ब्रह्मांड का सबसे बडा़ धनुर्धारी उस दिन परेशान था..वह अपने अवचेतन मन से ही एक लंबे समय ये लडा़ई कर रहा था….
उसने कान्हा की ओर देखा और तुरंत प्रश्न दाग दिया-
जीवन इतना कठिन क्यों हो गया है ?
केशव मुस्कुरा उठे..उन्होने कहा,जीवन के बारे में सोचना बंद कर दो,ये जीवन को कठिन करता है,सिर्फ जीवन को जियो..
पर अर्जुन अभी भी उद्धेलित थे..उनके मन में एक एक प्रश्न आ-जा रहे थे..वो पूछ बैठे…
हम सदैव दुखी क्यों रहते है ?
कृष्ण अपनी बांसुरी बजाते बजाते बीच में रूके और बोले,चिंता करना तुम्हारी आदत बन चुकी है , तुम दुखी हो…!
पर केशव लोगो को इतना कष्ट क्यों भुगतना पड़ता है ?
वासुदेव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और हंसते हुए बोले,हीरे को रगड़ के बिना चमकाया नहीं जा सकता और सोने को कभी ताप के बिना खरा नहीं किया जा सकता , अच्छे लोगो को परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है , ये कष्ट भुगतना नहीं हुआ..अनुभव से जीवन सुखद बनता है , ना की दुखद..
आप के कहने का मतलब है की ये अनुभव काम के है ?
मेरे कहने का मतलब यही है की अनुभव एक कठोर शिक्षक है , जो पहले परीक्षा लेते है और बाद में पाठ पढाते है..
पर केशव जीवन की बहुत सारी समस्याओं की वजह हमें ये ही समझ नहीं आता की हम किधर जा रहे है ?
कृष्ण बोले,अगर बाहर देखोगे तो समझ नहीं आएगा की कंहा जा रहे है , अपने भीतर देखो। आँखे दिशा दिखाती है और हृदय रास्ता…
अर्जुन ने पूछा ,पर क्या असफलता ज्यादा दुखी करती है या सही दिशा में नहीं जा पाना ?
वासुदेव गंभीर हो गये..बोल उठे, सफलता का मापदंड हमेशा दूसरे लोग तय करते है और संतुष्टि का आप स्वयं…
अर्जुन ने फिर पूछा, कठिन समय में अपने आप को प्रेरित कैसे रखना चाहिए ?
जबाब मिला, हमेशा देखो आप कितने दूर आ चुके हो बजाये ये देखने के की अभी कितनी दूर और जाना है , हमेशा ध्यान रखे ईश्वर की कृपा से क्या मिला है ये नहीं की क्या नहीं मिला है…
श्री कृष्ण ने आगे कहा लोगो के बारे में सबसे अधिक अचंभित करता है जब वे कठिनाई में होते है तो कहते है “मैं ही क्यों ?” जब वो समृद्ध होते है तब कभी नहीं कहते की “मैं क्यों ?”
अर्जुन ने पूछा..मैं अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ?
योगेश्वर के होठो पर मुस्कान तैर गयी…बोले,अपने पिछले जीवन का बिना किसी खेद के सामना करो , वर्तमान को आत्म विश्वास से जियो और भविष्य का सामना करने के लिए अपने को निडरता से तैयार रखो..
अर्जुन ने अंतिम प्रश्न किया..कई बार मुझे ऐसा लगता है की मेरी प्रार्थनाओं की सुनवाई नहीं होती..
नीली छतरी वाला हँस पडा़…बोल उठा,कोई भी ऐसी प्रार्थना नहीं है जिसकी सुनवाई न हुई हो , विश्वास रखो और भय मुक्त हो जाओ..जीवन एक पहेली है सुलझाने के लिए , कोई समस्या नहीं है जिसका हल खोजा जाये… मुझ पर विश्वास रखो , जीवन बहुत सुन्दर है अगर आपको जीना आता है तो , हमेशा खुश रहो..
अर्जुन के मन को एक चिर शांति मिल चूकी थी….कान्हा बांसुरी बजाने में लीन हो गये..!
दुनिया के सबसे बडे़ मैनेजिंग डायरेक्टर और एकमात्र ऐसे दैविय शख्स जिन्होने कुरूक्षेत्र में सीना ठोककर कहा था कि अर्जुन मैं ही ‘ईश्वर’ हूँ…
उनके जन्मोत्सव की अशेष शुभकामनाए….बधाई..
हैप्पी बड्डे कान्हा ❤️
जन्माष्टमी की सबको अनंत बधाईयाँ..