Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

सत्य की प्राप्ति-तपस्वी ही कर सकता है। शारीरिक और मानसिक प्रलोभनों से बचने में जिस तितीक्षा और कष्ट सहिष्णुता की-धैर्य और संयम की आवश्यकता पड़ती है , उसे जुटा लेने का नाम ही तप है। अकारण शरीर के सताने का नाम ही तप नहीं है। सताना तो किसी का भी बुरा है फिर शरीर को व्यथित और संतप्त करने से ही क्या हित साधन हो सकता है । तपस्या वह है जो सत्यमय जीवन लक्ष्य निर्धारित करने के कारण सीमित उपार्जन से निर्वाह करने की स्थिति में- निश्चिन्त निर्द्वन्द मितव्ययिता अपनानी पड़ती है । इसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार और शिरोधार्य करने का नाम तप साधना ही है।

जय श्री कृष्ण🙏🙏

इस संसार में धनवान तो कोई नही है, उसे ही धनवान मानिये जिसके पास भक्ति नाम का धन हो, नही तो सारे दरीद्र् ही है। बार बार हम मंदिर मे भगवान के आगे धन के लिये झोली फैलाते है, इनको भगवान से तो मोह नही होता बस सिर्फ धन दौलत से ही होता है।

संसार मे जिसके पास पैसा नही, वो तो दुखी है ही, जिसके पास पैसा है, वो पैसे के दुर्भाव से दुखी है। जो ज्यादा अमीर होता, उसे ज्यादा पैसो के दुस्प्रभाव से नींद नही आती, जिसके लिए गोली खानी पड़ती है, तो जिनके पास पैसा नही होता, वो बेचारे भूखे नही सो पाते।

हमारी जिन्दगी मे तीन चीज़ मुख्य है -सुख-दुख-और आनन्द। सुख दुःख तो हमे भौतिक जगत मे पैसा ख़र्च करने से मिलते है। और आनन्द तो आध्यात्मिक जगत मे हमे राम नाम से मिलता है।

जय श्री कृष्ण🙏🙏
खून का दाग खून से नहीं धुलता। वह पानी से ही धुल सकता है। उसी प्रकार वैर से कभी वैर नष्ट नहीं हो सकता। वह शान्ति से – क्षमा से – सहिष्णुता से – प्रेम के प्रयोग से ही नष्ट हो सकता है।परन्तु कुछ लोग ऐसे हैं, जो वैर को वैर से नष्ट करना चाहते हैं। ऐसे लोग आग को घासलेट से बुझाना चाहते हैं, पानी से नहीं। कैसी मूर्खता है?
_इससे भी भयंकर बात यह है कि कुछ व्यक्ति स्वभाव से ही वैरी होते हैं। उन्हें तब तक भोजन ही हजम नहीं होता, जब तक वे पड़ौस में या अन्यत्र जा कर कोई-न-कोई झगड़ा नहीं कर आते। वे भ्रम से यह समझते हैं कि झगड़ने और उसमें जीतने से ही कुटुम्बी और अन्य लोगों में हमारी धाक जमेगी, प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

Զเधॆ Զเधॆ🙏🙏

नकारात्मकता उस छाया अथवा गहन अंधकार की भांति है… जो सत्य के, सकारात्मकता के प्रकाश की वास्तविक अनुभूति से दूर ही रखती है..मनुष्य को यदि प्रकाश की किरण दिखाई भी देती है तो भी यह नकारात्मकता, अशुभ विचार, कुंठित मानसिकता को उत्पन्न कर उन्हें और बल देकर उस आशा की, उस दिव्य एवं शुभ-सत्य प्रकाश की उस झलक को, आशा तथा सकारत्मकता की इस किरण को अपने गहरे साये से ढकने का संपूर्ण प्रयास करती है..मनुष्य को हतोत्साहित कर, उसे किसी भी प्रकार से प्रसन्न होने, जीवन में उत्साह तथा उमंग का संचार करने में अत्यंत बाधा उत्पन्न करने का कार्य बहुत ही कुशलता पूर्ण तरीके से करती है.. क्रमशः..!! नकारात्मक विचारों से सजग रहना आवश्यक है…!! प्रसन्न रहें!!

*जय श्री कृष्ण*🙏🙏

आज का दिन शुभ मंगलमय हो।
इच्छाओं की अनंतता ही जीव को दुखी करती है। सदैव स्मरण रहना चाहिए कि आवश्यकता सबकी पूरी होती है लेकिन सभी इच्छा पूरी नहीं होती।

  *काम को शत्रु मानो। काम का अर्थ केवल वासना ही नही है बल्कि किसी भी वस्तु की कामना से है। अतः शनैः शनैः जीव की कामना कम होनी चाहिये।*

  *एक साधना पथ पर चलने वाले साधक के लिए अनिवार्य है कि आज अगर आपको आठ वस्तुओं की आवश्यकता है तो धीरे धीरे वो घट कर सात और फिर छः हो रही है या नहीं। यदि आपकी कामना धीरे धीरे कम हो रही है तो आप सही मार्ग पर चल रहे हैं।*

Զเधॆ- Զเधॆ🙏​​​​​​🙏
॥ आज का भगवद चिन्तन ॥

समय को काटो नहीं अपितु जिओ। समय काटना अर्थात समय का दुरूपयोग करना और समय को जीना अर्थात समय का सदुपयोग करना। हमारे शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि मनुष्य अपनी नासमझी में अपने जीवन को व्यर्थ गंवाता है।
कालो न मातो वयमेव माता: ” अर्थात मनुष्य समझता है कि वह समय काट रहा है मगर सच्चाई यह है कि वह समय को नहीं अपितु समय उसे काट रहा है। समय उन लोगों द्वारा ही जिया जाता है जो पुरुषार्थ, नया सृजन और सफल होने के लिए निरन्तर कर्म करने में विश्वास रखते हैं।
अन्यथा किस्मत में विश्वास रखने वाले तो समय को जो होगा, हो जाएगा में ही व्यतीत कर देते हैं। प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना सीखो ताकि आपका प्रभात शुभप्रभात और रात्रि शुभरात्रि बन सके।

🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏

Recommended Articles

Leave A Comment