Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

🌷🍃ओ३म् सादर नमस्ते जी 🌷🍃
🌷🍃आपका दिन शुभ हो 🌷🍃

दिनांक – – ३० दिसम्बर – – २०१८
दिन – – रविवार
तिथि – – नवमी
नक्षत्र – – हस्त
पक्ष – – कृष्ण
माह – – पौष
ऋतु – – शिशिर
सूर्य – – उत्तरायण
सृष्टि संवत् – – १,९६,०८,५३,११९
कलयुगाब्द – – ५११९
विक्रम संवत् – – २०७५
शक संवत् – – १९४०
दयानंदाब्द – – १९५

🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃

🌷>>>>सत्यार्थ प्रकाश<<<<<<
सत्यार्थ प्रकाश : क्या और क्यों
🍂🌾🌿🍂🌾🌿🍂🌾

🌷महर्षि दयानन्द ने उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम चरण में अपना कालजयी ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश रचकर धार्मिक जगत में एक क्रांति कर दी . यह ग्रन्थ वैचारिक क्रान्ति का एक शंखनाद है . इस ग्रन्थ का जन साधारण पर और विचारशील दोनों प्रकार के लोगों पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा . हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाले किसी दुसरे ग्रन्थ का एक शताब्दी से भी कम समय में इतना प्रसार नहीं हुआ जितना की इस ग्रन्थ का अर्धशताब्दी में प्रचार प्रसार हुआ .हिन्दी में छपा कोई अन्य ग्रन्थ एक शताब्दी के भीतर देश व विदेश की इतनी भाषाओँ में अनुदित नहीं हुआ जितनी भाषाओँ में इसका अनुवाद हो गया है. हिन्दी में तो कवियों ने इसका पद्यानुवाद भी कर दिया।

  सबसे पहला ग्रन्थ विश्व में इस युग में चमत्कारों को चुनौती देने वाला सबसे पहला ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश है, जिस मनीषी ने चमत्कारों को तर्क तुला पर तोल कर मतों पंथो को अपने व परायों को झकझोरा विश्व का वह पहला विचारक महर्षि दयानंद सरस्वती है, सत्यार्थ प्रकाश के प्रणेता तत्ववेता ऋषि दयानंद को न तो पुराणों के चमत्कार मान्य है और  न ही बाईबल व कुरान के, हनुमान ने सूर्य को मुख में ले लिया यह भी सत्य नही है और हज़रत ईसा ने रोगियों को चंगा कर दिया, मृतकों को जीवित कर कर दिया तथा हज़रत मुहम्मद साहब ने चाँद के दो टुकड़े कर दिये  - ये भी ऐतिहासिक तथ्य नही है, हज़रत मुसा हो अथवा इब्राहीम सृष्टि नियम तोड़ने में कोई भी सक्षम नही हो सकता, आर्य विद्वानोंने इस विषय पर सैकड़ों शास्त्रार्थ किये। 

सार्वभौमिक नित्य सत्य : इस ग्रन्थ का लेखक ईश्वर जीव प्रकृति इन तीन पदार्थों को अनादि मानता है । ईश्वर के गुण कर्म स्वभाव भी अनादि
व नित्य हैं । सृष्टि नियमों को भी ग्रन्थ करता अनादि व नित्य तथा सार्वभौमिक मानता है । विज्ञान का भी यही मत है की सृष्टि नियम अटल अटूट सार्वभौमिक हैं । इन नियमों का नियंता परमात्मा है । परमात्मा की सृष्टी नियम न तो बदलते हैं न टूटते हैं न घटते है न बढते हैं और न ही घिसते हैं इसलिए चमत्कार की बातें करना एक अन्धविश्वास है किसी भी मत का व्यक्ति चमत्कार में आस्था रखता है तो यह अन्धविश्वास है।सबसे पहला ग्रन्थ विश्व में इस युग में चमत्कारों को चुनौती देने वाला सबसे पहला ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश है। जिस मनीषी ने चमत्कारों को तर्क तुला पर तोलकर मत पंथों को अपनों व परायों को झाक्खोरा विश्व का वह पहला विचारक महर्षि दयानन्द बना।
.
एकादश समुल्लास की अनुभुमिका ने भारतीयों
की हीन भावना को भगाया. यह इसी अनुभुमिका ने भारतीयों की हीन भावना को भगाया, यह इसी अनुभुमिका का प्रभाव था।

सत्यार्थ प्रकाश ने देशवासियों को स्वराज्य का मंत्र दिया, इनके अतिरिक्त सत्यार्थ प्रकाश में वर्णित कुछ वाक्यों व विचारों की मौलिकता व महत्व्य को विचारकों ने जाना व माना परन्तु उनका व्यापक प्रचार नहीं किया गया, इन्हें हम संक्षेप में यहाँ देते हैं : ऋषी दयानन्द आधुनिक विश्व के प्रथम विचारक हैं जिन्होंने इस ग्रन्थ में सबके लिए अनिवार्य व निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा का सिद्धांत रखा, उनके एक प्रमुख शिष्य स्वामी श्रद्धनन्द जी ने भारत में सबसे पहले निःशुल्क शिक्षा प्रणाली का प्रयोग
किया ,ऋषी ने अपने इस ग्रन्थ में लिखा है कृषक व श्रमिक आदि राजाओं के राजा हैं, कृषकों व श्रमिकों का समाज में सम्मान का स्थान है , इस युग में ऐसी घोषणा करने वाले पहले धर्म गुरु ऋषी दयानन्द ही थे ऋषी ने अपने इस ग्रन्थ के १३ वे समुल्लास में लिखा है की यदि कोई गोरा किसी काले को मार देता है तो भी पक्षपात करते हुए न्यायालय उसे दोषमुक्त करके छोड़ देता है, इसाई मत की समीक्षा करते हुए ऐसा लिखा गया है, यह महर्षि की निर्भीकता व सत्य वादिता एवं प्रखर देशभक्ति का एक प्रमाण है, बीसवीं शताब्दी में आरंभिक वर्षों में मद्रास कोलकाता व रावलपिंडी आदि नगरों में ऐसे घटनाएं घटती रहती थी, मरने वालों के लिए कोई बोलता ही नहीं था, प्रथम विश्व युद्ध तक गांधी जी भी अंग्रेज जाति की न्याय प्रियता में अडिग आस्था रखते हुए अंग्रेजी न्याय पालिका का गुणगान करते थे महर्षि दयानन्द प्रथम भारतीय महापुरुष हैं जिन्होंने विदेशी शाषकों की न्याय
पालिका का खुलकर अपमान किया, ऋषी ने विदेशियों की लूट खसोट व देश की कंगाली पर तो इस ग्रन्थ में कई बार खून के आंसू बहाये हैं तेरहवें समुल्लास में ही इसाई मत की समीक्षा करते हुए लिखा है कि तभी तो ये इसाई लोग दूसरों के धन पर ऐसे टूटते हैं जैसे प्यासा जल पर व भूखा अन्न पर, ऐसी निर्भीकता का हमारे देश के आधुनिक इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता ।

इसलिए अगर अज्ञानता की बेड़ियों को काटना है तो अपने घर में सत्यार्थ प्रकाश जरुर रखें ।

🍂🌾🌿🍂🌾🌿🍂🌾

🌷महर्षि दयानंद के बारे मे अन्य महापुरुषों के विचार –

१- “स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्वल्यमान नक्षत्र थे दयानंद।” – लोक मान्य तिलक

२- “आधुनिक भारत के आद्यनिर्मता तो दयानंद ही थे ।”- सुभाष चंद्रबोस

३- “सत्य को अपना ध्येय बनाये और महर्षि दयानंद को अपना आदर्श।”- स्वामी श्रद्धानंद

४- “महर्षि दयानंद इतनी बड़ी हस्ती हैं के मैं उनके पाँव के जूते के फीते बाधने लायक भी नहीं।”- ए .ओ.ह्यूम

५- “स्वामी जी ऐसे विद्वान और श्रेष्ठ व्यक्ति थे, जिनका अन्य मतावलम्बी भी सम्मान करतेथे।”- सर सैयद अहमद खां

६- “आदि शङ्कराचार्य के बाद बुराई पर सबसे निर्भीक प्रहारक थे दयानंद ।”- मदाम ब्लेवेट्स्की

७- “ऋषि दयानन्द का प्रादुर्भाव लोगों को कारागार से मुक्त कराने और जाति बन्धन तोड़ने के लिए हुआ था। उनका आदर्श है-आर्यावर्त ! उठ, जाग, आगे बढ़।समय आ गया है, नये युग में प्रवेश कर।”- फ्रेञ्च लेखक रिचर्ड

८- “गान्धी जी राष्ट्र-पिता हैं, पर स्वामी दयानन्द राष्ट्र–पितामह हैं।”- पट्टाभि सीतारमैया

९- “भारत की स्वतन्त्रता की नींव वास्तव में स्वामी दयानन्द ने डाली थी।”- सरदार पटेल

१०- “स्वामी दयानन्द पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने आर्यावर्त (भारत)आर्यावर्तीयों (भारतीयों) के लिए की घोषणा की।”-एनी बेसेन्ट

११- “महर्षि दयानंद स्वाधीनता संग्राम के सर्वप्रथम योद्धा थे ।”-वीर सावरकर

१२- “ऋषि दयानंद कि ज्ञानाग्नि विश्व के मुलभुत अक्षर तत्व का अद्भुत उदाहरण हैं।|”-डा. वासुदेवशरण अग्रवाल

१३- “ऋषि दयानंद के द्वारा कि गई वेदों कि व्याख्या की पद्धति बौधिकता, उपयोगिता, राष्ट्रीयता एवं हिंदुत्व के परंपरागत आदेशो के अद्भुत योग का परिणाम हैं ।” -एच. सी. ई. जैकेरियस

१४- “स्वामी दयानंद के राष्ट्र प्रेम के लिए उनके द्वारा उठाये गए कष्टों, उनकी हिम्मत, ब्रह्मचर्य जीवन और अन्य कई गुणों के कारण मुझको उनके प्रति आदर हैं।| उनका जीवन हमारे लिए आदर्श बन जाता हैं | भारतीयों ने उनको विष पिलाया और वे भारत को अमृत पीला गए।”-सरदार पटेल

१५- “दयानंद दिव्य ज्ञान का सच्चा सैनिक था, विश्व को प्रभु कि शरणों में लाने वाला योद्धा और मनुष्य व संस्थाओ का शिल्पी तथा प्रकृति द्वारा आत्माओ के मार्ग से उपस्थित कि जाने वाली बाधाओं का वीर विजेता था।”-योगी अरविन्द

१६- “मुझे स्वाधीनता संग्राम मे सर्वाधिक प्रेरणा महर्षि के ग्रंथो से मिली है।|”-दादा भाई नैरोजी

१७- “मैंने राष्ट्र, जाति और समाज की जो सेवा की है उसका श्रेय महर्षि दयानंद को जाता है।”-श्याम जी कृष्ण वर्मा

१८- “स्वामी दयानंद मेरे गुरु हैं उन्होंने हमें स्वतंत्रता पूर्वक विचारना, बोलना और कर्तव्यपालन करना सिखाया।”-लाला लाजपत राय

१९- “स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्वल्यमान नक्षत्र थे दयानंद ।”-लोकमान्य तिलक

२०- “हमारे विचार और मानसिक विकास अधिकाँश आर्य समाज की देन ह।|”-बलिदानी भगत सिंह

२१- “राजकीय क्षेत्र मे अभूतपूर्व कार्य करने वाले महर्षि दयानंद महान राष्ट्रनायक और क्रन्तिकारी महापुरुष थे ।”- लाल बहादुर शास्त्री।

🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃

💐🙏आज का वेद मंत्र 💐🙏

🌷ओ३म् शं नो द्यावापृथवी पर्वहूतौ शमन्तरिक्षं दृशये नो अस्तु। शं न ओषधीर्वनिनो भवन्तु शं नो रजस्पतिरस्तु जिष्णु:।।(ऋग्वेद ७|३५|५)

💐अर्थ :- पहले स्तुति किये हुए द्युलोक और पृथ्वी लोक हमारे लिए शान्तिदायक हो, सूर्य चन्द्रमा वाला अन्तरिक्ष हमारी नेत्र ज्योति के लिए शान्ति देने वाला हो, औषधियां- अन्नादि और वन पदार्थ हमें शान्ति कारक हो, जगत् का स्वामी जयशील परमेश्वर हमें सदा शान्ति दायक हो।

🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃

🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुदिनम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुप्रभातम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सर्वेभ्यो नमः

💐🙏💐🙏कृण्वन्तोविश्मार्यम 💐🙏💐🙏जय आर्यावर्त 💐🙏💐🙏जय भारत

Recommended Articles

Leave A Comment