Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

: 🍃🌾😊
आप स्वयँ को जांच लें, आपके लिए इतना ही काफी है, उससे आगे मत जाइये। आपका प्रयोजन भी क्या है।। परमात्मा से आप अपनी प्यास को पहचान लें। अगर प्यास है, तो जल मिलते देर नहीं लगती।। बस प्यास होनी चाहिए। जल के होने से जल नहीं दिखाई देता भीतर की प्यास होने से दिखाई पड़ता है।। कभी उपवास करके बाजार गए हैं। चारों ओर से भोजन की ही गंध आती है।। जो पहले कभी नहीं मालूम दी। जैसे भूखे को हर तरफ भोजन दिखता है।। प्यासे को पानी दिखता है। साधक को परमात्मा दिखाई दे जाता है।।

 
    

[ इस दुनिया में सदैव ही दो तरह जी विचारधारा के लोग जीते हैं। एक इस दुनिया को निः सार समझकर इससे दूर और दूर ही भागते हैं। दूसरी विचारधारा वाले लोग इस दुनियां से मोहवश ऐसे चिपटे रहते हैं कि कहीं यह छूट ना जाए। कुछ इसे बुरा कहते हैं तो कुछ इसे बूरा ( मीठा ) कहते हैं।। भगवान् वुद्ध कहते हैं जीवन एक वीणा की तरह है। वीणा के तारों को ढीला छोड़ेगो तो झंकार ना निकलेगी और ज्यादा खींच दोगे तो वो टूट जायेंगे। मध्यम मार्ग श्रेष्ठ है , ना ज्यादा ढीला और ना ज्यादा खिचाव।। अपनी जीवन रूपी वीणा से सुख – आनंद की मधुर झंकार निकले इसलिए अपने इन्द्रिय रुपी तारों को ना इतना ढीला रखो कि वो निरंकुश और अर्थहीन हो जाएँ और ना इतना ज्यादा कसो कि वो टूटकर आनंद का अर्थ ही खो बैठें। जिसे मध्यम मार्ग में जीना आ गया वो सच में आनंद को उपलब्ध हो जाता है।।

  🌹💐🌺🌹💐🌺
 

तत्वज्ञान

संपूर्ण देश, काल, क्रिया, वस्तु, व्यक्ति, अवस्था, परिस्थिति, घटना आदि का अभाव होने पर ही जो शेष रहता है वह परमात्मा तत्व है।

मृत्यु और अमरता

शरीर और संसार के संबंध से मृत्यु का और भगवान के संबंध से अमरता का अनुभव होता है।

अपने लिए कर्म करने से पहले कर्म के साथ और फिर फल के साथ संबंध जुड़ता है। कर्म और फल दोनों ही उत्पन्न हो कर नष्ट हो जाते हैं पर अंतकरण में जो आसक्ति रह जाती है वह बार-बार जन्म मरण देती है।

शरीर को “मैं ” और “मेरा” मानना प्रमाद है और प्रमाद ही मृत्यु है।

किसी भी काम का होना या ना होना अनिश्चित है पर मरना बिल्कुल निश्चित है।

जैसे शरीर के लिए मृत्यु सुलभ है ऐसे ही अपने लिए अमरता सुलभ है।

: 🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷
मन कभी भी ख़ाली नहीं बैठ सकता, कुछ ना कुछ करना इसका स्वभाव है, इसे काम चाहिए। अच्छा काम करने को ना मिला तो ये बुरे की तरफ भागेगा। मन खाली हुआ, बस उपद्रव प्रारम्भ कर देगा। लड़ाई -झगड़ा, निंदा-आलोचना, विषय- विलास ऐसी कई गलत जगह पर यह आपको ले जायेगा जहाँ पतन निश्चित है।
पतन एक जन्म का हो तो भी कोई बात नहीं, ऐसे कई अपराध और गलत कर्म करा देता है जिसके प्रारब्ध फल को भुगतने के लिए कई कई जन्म कम पड़ जाते हैं।
मन को सृजनात्मक और रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखिये। इससे आपका आत्मिक साथ में भौतिक विकास भी होगा। मन सही दिशा में लग गया तो जीवन मस्त ( आनंदमय ) हो जायेगा। नहीं तो अस्त-व्यस्त और अपसेट होने में भी देर ना लगेगी।

Recommended Articles

Leave A Comment