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धर्म और विज्ञान का अनोखा मेल?आइए जानें कि क्या है धार्मिक मान्यताओं का वैज्ञानिक महत्व?

हमारे पूर्वजों ने अनेक प्रकार के नियम एवं मान्यताएं स्थापित की हैं, जिन्हें आज धार्मिक रूप में भी स्वीकार कर लिया गया है. वर्तमान युग में लोग विज्ञान पर ज्याद भरोसा करने लगे हैं और ऐसे में जब हम इन मान्यताओं को वैज्ञानिक तर्क की कसौटी पर कसते हैं तो यही आश्चर्य होता है कि क्या हमारे पूर्वजों की सोच भी इतनी वैज्ञानिक थी!!

तुलसी का महत्त्व!!!!!!!!

हिन्दू धर्म में तुलसी को अत्यंत महत्वपूर्ण समझा गया है। रोज सवेरे तुलसी को जल देना और पूजा अर्चना करने का विधान है और प्रत्येक घर में तुलसी का पौधा होना आवश्यक माना गया है।

वैज्ञनिक शोधों में पाया गया है कि मानव शरीर के लिए तुलसी का पौधा अनेक प्रकार से लाभदायक है। नित्य उसके सानिध्य से शुद्ध हवा शरीर को प्राप्त होती है, अनेक रोगों में भी इसके पत्ते, इसके बीज लाभकारी सिद्ध होते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर भी तुलसी को जड़ी बूटी मानकर दवाओं में प्रयोग करते हैं।

सूर्य नमस्कार!!!!!!!!

रोज सवेरे सूर्य की पूजा अर्थात सूर्य नमस्कार के साथ जल अर्पित करने को हमारे धर्म ग्रंथों में महत्वपूर्ण बताया गया है। सूर्योदय के समय जो किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं।

इसलिए हमारे पूर्वजों ने इन किरणों से मानव को स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए सूर्य को देवता के रूप में प्रस्तुत किया और रोज सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्योदय के समय में जल अर्पण करने का प्रावधान किया है।

विभिन्न उपवासों की धार्मिक मान्यता!!!!!!!!!!

यदि हम प्रत्येक उपवासों पर दृष्टि डालें तो सभी उपवासों का एक ही उद्देश्य प्रतीत होता है कि मानव को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखा जाए।

सारी शारीरिक समस्याओं की जड़ पेट होता है अर्थात यदि पेट की पाचन क्रिया दुरुस्त है तो शरीर व्याधि रहित रहता है। उसे ठीक रखने के लिए समय-समय पर उपवास करना सर्वोत्तम माना गया है, फिर चाहे उपवास रोजे के रूप में हो या फिर नवरात्री के रूप में। इन उपवासों से इंसान के शरीर में सहन शक्ति का संचार होता है।

धार्मिक स्थलों में घंटी का महत्त्व!!!!!!!!

धार्मिक स्थलों पर घंटे बजाने का चलन है, परन्तु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इसका भी एक वैज्ञानिक आधार है, जिसका स्वस्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। घंटी बजने से उत्पन्न ध्वनि तरंगें कीटाणुओं का नाश करती हैं और धार्मिक स्थल के वातावरण को प्रदूषण रहित बनाती हैं।

इस प्रकार शुद्ध यानि प्रदूषण रहित वातावरण में बैठकर पूजा अर्चना करने से स्वस्थ्य लाभ भी मिलता है। शायद हमारे पूर्वजों की सोच रही होगी कि मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए बीमार व्यक्ति भी आते है, जिनके रोगाणु अन्य भक्तों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अतः मंदिरों को संक्रमण रहित करने की युक्ति घंटी बजा कर निकाली गयी होगी|

गायत्री मंत्रों का महत्व!!!!!!!!!

गायत्री मन्त्रों का जाप सर्वाधिक महत्वपूर्ण जाप माना गया है इसीलिए अनेक विद्वानों ने इसे अपनी उपासना का अंग बनाया है। जाप कोई भी हो सबका उद्देश्य मन को केंद्रित कर उसे अनेक बुराइयों से बचाना होता है और इससे शारीरिक ऊर्जा का विकास होता है।

हरिद्वार में स्थित ब्रह्म वर्चस्व में इस विषय पर शोध करने के पश्चात पाया गया कि गायत्री मन्त्र के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें अन्य किसी भी मंत्र के मुकाबले सर्वाधिक अनुकूल प्रभाव डालती हैं। अतः इस मन्त्र का वैज्ञानिक महत्त्व चमत्कारिक है। इसके लगातार उच्चारण करने से शारीरिक ऊर्जा के साथ-साथ जप के स्थान पर भी ऊर्जा का संचार पाया गया है।

हवन का प्रयोजन कितना महत्वपूर्ण!!!!!!!!!

जब हवन का आयोजन होता है उस समय विभिन्न मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है (जिनका महत्व ऊपर बताया गया है)। उसके पश्चात हवन कुंड में देसी घी, कपूर, हवन सामग्री तथा आम की लकड़ी प्रज्वलित की जाती है।

सभी भक्त उसके निकट बैठे होते हैं, इन वस्तुओं के प्रज्वलन से भक्तों को शुद्ध ऑक्सिजन का सेवन करने का अवसर प्राप्त होता है, जो हमारे स्वास्थ्य रक्षा और रोगों के निदान के लिए महत्वपूर्ण होता ह हवन से वायु शुद्ध होती है इससे वातावरण में व्याप्त जीवाणु और विषाणु नष्ट हो जाते हैं साथ ही हम संक्रमण से बचते हैं। यह सभी प्रकार के लाभ वैज्ञानिक शोधों से सिद्ध हो चुके हैं|

गंगा का महत्व!!!!!!!!!

वैसे तो किसी भी नदी में स्नान का अर्थ प्रकृत्ति से निकटता से है क्योंकि हमारे शरीर की संरचना पंचतत्वों यानि अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश से निर्मित मानी गयी है।

अतः जब हम किसी नदी या तालाब में स्नान करते हैं तो खुले आकाश के नीचे, पृथ्वी,वायु, जल और सूर्य अर्थात अग्नि, हमारा शरीर सभी के संपर्क के होता है। इस प्रकार नदी या तालाब में स्नान करने का अर्थ है अप्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य लाभ करना।

पूजा अर्चना का महत्व!!!!!!!

पूजा अर्चना अपनी-अपनी आस्था का और विश्वास का क्षेत्र है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार पूजा, ध्यान, जप, ये सब मन को केन्द्रित करने में मदद करते हैं,जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मन के विकारों से मुक्ति पाने में सहायता मिलती है।

नदियों में सिक्के अर्पित करने का महत्त्व!!!!!!!!

नदियों में, विशेषकर गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में, सिक्के अर्पित करने को धर्म लाभ माना गया है, परन्तु इसके पीछे भी रहस्य छिपा हुआ है। प्राचीन काल में सिक्के ताम्बे के होते थे, जिन्हें नदी में डालने से नदी के जल को शुद्ध करने में सहायता मिलती थी।

यद्यपि यह परंपरा आज अप्रासंगिक हो गयी है क्योंकि न तो सिक्के ताम्बे के होते हैं और नदियों में जो भयंकर प्रदूषण हो गया है, जिस वजह से सिक्कों से जल स्वच्छ होने की कोई संभावना नहीं रह गयी है।

अंतिम यात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य’ का उच्चारण!!!!!!!!!!!

अंतिम यात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ का उच्चारण किया जाता है और यह इस बात का प्रमाण है कि मृतक की मृत्यु स्वाभाविक तौर पर हुई है। उसमे शामिल सभी लोग गवाह होते हैं और साथ ही शोक संतृप्त व्यक्तियों की संख्या मृतक के प्रति लोगों की श्रद्धा का परिचायक है।

अंतिम यात्रा में शामिल व्यक्तियों का समूह उस व्यक्ति की लोकप्रियता और प्रतिष्ठा का परिचायक होता है। अंतिम यात्रा में शामिल होना प्रत्येक व्यक्ति को समाज के प्रति उसके कर्तव्य का बोध कराता है। आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं परन्तु हमारे पूर्वजों ने इस परंपरा का प्रारंभ समाज के हित में किया था।

           

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