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चक्कर आना Vertigo or Giddiness

परिचय-रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका सिर घूम रहा है, जबकि वह स्थिर अवस्था में होता है, ऐसी अवस्था को चक्कर आना कहते हैं। रोगी स्वयं को चक्कर खाते या अपने आस-पास की वस्तुओं को घूमता हुआ देखता है। यह स्थिति लगभग 30 सेकण्ड में मिट जाती है।

कारण : दिमाग में खून पर्याप्त मात्रा में न पहुंचने पर चक्कर आते हैं। इसके अलावा रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का ज्यादा या कम होने पर भी चक्कर आते हैं। कान के बीच में सूजन होने पर भी चक्कर आते हैं। पुरानी कब्ज, गर्मी, खून की कमी, धूप में घूमना, अधिक संभोग करना, अधिक हस्तमैथुन करना, स्त्रियों में मासिक धर्म (एम.सी) की खराबी और अधिक थकावट आदि कारणों से भी चक्कर आते हैं

जब रोगी ऐसा महसूस करता है कि उसके आस-पास की चीजें घूम रही है तब चक्कर आने लगते हैं।
गर्दन में दर्द होने के कारण चक्कर आ सकता है।
कभी-कभी ट्यूमर रोग के कारण भी चक्कर आ जाता है।
कान में दर्द या कान से पीब बहने के कारण चक्कर आ सकता है।
शरीर में उच्चरक्त चाप होने पर चक्कर आने लगता है।
मैनिया रोग, कान में जलन तथा डर लगने के कारण भी चक्कर आ सकता है।
धमनियों के कठोर हो जाने पर चक्कर आने लगता है।
सर्विकल स्पाडोलाइसिस का स्नायुओं पर दबाव पड़ना।

लक्षण :-

चक्कर आने पर रोगी को ऐसा लगता है कि उसके आस-पास की सारी चीजें घूम रही है, कानों में घंटियां बजने जैसी आवाजें सुनाई पड़ने लगती है, डर लगता है। रोगी को अचानक चक्कर आने का बोध (ज्ञात) होता है। इस प्रकार की स्थिति कुछ ही मिनटों में ठीक हो जाती है। कभी-कभी संतुलन खाने की स्थिति भी पैदा हो जाती है। इस रोग के कारण शरीर के कई अंगों में सुन्नपन, आंखों की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है, लकवा, सही संतुलन न बना पाना आदि लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं।

चक्कर आने पर क्या करें और क्या न करें :-

चक्कर आने पर इसके लक्षणों को नज़र अंदाज न करें।
रोग का अपने आप चिकित्सा न करें।
इस रोग से पीड़ित रोगी को किसी अच्छे चिकित्सक से सलाह लेकर अपना उपचार कराना चाहिए।
ऐसे चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए जो कान के रोगों के बारे में अच्छी तरह से जानता हो क्योंकि हो सकता है कि किसी प्रकार के कान के रोग के कारण चक्कर आ रहा हो।
अपने रक्तचाप की जांच करा लें क्योंकि इससे पता चल जाऐगा कि कहीं रक्त चाप तो नहीं बढ़ गया है।
उपचार कराते समय जरूरत पड़े तो सी.टी. स्कैन करा लें।
सिर में किसी प्रकार से झटका लगने से बचें।
भोजन में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स तथा अन्य विटमिनों का प्रयोग करना चाहिए।
निश्चित समय पर भोजन करें तथा स्वास्थ्य नियम का पालन करें।
प्रतिदिन व्यायाम तथा योग-ध्यान करने से लाभ मिलता है।
अधिक दूरी तक तैरना, वाहन चलाना या ऊंचाई पर न चढ़े जब तक कि कोई ऐसा व्यक्ति आपके साथ न हो जिसे आपकी इस बीमारी के बारे में पता हो तब तक ऐसा न करें।
उच्च रक्तचाप को कम करने की दवाइयां न लें इससे हानि हो सकती है।
जब तक कोई चिकित्सक न कहे तब तक किसी प्रकार की दवाई का सेवन न करें।
यदि रक्तचाप बढ़ गया हो तो बैठी हुई अवस्था से अचानक खड़े न हो।
कोई भी कार्य झटके के साथ न करें।
रोगी को तब तक कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जब तक कि कोई आपके कार्य पर ध्यान न रखें।
रोगी को उत्तेजक पदार्थ कभी भी नहीं खाना चाहिए।
ठण्डे पानी से स्नान करना चाहिए।
रोगी को जल्दी पचने वाली और पौष्टिक भोजन का सेवन करना करना चाहिए।

चक्कर आना दूर करेंगे यह सरल घरेलू

उपचार : पहला प्रयोगः 10 से 50 मि.ली. अदरक एवं तुलसी के 5 मि.ली. रस को शहद में लेने से अथवा सोंफ तथा मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर 2 से 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम लेने से चक्कर आने पर लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः 6 ग्राम धनिया एवं 6 ग्राम आँवलों को अधकूटा पीसकर, रात्रि को पानी में भिगोकर, सुबह छानकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है

तीसरा प्रयोगः रात्रि को 11 या 21 बादाम पानी में भिगो दें। सुबह में बादाम का छिलका निकालकर बादाम को पीसकर उसमें तीन छोटी इलायची, तीन काली मिर्च डालकर दूध के साथ उबालकर ठंडा करके 8-10 दिन पीना चाहिए। डायबिटीज न हो तो मिश्री डालें। बादाम को जितना ज्यादा पीसेंगे उतनी ज्यादा गुणकारक होगी

विभिन्न औषधियों से उपचार- 1. लौंग : 2 लौंग को 2 कप पानी में डालकर उबालकर पीने से चक्कर आना बन्द होते हैं।

2. मुनक्का : लगभग 4 या 5 मुनक्के को पानी में मथकर पीने से चक्कर आना बन्द हो जाते हैं।

3. सौंफ : सौंफ को पीसकर सिर पर लगाने से गर्मी के कारण आने वाले चक्कर और सिर दर्द ठीक हो जाते हैं।

4. हल्दी : कच्ची (ताजी) हल्दी पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से चक्कर आना बन्द हो जाते हैं।

5. प्याज : प्याज के रस को सूंघने से चक्कर आना ठीक हो जाता है।

6. तुलसी :तुलसी के पत्तों का रस 5 बूंद और चीनी एक चम्मच आधा कप पानी में मिलाकर सेवन करने से लू के मौसम में चलने वाली गर्म हवा नहीं लगती है तथा चक्कर नहीं आते हैं।

तुलसी का रस, अदरक का रस और शहद मिलाकर पीने से चक्कर आने बन्द हो जाते हैं।

7. इलायची : छोटी इलायची के काढ़े को गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम पीने से बार-बार चक्कर आना बन्द हो जाता है।

8. बच : लगभग 5-5 ग्राम की मात्रा में बच, तोरई और सोंठ कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में लगभग 5 ग्राम अफीम मिलाकर पानी में पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाएं। इससे बार-बार चक्कर आने की परेशानी दूर हो जाती है।

9. आंवला :आंवले के मुरब्बे को चांदी के एक बर्क में लपेटकर सुबह के समय खाली पेट खाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।

लगभग 6-6 ग्राम सूखे आंवले और सूखे धनिये को मोटा-मोटा कूटकर रात को सोते समय 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह मसलकर छानकर इसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। यह चक्कर, प्यास व गर्मी को शान्त करता है।

10. .इमली : लगभग 25 ग्राम बिना बीज की इमली को 125 मिलीलीटर पानी में एक घंटे तक भिगोने के बाद मसलकर इसमें खांड़ मिलाकर सुबह-शाम पीने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।

11. हरड़ : हरड़ के एक मुरब्बा में लगभग 3 ग्राम धनिया और लगभग 1 ग्राम छोटी इलायची पीसकर मिलाकर सुबह-शाम खाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।

12. मेंहदी : मेंहदी के 3 ग्राम बीजों को शहद के साथ चाटने से लाभ होता है और इसके फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से भी लाभ मिलता है। इस औषधि का सेवन करने के तुरन्त बाद ही गेहूं की रोटी, खांड़ और घी मिलाकर खाने से सिर का चकराने का रोग समाप्त हो जाता है।

13. हींग : घी में सेंकी हुई हींग को घी के साथ खाने से गर्भावस्था के दौरान आने वाले चक्कर और दर्द खत्म हो जाते हैं।

14. धनिया : आंवले और हरे धनिये के रस को पानी में मिलाकर पीने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।

15. चीनी : चीनी और सूखा धनिया 2-2 चम्मच मिलाकर चबाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।

16. आंवला : यदि गर्मी के कारण चक्कर आते हों व जी मिचलाता हो तो आंवले का शर्बत पीना चाहिए।

17. मुनक्का : लगभग 20 ग्राम मुनक्का को घी में सेंककर सेंधानमक डालकर खाने से चक्कर आने बन्द होते हैं।

18. भांगरा : भांगरा का रस 4 ग्राम, चीनी 3 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से थोड़े ही दिनों में दुर्बलता दूर हो जाती है तथा चक्कर आने बन्द हो जाते हैं।

19. कॉफी : समुद्र यात्रा के दौरान होने वाली उल्टियों और चक्करों से बचने के लिए जहाज में सवार होने के लगभग एक घंटे पहले तेज कॉफी पीना चाहिए तथा बोतल में काफी भरकर अपने साथ रखना चाहिए ताकि यात्रा के समय कॉफी पी सकें। इससे समुद्री यात्रा के दौरान आने वाले चक्कर बन्द होते हैं।

20. नींबू : एक कप गर्म पानी में लगभग 2 चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीने से चक्कर आना बन्द होता है।

21. कालीमिर्च :कालीमिर्च चबाने से जी नहीं मिचलाता और चक्कर नहीं आते।

कालीमिर्च का चूर्ण, चीनी और घी में मिलाकर सेवन करने से सिर का चकराना व भ्रम आदि दूर होता है।

चक्कर आने पर घरेलू उपचार : तुलसी के २० पत्ते पीसकर शहद मिलाकर चाटने से चक्कर आने की समस्या काफ़ी हद तक नियंत्रण में आ जाती है।

१० ग्राम गेहूं,५ ग्राम पोस्तदाना,७ नग बादाम,७नग कद्दू के बीज लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पेस्ट बनालें। अब कढाई में थोडा सा गाय का घी गरम करें और इसमें २-३ नग लोंग पीसकर डाल दें। अब बनाया हुआ पेस्ट इसमें डालकर एक मिनट आंच दें। इस मिश्रण को एक गिलास दूध में घोलकर पियें। चक्कर आने में असरदार स्वादिष्ट नुस्खा है।

चाय,काफ़ी और तली गली मसालेदार चीजों से परहेज करना आवश्यक है। इनके उपयोग से चक्कर आने की तकलीफ़ में इजाफ़ा होता है।

कभी-कभी नमक की मात्रा शरीर में कम होने पर भी चक्कर आने लगते हैं। आलू की नमकीन चिप्स खाने से लाभ होता देखा गया है।

 जब चक्कर आने का हमला हुआ हो , बर्फ़ के समान ठंडा पानी ३ गिलास पीने से भी तुरंत राहत मिलती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम से चक्कर आने की व्याधि से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है।

 खरबूजे के बीज की गिरी गाय के घी में भुन लें। इसे पीसकर रख लें। ५ ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से चक्कर आने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।

१५ ग्राम मुनक्का देशी घी में भुनकर उस पर सैंधा नमक बुरककर सोते समय खाने से चक्कर आने का रोग मिट जाता है।

प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है.

 तरबूज के बीज की गिरि और खसखस इन दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें. रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ सेवन करें. यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित रूप से जारी रखें.

एक चम्मच मैथीदाना-चूर्ण रोजाना सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है.

खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की छिली हुई कलियां तीन-चार बीज निकले हुए मुनक्कों के साथ चबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत दूर होने के साथ पेट में रुकी हुई गैस भी पास होने लग जाती है.

 सूखा आंवला पीस लें। दस ग्राम आंवला चूर्ण और १० ग्राम धनिया का पावडर एक गिलास पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह अच्छी तरह मिलाकर छानकर पी जाएं। चक्कर आने में आशातीत लाभ होगा।


  • अदरक लगभग 20 ग्राम की मात्रा में बारीक काटकर पानी में उबालें आधा रह जाने पर छानकर पीयें। अदरक का रस भी इतना ही उपकारी है।सब्जी बनाने में भी अदरक का भरपूर उपयोग करें। चाय बनाने में अदरक का प्रयोग करें।अदरक किसी भी तरह खाएं चक्कर आने के रोग में आशातीत लाभकारी है।

विभिन्न औषधियों से चिकित्सा-

1. जेल्सीमियम- रोगी के सिर के पीछे चक्कर आता है, नीचे की गति में चक्कर आता है। इस प्रकार के चक्कर को दूर करने के लिए जेल्सीमियम औषधि की 6 या 30 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।

2. ग्रेनेटम- यदि रोगी को चक्कर लगातार आ रहा हो तो ग्रेनेटम औषधि की 1x मात्रा से उपचार करना चाहिए। इसका उपयोग दिन में तीन बार करना चाहिए।

3. फॉसफोरस- किसी भी प्रकार का चक्कर आ रहा हो तो फॉसफोरस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना लाभकारी है। यदि रोगी को स्नायुविक चक्कर आ रहा हो तो उपचार करने के लिए फॉसफोरस औषधि का उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के चक्कर स्नायुविक कमजोरी, अधिक संभोग क्रिया करने, वीर्य नष्ट होने या खाली पेट रहने के कारण से होता है। वृद्ध व्यक्तियों को चक्कर आ रहा हो तो उनके इस रोग को ठीक करने के लिए फॉसफोरस औषधि के द्वारा उपचार करना चाहिए।

4. बोरैक्स- नीचे की गति करने अर्थात सीढ़ी या किसी भी ऊंचे स्थान से नीचे उतरते समय चक्कर आ रहा हो तो बोरैक्स औषधि की 3x मात्रा का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है। इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए जेल्सीमियम औषधि का भी उपयोग कर सकते हैं।

5. नैट्रम म्यूर- जब रोगी बैठी हुई अवस्था में होता है तो उसे चक्कर आता है तथा इसके साथ ही उसे कब्ज की समस्या भी होती है। जब रोगी अपनी आंखों को बंद करता है तो उसे पसीना आने लगता है, दिन हो या रात पसीना आता है। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।

6. कैलकेरिया कार्ब- ऊपर देखने या ऊंचाई पर चढ़ने से चक्कर आ रहा हो तो उसे ठीक करने के लिए कैलकेरिया कार्ब औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी है।

7. बेलाडोना- सोकर उठने पर चक्कर आना या बिस्तर पर करवट बदलते समय चक्कर आने पर कष्ट को दूर करने के लिए बेलाडोना औषधिक की 30 शक्ति का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलेगा।

8. कोनायम- बैठी हुई अवस्था से लेटने पर या उठने पर चक्कर आ रहा हो तो कोनायम औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी होता है। जो वृद्ध व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते हैं उन्हें चक्कर आ रहा हो तो उनके इस रोग को ठीक करने के लिए कोनायम औषधि का उपयोग किया जा सकता है। यदि रोगी किसी वस्तु को एक-टक करके देखता है तो ऐसा लगता है कि वह गोलाई में घूमने लगा है। ऐसे रोगी के इस लक्षण को कोनायम औषधि के द्वारा ठीक कर सकते हैं। यदि रोगी ऊपर से नीचे की ओर जाता है या बिस्तर पर करवटें बदलता है तो उसे चक्कर आता है। रोगी को अधिक कमजोरी महसूस होती है तथा सोने का अधिक मन करता है। ऐसे रोगी के कष्ट को दूर करने के लिए कोनायम औषधि का उपयोग करना चाहिए।

9. नक्स वोमिका तथा सल्फर- यदि रोगी का पेट खराब है, अपचन तथा कब्ज होने के साथ ही चक्कर आ रहा हो तो इस रोग को ठीक करने के लिए नक्स वोमिका औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए तथा इसके बाद सल्फर औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करें।

10. चायना- खून बह जाने, अधिक वीर्य नष्ट होने या शरीर में अधिक कमजोरी होने के कारण चक्कर आ रहा हो तो उपचार करने के लिए चायना औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।

11. ब्रायोनिया- लेटी हुई अवस्था से उठने पर तथा हाथ-पैरों को चलाने से चक्कर आ रहा हो तो इस कष्ट को दूर करने के लिए ब्रायोनिया औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।

12. कौक्कयुलस- यदि स्नायुओं की उत्तेजना के कारण सिर की गुद्दी में दर्द तथा चक्कर हो तो कौक्कयुलस औषधि की 3 या 30 शक्ति से उपचार कर सकते हैं। इस औषधि का प्रभाव नाभि के पीछे के स्नायुमंडल तथा मेरुदंड पर होता है। बस, गाड़ी में चढ़ने पर या पहाड़ों पर चढ़ने से चक्कर आने पर यह औषधि उपयोगी है। भोजन के बाद यदि बस, नाव, गाड़ी या जहाज आदि पर चढ़ने पर जी मिचलाने के साथ चक्कर आ रहा हो तो कौक्कयुलस औषधि से उपचार करना लाभदायक होता है।

13. फेरम मेट- शरीर में खून की कमी होने के कारण चक्कर आना, बैठे या लेटे हुए स्थिति से उठकर खड़े होने पर चक्कर आना, पहाड़ी से नीचे जाते समय चक्कर आना। इस प्रकार के लक्षण होने पर उपचार करने के लिए फेरम मेट औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग किया जाता है।

14. थेरीडियन- जब रोगी आंखे बंद करता है तो उसे चक्कर आने लगता है। ऐसे रोगी के इस लक्षण को थेरीडियन औषधि की 30 शक्ति ठीक कर देती है।

15. ऐम्ब्रा ग्रीसिया- वृद्ध व्यक्ति के चक्कर आने पर इस रोग को ऐम्ब्रा ग्रीसिया औषधि की 3 शक्ति ठीक कर सकती है।

16. कॉस्टिकम- लकवा रोग होने से पहले चक्कर आना तथा इसके साथ ही रोगी में सामने या एक तरफ गिरने के लक्षण होना। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से अत्यंत लाभ मिलता है।

17. अर्जेन्टम नाइट्रिकम- रोगी जब गली में चलता है तो वह सोचता है कि सामने के मकान उस पर न गिर जाए, इस सोच के कारण उसे चक्कर आने लगता है या बहते हुए पानी को देखकर चक्कर आने लगता है। ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए अर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग लाभकारी होगा।

लक्षणों के अधार पर रोग को ठीक करने के लिए औषधियों का उपयोग :-

स्नायविक शिरोघूर्णन :-मस्तिष्क के बहुत से रोगों के कारण चक्कर आ रहा हो तथा यह अधिकतर अबुर्द पैदा होने के कारण हो तो उपचार करने के लिए काफिया औषधि की 6 शक्ति, जिंकम औषधि की 3 से 30 शक्ति, इग्नेशिया औषधि की 3 शक्ति या नक्स-मस्केटा औषधि की 1x मात्रा से 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।

स्नायविक शिरोघूर्णन की अवस्था में उल्टी आने या जी मिचलाने के कारण सिर में चक्कर आ रहा हो, सामान्य चलने-फिरने या आंखों को बंद कर लेने पर लक्षण बढ़ रहे हों तो रोग को ठीक करने के लिए थिरिडियन औषधि की 30 शक्ति या ऐम्ब्रा औषधि की 3 शक्ति का सेवन करने से अत्यंत लाभ मिलता है।

आंखों के रोग के कारण चक्कर आना :-बहुत देर तक आंखों को खोले रहने या फैलाने के कारण सिर में दर्द होने के कारण चक्कर आ रहा हो तो उपचार करने के लिए रूटा औषधि की 1 से 3 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है। आंखों की पुतलियां और पेशियां सिकुड़ने के कारण चक्कर आ रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए फाइसोस्टिग्मा औषधि की मदरटिंचर या 3 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।

*कान के रोग के कारण चक्कर आना :-कान के किसी रोग के कारण चक्कर आने पर चिकित्सा करने के लिए जेल्सिमियम औषधि की 3x मात्रा से 30 शक्ति, स्ट्रैमोनियम औषधि की 3x मात्रा से 30 शक्ति या कास्टिकम औषधि की 6 से 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

पाकाशय या आंतों की गड़बड़ी के कारण चक्कर आना :-रोगी की ऐसी अवस्था में उपचार करने के लिए पल्सेटिला औषधि की 6 शक्ति, ब्रायोनिया औषधि की 6 या 30 शक्ति या फिर नक्स-वोमिका 2x मात्रा से 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

शरीर में खून की कमी होने के कारण सिर में बराबर चक्कर आना:-सुबह के समय में चक्कर अधिक आता है तथा भोजन करने के बाद सिर में चक्कर आना कम हो जाता है और मेहनत करने के बाद सिर में चक्कर आने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए बैराइटा-कार्ब औषधि की 12, सिलिका औषधि की 30 शक्ति या लाइकोपोडियम औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना अधिक लाभकारी है।

शरीर में खून की अधिकता के कारण सिर में चक्कर आना :-इस प्रकार के लक्षण सुबह के समय में नहीं होता और शरीर में खून की अधिकता के साथ ही सिर में दर्द भी होता रहता है। जब रोगी भोजन करता है तो सिर में चक्कर आना बढ़ जाता है और मेहनत करने के बाद चक्कर आना कम हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए नक्स-वोम औषधि की 6 से 30 शक्ति, आर्निका औषधि की 3 शक्ति, ग्लोनोइन औषधि की 3 शक्ति, जेल्स औषधि की 1x मात्रा, बेलेडोना औषधि की 3x मात्रा से 30 शक्ति, लैकेसिस औषधि की 6 शक्ति या नेट्रम-म्यूर औषधि की 12x मात्रा विचूर्ण से 200 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है। हल्का भोजन और नियमित परिश्रम करने से कुछ लाभ होता है यदि सिर झुकाने पर चक्कर आए तो ब्रायोनिया औषधि की 3 से 30 शक्ति, सिपिया औषधि की 6 से 200 शक्ति या कैल्के-कार्ब औषधि की 6 से 200 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।

*स्नायुविक कमजोरी के कारण सिर में चक्कर आना :-इस कमजोरी के कारण सिर में चक्कर आ रहा हो तो एसिड-फास औषधि की 30 शक्ति, जिंकम औषधि की 6 शक्ति, चायना औषधि की 3 शक्ति या फास्फोरस औषधि की 3 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।

सिर में चक्कर आने के कारण से सामने की ओर गिरना :-यदि रोगी में चक्कर आने के साथ की सामने की ओर गिरने के लक्षण हो तो उपचार करने के लिए स्पाइजिलिया औषधि की 3 से 30 शक्ति या साइक्यूटा औषधि की 6 शक्ति का उपयोग करने से अत्यंत लाभ मिलता है।

सिर में चक्कर आकर पीछे की ओर गिरना :-इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए नक्स-वोमिका औषधि की 3x मात्रा, 200 शक्ति, रस-टक्स औषधि की 6, 30 शक्ति या ब्रायोनिया औषधि की 6, 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।

सिर में चक्कर आने के कारण दाहिनी या बायीं ओर गिर पड़ना :-रोगी के सिर में चक्कर आने के कारण से वह अपनी दायीं या बायीं ओर गिर रहा हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सल्फर औषधि का उपयोग करना लाभकारी है।

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