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शिवगंगागंगाधरेश्वरमंदिरतुमुकूरुकर्नाटक

एक मंदिर जो विज्ञान के लिए 1600 सालो से आश्चर्यजनक पहेली बना हुआ है।
1600 वर्षों से इस मंदिर में हो रहा है चमत्कार, शिव के अभिषेक के समय घी मक्खन बन जाता है। विज्ञान भी इस रहस्य को आज तक नहीं खोज पाया।कुछ विषयों का उत्तर विज्ञान के पास में भी नहीं होता है। सनातन धर्म के बारे में आप जितना जानने की कोशिश करते हैं, वह उतनी ही रहस्यमयी और गहरी होती जाती है। अब एक रहस्य ऐसा भी है, जहां शिवजी पर अभिषेक किया गया घी, मक्खन का रूप ले लेता है। हम सब जानते हैं कि एक बार मक्खन को पिघलाकर घी बना दिया तो फिर उसे मक्खन के रूप में लाना असंभव है।

लेकिन कर्नाटक के तुमुकूरु जिले के शिवगंगा गंगाधरेश्वर मंदिर में ऐसा अद्भुत होता है, जहां पर विज्ञान भी तर्क विहीन हो कर मूक प्रदर्शक बन कर रह जाता है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलूर से 54 किलोमीटर और तुमुकूरु से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिवगंगा पहाड़ पर यह मंदिर स्थित है। शिवगंगा 804.8 मीटर या 2640.3 फीट की ऊंचाई के पर्वत शिखर पर यह मंदिर स्थित है। इस पर्वत का आकार शिवलिंग की तरह है और पास ही में एक नदी बहती है, जिसे गंगा के नाम से जाना जाता है। इसी कारण से इस मंदिर का नाम शिवगंगा पड़ गया है।

शिवगंगा गंगाधरेश्वर मंदिर को “दक्षिण काशी” भी कहा जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के स्वयंभू शिवलिंग पर जब घी का अभिषेक किय जाता है, तो वह मक्खन में बदल जाता है! यह भगवान का चमत्कार है या इसके पीछे कोई विज्ञान है यह कोई नहीं जानता। माना जा रहा है कि करीब 1600 वर्षो से यह चमत्कार हो रहा है। अभिषेक के समय भक्त इस चमत्कार को अपने आँखों से देख सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मक्खन में बदलने वाली घी में औषधीय शक्तियां होती है और उसका सेवन कई बीमारियों को ठीक कर सकती है।

पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर के गर्भ गृह से एक गुप्त सुरंग मार्ग गुजरता है जो 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित गवि गंगाधरेश्वर मंदिर से संपर्क करता है। मक्खन से घी बनते सबने देखा है लेकिन घी से मक्खन बनते न किसी ने देखा है ना सुना है। अगर इस चमत्कार को अपने आँखो से देखना है तो शिवगंगा मंदिर जाइये और सत्य को परख कर देखिए।
।। ज़य_महाकाल ।।

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