक दुर्घटनाएं अधिक होती हों ,रोग हो किन्तु कारण पता न चले ,सदस्यों में मतभेद रहते हों ,मन हमेशा अशांत रहता हो ,खुशहाली न दिखे ,प्रगति रुकी लगे अथवा अवनति होने लगे ,संताने विरुद्ध जाने लगें ,संतान बिगड़ने लगे ,उनके भविष्य असुरक्षित होने लगे ,संतान हीनता की स्थिति हो ,अधिक त्वचा रोग आदि हों ,अपने ही घर में भय लगे ,लगे कोई और है आसपास ,अपशकुन हो ,अनावश्यक आग आदि लगे ,मांगलिक कार्यों में अवरोध उत्पन्न हो तो समझना चाहिए की आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश है, इस स्थिति में इनका पता लगाने का प्रयास करके इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए |

ये है नकारात्मक ऊर्जा जो हमें अंधकार कि तरफ धकेल रही होती है।

जब आपके कुल देवता /देवी को ठीक से पूजा न मिले तो वे नाराज हो सकते हैं अथवा निर्लिप्त हो सकते हैं ,कमजोर भी हो सकते हैं ,ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने वाली मुख्य शक्ति हट जाती है और वह परिवार पर प्रभावी हो सकती है,कभी कभी कुलदेवता की नाराजगी या निर्लिप्तता से या नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रबल होने से वह कुलदेवता या ईष्ट को दी जाने वाली पूजा खुद लेने लगती है जिससे उसकी शक्ति बढने लगती है और कुलदेवता/देवी कमजोर या रुष्ट होते जाते हैं और ईष्ट को भी पूजा नहीं मिलती है ,आपके ईष्ट कमजोर हों या कोई ईष्ट ही न हों या आप पूजा पाठ ठीक से न करते हों तो भी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घर में हो सकता है ,,किसी से दुश्मनी हो तो वह भी आभिचारिक क्रिया करके किसी नकारात्मक ऊर्जा को आप पर भेज सकता है ,,आपके घर में पित्र दोष है तो पितरों के साथ अन्य शक्तियां भी जुड़ जाती हैं जिन्हें आपके परिवार से कोई लगाव नहीं होता है ,पित्र भले नुक्सान कभी कभी न करें किन्तु साथ जुडी शक्तिया अवश्य अपनी अतृप्त इच्छाएं आपके परिवार या आप से पूर्ण करने का प्रयास करती हैं ,,ऐसी स्थिति में प्रत्यक्ष तो लगता है की ४ लोग घर में हैं किन्तु खर्च १० लोगों के बराबर होता है और कोई न कोई समस्या उत्पन्न होती ही रहती है ,कभी कभी कोई नकारात्मक शक्ति किसी पर आधिपत्य करके अपने को देवी या देवता बताती है और पूजा प्राप्त करने लगती है जिससे उसकी शक्ति तो बढती ही है उसके निकाले जाने की भी संभावना कम हो जाती है ,,घर में अन्धेरा हो तो भी नकारात्मक शक्तिया घर में स्थान बना लेती हैं क्योकि ऐसी जगहों पर उन्हें अच्छा लगता है रहना ,फलतः वे वहां रहने वालों के लिए समस्या उत्पन्न करते हैं ,,कभी कभी कोई नकारात्मक ऊर्जा आशक्तिवश भी किसी के पीछे लग जाती है और उससे अपनी अतृप्त वासनाएं पूर्ण करने का प्रयास करती है ,,कभी कभी किसी जमीन में नकारात्मक उर्जाओं का स्रोत होता है और उस पर मकान बना लेने पर वह वहां रहने वालों को परेशान करती है ,,कभी कभी बहुत अधिक दुर्घटनाएं अथवा हत्याएं भी किसी घर को इनका डेरा बना देते हैं ,

         यदि व्यक्ति को लगे की उसके घर में या उस पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है तो उसे किसी योग्य जानकार व्यक्ति ,सिद्ध व्यक्ति या उच्च स्तर के तांत्रिक से मिलना चाहिए ,,इनसे मुक्ति का उपाय करना चाहिए ,पित्र दोष ,कुल देवत/देवी दोष ,ईष्ट दोष ,गृह दोष का उपचार करना चाहिए।

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