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शब्दों में बहुत शक्ति होती है। इनका उपयोग (लिखना तथा बोलना) बहुत सोच समझकर करना चाहिए।
व्यक्ति सुबह से रात तक बोलता है। कुछ भी बोलता रहता है। जिसमें बहुत सी बातें बिना सोचे समझे बोलता है। कम ही बातें ऐसी होती हैं, जो सोच समझकर प्रमाणपूर्वक बोली जाती हैं। ऐसी बातों का प्रभाव बहुत अच्छा होता है। इसलिए बहुत सोच समझकर बोलना तथा लिखना चाहिए।
एक उदाहरण – एक व्यक्ति अपने कमरे में शांत बैठा है। उसे कोई क्रोध नहीं, कोई ईर्ष्या नहीं, कोई चिंता नहीं, कोई तनाव नहीं है। थोड़ी देर में एक दूसरा व्यक्ति आता है। और वह उस पर एक झूठा आरोप लगा कर चला जाता है। वह शांत व्यक्ति जब उन शब्दों को सुनता है, तो उसके मन पर उन शब्दों का प्रभाव आरंभ हो जाता है। क्योंकि वह बोलने वाला बिना प्रमाण के उस पर झूठा आरोप लगाकर जाता है, तो इन शब्दों का इतना गहरा प्रभाव पड़ता है, कि वह सुनने वाला व्यक्ति चिंता में डूब जाता है। और सोचता है कि जब मैंने कोई दोष किया ही नहीं, तो इसने मुझ पर ऐसा झूठा आरोप क्यों लगाया? अब इस प्रश्न का उत्तर उसे मिलता नहीं। और बार-बार यही प्रश्न उसके मन में घूमता रहता है, कि उसने मुझ पर ऐसा झूठा आरोप क्यों लगाया? इस प्रश्न के मन में घूमते रहने से, और इसका उत्तर न मिलने से उसकी दिनचर्या बिगड़ती है। पढ़ने में मन नहीं लगता। ध्यान उपासना में मन नहीं लगता। खाने पीने में मन ठीक से नहीं लगता। नींद भी नहीं आती। बहुत बेचैनी उत्पन्न होती है। मन में अजीब अजीब विचार और कल्पनाएँ उठने लगती हैं। इससे पता चलता है कि शब्दों का कितना गहरा प्रभाव होता है।
एक दूसरा व्यक्ति आता है। और वह बहुत अच्छे शब्द बोलता है। उसकी यथार्थ प्रशंसा करता है। उसके गुणों का ठीक ठीक व्याख्यान करता है। इन अच्छे शब्दों से उसका उत्साह बढ़ता है। आनंद बढ़ता है। वह प्रसन्न होकर अपने हृदय की सब बातें खोलकर उसे बताता है।
इन उदाहरणों से पता चलता है कि यदि आप चाहें, तो अपने शब्दों का सदुपयोग करके किसी के हृदय को खोल भी सकते हैं। ये शब्द ताले की चाबी के समान कार्य करते हैं। जैसे चाबी से ताले खोले जाते हैं, ऐसे ही शब्दों से किसी का हृदय भी खोला जा सकता है।
और शब्दों में इतनी क्षमता भी होती है, कि शब्दों के सही उपयोग की जानकारी रखने वाला कोई बुद्धिमान व्यक्ति, यदि चाहे तो इन शब्दों की चाबी से, किसी मूर्ख और दुष्ट व्यक्ति के मुँह पर ताला भी लगा सकता है। इतने प्रभावकारी शब्द होते हैं।
इसलिए शब्दों को सामान्य न समझें। उनकी शक्ति सामर्थ्य प्रभाव को समझते हुए इनका सही उपयोग करें। अपने और दूसरों के हित के लिए, सबके सुख के लिए, सबकी उन्नति के लिए, सही समय पर, सही शब्दों का उपयोग करें। पुण्य के भागी बनें, और आनन्द से जीएँ।

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