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जगत में सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व यदि किसी के पास है तो वह मनुष्य है। वह ना केवल स्वयं के जीवन को आंनद और उल्लास के कैलाश पर पहुँचाने में समर्थ है अपितु समस्त प्रकृति, समस्त जीव – जंतु और समस्त वातावरण को भी आंनद देने में समर्थ है।। इंसान की उपलब्धियाँ आश्चर्य चकित करने वाली हैं। अपने प्रचुर आत्मबल के बल पर उसने बहुत सारी समस्याओं को सुलझाया है। लेकिन हैरानी की बात यह है दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या को सुलझाने की समझ और सामर्थ्य रखने वाला मनुष्य पिछले कुछ समय से खुद अकारण की ऐसी गुत्थियों में उलझा पड़ा है, जो सुलझने में नहीं आ रहीं।। समस्याएं वास्तव में इतनी बड़ी हैं कि उनका हल संभव नहीं है, या मनुष्य ने समस्याओं के आगे समर्पण कर दिया है। अध्यात्म व्यक्ति के आत्मबल को बढ़ाता है और निराशा को समाप्त करता है। ना भय में रहो, ना निराशा में और ना अविश्वास में। अभी बहुत सृजन आपके द्वारा होना है।।

    *जय श्री राधे कृष्णा*

[अनेकों प्रयत्नों और आध्यात्मिक परीक्षाओं जैसे कुटीचक्र, हंस, परमहंस द्वारा मनुष्य संसार के सब बन्धनों को तोड़कर जीवन्मुक्त अवस्था तक पहुँच जाता है। यही मनुष्य के जीवन का अंतिम फल है। यही मनुष्यमात्र के लिए एकमात्र पवित्र पथ है जैसे कि घर पहुँचने के लिए भिन्न-भिन्न धर्म, भिन्न-भिन्न पगडण्डियों की तरह है। शुरू में तो कई प्रकार के अन्तर देखने में आते हैं, पर आगे जाकर सभी पगडंडियाँ इसी एक पथ में मिल जाती हैं। यह पथ बड़ा कल्याणकारी और साथ ही महा कठिन भी है। इसी पथ के लिए कहा गया है कि वह तलवार की धार पर चलने के समान है। पर खेद है कि आजकल अज्ञानी और स्वार्थी मनुष्यों ने इसे हद दर्जे तक नीचे गिरा रखा है और चाहे जो साधारण गेरुआ वस्त्रधारी अपने को इन नामों से विभूषित करते रहते हैं। पर जो वास्तव में आध्यात्मिक उन्नति के ऊँचे सोपान पर पहुँचना चाहते हैं उनको सच्चे सद्गुरु की खोज करके सत्य ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। हमको विश्वास रखना चाहिये कि अत्यंत प्रेम और अगाध दया के साथ सद्गुरु हमारी ओर देख रहे हैं। क्या हम उनकी सहायता से अपना जीवन सफल न बनायेंगे? रास्ता विकट है, पर निस्वार्थ सेवा की भावना को बढ़ाने से इसकी कठिनाइयाँ बहुत कम हो जाती हैं। हम कैसी भी नीची स्थिति में क्यों न हों, पर जीवन के तथ्यों को समझ कर उनके अनुसार चलने से एक दिन अवश्य पूर्णता के उच्चतम शिखर पर पहुँच सकेंगे।।
[: अकेले रहकर हम औरों का परिचय नहीं पा सकते है, ना ही अपने आप का मूल्यांकन भी नहीं कर सकते ! जब हम औरों से मिलते है, औरों के साथ व्यवहार करते है तभी हमारा अपना व्यक्तित्व उभर कर सामने आता है। कोई भी संबंध में संघर्ष न हो इसकी संभावना बहुत कम है। पर औरों के साथ जब संघर्ष के पल आते है…..तब उस कठिन समय में हम औरों के साथ कैसा बरताव करते है, इसका पता लगता है। औरों के साथ हमारा बरताव ही हमारे व्यक्तित्व का, हमारे परिचय का आईना बन जाता है। यदि उन क्षणों में हमने अपने आप को संभाल लिया तो बस हम क्या है….इसका पता चल जायेगा।।
[परमात्मा जब किसी से नाराज होता है, तो वह उसका रिज्क नहीं बन्द करता और न ही जीव को कोई दुख देता है और न ही सूर्य को आज्ञा देता है कि इसके आंगन को रोशनी नहीं देना बल्कि परमात्मा जब किसी से नाराज़ होता है तो वह उसका वो वक्त छीन लेता है जिस वक्त वह बन्दगी कर सके। परमात्मा की बन्दगी न कर सकना उस परमात्मा की नाराज़गी की सबसे बड़ी निशानी है। और जो जीव हर रोज भजन बन्दगी करते हैं।। तो वह खुशनसीब हैं, कि परमात्मा उस जीव से बहुत खुश हैं। और जीव को पल पल परमात्मा का शुक्रिया अदा करना चाहिए।।
[: भलाई करना कर्तव्य नहीं, आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख की वृद्धी करता है। निर्धनता प्रकट करना निर्धन होने से अधिक दुखदायी होता है।। प्रत्येक कार्य अपने समय पर होता है। जैसे पौधों में फूल और फल अपने समय पर आते हैं।। गलती तो हर मनुष्य कर सकता है। किन्तु उस पर दृढ़ केवल मुर्ख ही होते हैं॥

  *!! हरि ॐ !!*

दोस्तो ,

यह बिलकुल सत्य है कि दूसरों के साथ हम जैसा व्यवहार करते हैं वैसा ही व्यवहार वे हमारे साथ करते हैं। हम अकारण रूप से दूसरों के जीवन में बाधक नहीँ बनेंगे तो वे भी हमारे जीवन में बाधक क्यों बनेंगे ? यह बड़ी विचित्र बात समाज में देखने को मिल रही है कि हम अपने जीवन से ज्यादा दूसरों के जीवन को देखने में व जानने में व्यस्त हैं।

जब हम सब उस एक ही ईश्वर की संतान हैं और सब अपनी मेंहनत और कर्म करके उन्नति कर रहे हैं तो फिर क्यों हमारे भीतर ईर्ष्या और द्वेष बढ़ता जा रहा है ? दूसरों की समृद्धि देख कर जलो नहीँ अपितु उन्हें और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करो।

यदि हमने अपना स्वभाव विनम्र, दयालु, प्रिय सत्यभाषी, परोपकारी और मधुर बना लिया तो बड़ी मात्रा में ना सही तो थोड़े अंश में ही सही दूसरों का व्यवहार भी आपको इसी रूप में प्राप्त होना शुरू हो जायेगा। सद वृत्तियों में बड़ा आकर्षण होता है। लोग आपकी तरफ खिंचे चले आएंगे।

दरिया बन कर किसी को डुबाना बहुत आसान है, मगर जरिया बनकर किसी को बचाया जाना ज्यादा बेहतर है…

चलते रहिये, जोश जुनून और जज्बे के साथ…🚶🚶‍♀🏃🏃‍♀

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