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🙏 जय श्री कृष्ण! 🙏

🌻 दुःख भगवान का प्रसाद है! 🌸

जब भगवान सृष्टि की रचना कर रहे थे, तो उन्होंने जीव से कहा कि तुम्हे मृत्यु लोक जाना पड़ेगा, मैं सृष्टि की रचना करने जा रहा हूँ।

यह सुन कर जीव की आँखों में आंसू आ गए। वो बोला प्रभु कुछ तो ऐसा करो कि मैं लौटकर आपके पास ही आऊ। भगवान को दया आ गई, उन्होंने दो बातें की जीव के लिए।

पहला संसार की हर चीज़ मे अतृप्ति मिला दी, कि तुझे दुनिया में कुछ भी मिल जाये तू तृप्त नहीं होगा!

तृप्ति तुझे तभी मिलेगी जब तू मेरे पास वापस आएगा और दूसरा सभी के हिस्से मे थोडा-थोडा दुःख मिला दिया कि हम लौट कर भगवान के पास ही पहुँचे।

इस तरह हर किसी के जीवन मे थोडा दुःख है। जीवन मे दुःख या विषाद हमें भगवान के पास वापस ले जाने के लिए है।

लेकिन हम चूक जाते है। हमारी समस्या क्या है कि हर किसी को दुःख आता है, हम भागते हैं ज्योतिषियों के पास, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के पास। कुछ होने वाला नहीं।

थोड़ी देर के लिए मानसिक संतोष बस… यदि दुखों से घबराये नहीं और भगवान का प्रसाद समझ कर आगे बढ़ें तो बात बन जाती है।

यदि हम भगवान से विलग होने के दिनों को याद कर लें तो बात बन जाती है और जीव दुखो से भी पार हो जाता है।

दुःख तो भगवान का प्रसाद है। दु:ख का मतलब है, भगवान कृष्ण का बुलावा है। वो हमें याद कर रहा है। हम से पहले भी, ये विषाद और दुःख बहुत से दीन दुखियों के लिए भगवत प्राप्ति का मार्ग बन चुका है।

हमें ये बात अच्छे से समझनी चाहिए कि संसार की हर चीज़ में अतृप्ति है और दुःख और विषाद भगवत प्राप्ति का एक सुंदर साधन है!

🌼 राधे राधे! 🌼
🌹 हरे कृष्ण! 🙏🌹
[: कड़वी गोलियाँ चबाई नहीं निगली जानी चाहिए।।”

अर्थात………
बुरी यादें और कड़वे अनुभवों की उपेक्षा कर देनी चाहिए।।’

यानी कि जीवन में आने वाली अपमान, असफलता, धोखे जैसी नकारात्मक बातों को बार-बार अपने मन में दोहराने की जगह उन्हें कड़वी गोली मानकर निगल जाएं। यानी कि ऐसी बातों की यथासंभव उपेक्षा कर दें।
क्योंकि जिस तरह कड़वी गोली को चबाते रहने से मुंह देर तक कड़वा बना रहता है, उसी तरह कड़वे अनुभव या नकारात्मक विषयों को मन में दोहराते रहेंगे तो पुनः – पुनः अपना ही जीवन कड़वा होता है।

इसलिये, ये न सोचें कि ऐसा कैसे कर पाएंगे या पीड़ा देने वाली बातों से निकलना कठिन है इत्यादि। बस छोड़ दें ऐसी बातों का विचार, मुक्त कर दें उन्हें अपने मन से, चले जाने दें अतीत को अतीत में।

स्वयं से कहें कि……. ‘आखिर अतीत की नकारात्मकता के कीचड़ को भला कोई कब तक अपने पावों में लपेटे घसीटता रहेगा।।’

जय श्री कृष्ण🙏🙏

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