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आज कुछ शिव के विषय मे लिखने को दिल हुआ तो उनके तांडव पर दिल कर आया कि आपसे कुछ शेयर करूँ । क्योंकि महादेव हैं ही निराले तो इनका नृत्य साधारण कैसे हो सकता है ? शिव के दिव्य नृत्य के बारे में हर किसी ने सुना होगा। इसे शिव के तांडव नृत्य के रूप में भी जाना जाता है। आज मैं इसी बारे में विस्तार से चर्चा करने वाला हुँ। तांडव शब्द ‘तंदुल’ से बना हुआ है। इसका अर्थ है- उछलना। तांडव करते से समय ऊर्जा और शक्ति से उछलना होता है। इससे दिमाग और मन के शक्तिशाली होने की बात कही गई है। मालूम हो कि तांडव नृत्य करने की अनुमति केवल पुरुषों को ही है।
किसी महान संत से मैने यह भी सुना था कि यह पैर के दोनों अंगूठों पर भी किया जाता है जो कोई लाखों करोड़ों मे एक ही कर सकता है । महिलाओं को तांडव नृत्य करने के लिए मना किया गया है जबकि राम और दुर्गा जी द्वारा भी मैने तांडव सुना हुआ है । इसपर अधिक जानकारी मुझे नही है ।
शिव को प्रिय है अपना तांडव, जिसके दो रूप हैं- रौद्र तांडव और आनंद तांडव। जब शिव रौद्र तांडव करते हैं तो वे रुद्रत्व को प्राप्त होते हैं। वही शिव जब आनंद तांडव के उल्लास में मग्न होकर नाचते हैं तो वे नटराज कहलाते हैं। जहां रौद्ररूप में वे संहार का कार्य करते हैं, वहीं नटराज के रूप में वे सृजन करते हैं।आज भारत मे जितने भी क्लासिकल नृत्य हैं वह तांडव का अंशमात्र हैं ।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव जब रौद्र रूप में होते हैं तब उनकी विशेष उपासना की जाती है। शांत शिव को मनाना काफी आसान माना जाता है। लेकिन जब शिव रूठ जाते हैं तो उन्हें मनाने का एक ही तरीका शेष बचता है। इसके लिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया जाता है। हालांकि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कुछ विशेष परिस्थितियों में ही करने के लिए कहा गया है। कहते हैं कि जब कोई बीमारी बिल्कुल भी ठीक ना हो रही हो उस दशा में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। चाहे कोई भी आराध्य हों आपके बिन शिव पूजा उनकी प्राप्ति नही हो सकती ।

इसके साथ ही जब किसी समस्या के समाधान में सारे तंत्र-मंत्र विफल हो जाएं तब शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। जीवन में विशेष उपलब्धि प्राप्त करने के लिए भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ उत्तम माना गया है। मालूम हो कि तांडव नृत्य के साथ शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने के कुछ समय बाद तक भी भगवान शंकर का ध्यान करते रहना चाहिए, वेसे इच्छा तो विधि लिखने की भी हो रही है परन्तु लेख बहुत लंबा हो चुका है इस लिये इसपर फिर लिखूंगा । माना जाता है कि विधि से की गई उपासना बहुत ही प्रभावी होती है। इससे शिव जी बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। वैसे भी साधारण जल से , बेल पत्र से प्रसन्न हो जाते हैं मेरे भोलेनाथ । उनकी महिमा ही अनन्त है ।

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