Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

🚩🕉️🪔🌺🌞🌹🙏🌻🍁💐🌷

🕉️🚩समर्पण विद्वानों की भाषा और शिकायत करना मूर्खों का गुण

🚩🚩

🪔🌺🌞🌹🙏🌻🍁💐🌷🕉️🚩

🕉️🚩समर्पण…. यह विद्वान व्यक्ति की भाषा है.. जबकि शिकायत करना मूर्खों का गुण है।
समर्पण, यह जवाबदेही के साथ आपकी जिम्मेदारी है। हमारी कमजोरी ही हमारी नाउम्मीदी का कारण बनती है… अगर आप ऐसी स्थिति से खुद को बचाकर रखना चाहते हैं तो आपको अपनी मजबूतियों को और बढ़ावा देना चाहिए।

🕉️🚩आपकी महानतन शक्ति या ताकत उस समर्पण की ऊर्जा से आती है जिससे आपके जीवन की हर राह उत्कृष्ट बन जाती है। बहुत ही कम लोग बिना किसी व्यवधान या परेशानी के सफलता की राह को पार कर पाते हैं और इसमें अगर कोई उनके लिए सबसे बड़े सहायक के तौर पर काम करता है तो वह है उनका समर्पण भाव।

🕉️🚩समर्पण का अर्थ किसी भी तरह से फंसना या उलझना नहीं है…. यह तो किसी के साथ एकीकृत होने का भाव है। जब आप किसी व्यक्ति या उद्देश्य के साथ एकीकृत हो जाते हैं तो वहां आपका स्वार्थ समाप्त हो जाता है।

🕉️🚩अगर आपके भीतर की ऊर्जा न्यूनतम स्तर पर है तो मुमकिन है बीच रास्ते में ही आपका समर्पण दम तोड़ दे, लेकिन अगर आप अपने भीतर मौजूद उच्चतम ऊर्जा का अनुसरण करते हैं तो आपकी हर कमजोरी आपके मार्ग से स्वयं हटती चली जाएगी और वह धीरे-धीरे कर आपकी उत्कृष्ट ऊर्जा का हिस्सा बन जाएगी।
ऐसी स्थिति आपको अन्य किसी से पहले अपने आप से आध्यात्मिक रूप से एकीकृत करती है … और यह इसलिए जरूरी है क्योंकि बिना एकीकरण के जीवन बेहद खोखला लगता है।

🕉️🚩जहां समर्पण होता है वहां किसी प्रकार का कोई भ्रम नहीं होता। हम चीजों को स्पष्ट देख पाते हैं… संसार वो नहीं जो दिखाई देता है, हम इसे वैसे देखते हैं जैसा हमारा चंचल मस्तिष्क हमें दिखाना चाहता है।
हमारा मस्तिष्क विचारों और शब्दों से भरा हुआ है… जिसके जरिए हम अपने अनुभव बयां करते हैं। ये शब्द हमारी याद्दाश्त को भी प्रभावित करते हैं।

🕉️🚩हम अतीत से अपना भविष्य देख लेते हैं… इसलिए हम इन शब्दों द्वारा बिछाए गए भ्रम जाल में उलझते हैं। हमें बड़ी ही समझदारी के साथ इन्हें स्पष्ट और साफ करना आना चाहिए।
समर्पण के जरिए हम अपने जीवन की हर राह को संतुलित कर सकते हैं, फिर चाहे वह पारिवारिक, सामाजिक, आध्यात्मिक या सामाजिक जीवन ही क्यों ना हो।

🕉️🚩मनुष्य होने के नाते यही तो हमारी कला है… । कला का अर्थ यह कतई नहीं कि हर समय कुछ नई रचना करनी है… मौजूदा हालातों को किस तरह बेहतर और उत्कृष्ट बनाना है.. यह भी मानव की कला है।

🕉️🚩जब आप पूर्ण होते हैं… तभी आप वास्तविक रूप में जीवंत होते हैं ।

–🚩 🚩

Recommended Articles

Leave A Comment