क्या नदी में पैसे डालने चाहिए ?
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हमारे देश में रोज न जाने कितनी रेलगाड़ियाँ नदियों को पार करती हैं और उनके यात्रियों द्वारा हर रोज नदियों में सिक्के फेंकने का चलन है!
अगर रोज के सिक्कों के हिसाब से गणना की जाए तो ये रकम 4/5 अंको को तो पार करती होगी।
बिना सोचे समझे इस तरह भारतीय मुद्रा ऐसे फेंकना सही है ???
क्योंकि वर्तमानमें सिक्के 83% लोहा और 17 % क्रोमियम के बने होते हैं।
और,
क्रोमियम एक भारी जहरीली धातु है।
क्रोमियम दो अवस्था में पाया जाता है, एक Cr (III) और दूसरी Cr (IV)। इनमें क्रोमियम (IV) जीव जगत के लिए घातक होता है।अगर इसकी मात्रा 0.05% प्रति लीटर से ज्यादा हो जाए तो ऐसा पानी हमारे लिए जहरीला बन जाता है। जो सीधे कैंसर जैसी असाध्य बीमारी को जन्म देता है।
भारतमे नदीमें सिक्के डालने का चलन ताँबे के सिक्के के समय था।
प्राचीनकाल में एक बार दूषित पानी से बीमारियाँ फैली थीं तो, राजा ने हर व्यक्ति को अपने आसपास के जल के स्रोत और जलाशयों में ताँबे के सिक्के को फेकना अनिवार्य कर दिया था। क्योंकि ताँबा जल को शुद्ध करने वाली सबसे अच्छी धातु है”
आजकल सिक्के नदी में फेंकने से किसी तरह का उपकार नहीं बल्कि जल प्रदूषण और बीमारियों को बढ़ावा हो रहा है।
मुजे विश्वास है आप समझदारी से कार्य करेंगे।
और आगे सभीको भेजेंगे ताकी हमें शुद्ध जल मिले।
धन्यवाद।