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जीवन में हारता वही है। जो प्रकति के विरुद्ध संघर्ष करता है।। क्या प्रकृति का विरोध हारने का कारण बन सकता है। पर्वतों से जल की धाराएँ गिरती हैं।। कोमल, अत्यंत कोमल जल की धाराएँ और उनके मार्ग में होते हैं, विराट शिलाखंड। लेकिन एक दिन आप पाते हैं,जल तो अब भी बह रहा है लेकिन वे कठोर शिलाखंड टूट-टूटकर, रेत होकर एक दिन मालूम नहीं कहाँ खो गये। परमात्मा के मार्ग अनूठे हैं।। और जीवन बहुत रहस्य पूर्ण है। इसलिए जीवन में गणित के सूत्र नहीं परमात्मा काम करता है।।
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संसार में हमें किसी का सहारा मिल जाना अच्छी बात है, किन्तु किसी का सहारा बन जाना उससे भी अच्छी बात है। संसार में हर कोई दूसरों से तो सहारा चाहता है मगर दूसरों को सहारा देना नहीं चाहता।
सच्ची शान्ति के लिए किसी बेसहारे का सहारा बन जाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप आश्चर्य करेंगे कि जिस आनंद और शांति के लिए हम दर- दर भटके है, जिसके लिए हमने तीर्थों के इतने चक्कर काटे है, आखिर वह आत्मसुख बहुत सस्ते में और आसानी से मिल गया है।
जो व्यक्ति दूसरों को सहारा देता है, उसे अपने लिए सहारा माँगना नहीं पड़ता, परमात्मा स्वतः ही दे देता है। किसी प्यासे को पानी पिलाने का, किसी गिरे हुए को उठाने का और किसी भूले को राह दिखाने का अवसर मिल जाये तो चूकना मत, क्योंकि ऐसा करने से हम बहुत ऋणों से मुक्त हो सकते है ।
🌹🙏जय श्री कृष्ण🙏🌹