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काली मिर्च के अद्भुत फायदे :

उम्र बढ़ने के साथ ही होने वाला गठिया रोग काली मिर्च का इस्तेमाल बहुत ही फयदेमंद होता हैं। इसे तिल के तेल में जलने तक गरम करे। उसके बाद इस तेल को ठंडा होने पर दर्द वाली जगह आदि पर लगाए आपको बहुत ही आराम मिलेगा।

जंक फुड के कारण बवासीर की समस्या आजकल ज़्यादातर लोगो को रोग कर रही हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए जीरा, काली मिर्च और चीनी या मिशरी को पीस कर एक साथ मिला ले। सुबह-शाम दो से तीन बार इसे लेने से बवासीर में राहत मिलती हैं।

पेट दर्द का कारण सिर्फ़ खराब ख़ान-पान ही नही होता हैं, बल्कि कीड़े भी इसकी वजह हो सकते हैं। इससे भूख कम लगती हैं और वजन तेज़ी के साथ घटने लगता हैं। इन्हे डोर करने के लिए च्छच्छ में काली मिर्च का पाउडर मिला कर पिए इसके अलावा काली मिर्च को किसमिस के साथ मिला कर खाने से भी पेट के कीड़े दूर होते हैं।

त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है।

काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है।

ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करें।
काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फंाक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है।

आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है।

शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है।

चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।
कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।

हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में निम के कोमल 7 ताजा पत्ते, 7 कालिमिर्ची और चुटकी भर सेंधा नमक पानी डालकर पीसकर 5 चम्मच पानी में घोलकर सुबह भूखे पेट एक बार एक दिन में पियें। इसके बाद 2 घंटो तक कुछ न खाएं। यह एक व्यक्ति की खुराक हैं ऐसे लेने से साल भर बुखार नहीं आएगा। हर साल इसी तरह लेते रहे और बुखार से बचें रहे।

कालिमिर्ची में मौजूद पाईपरिन नामक तत्व कीटाणुनाशक होता हैं। यह मलेरिया और वायरस जैसे ज्वरो के विषाणुओं को नष्ट कर देता हैं। 60 ग्राम पीसी हुई कालिमिर्ची 2 ग्लास पानी में इतना उबालें की आधा ग्लास पानी रह जाये फिर इसे छानकर हर 4 घंटे से उसके 3 भाग करके पियें। इससे मलेरिया बुखार ठीक हो जाता हैं।

सिर में डेंड्रफ और खुजली के वजह से बाल गिरते हो तो कालिमिर्ची, प्याज, नमक सबको पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। बालो का झड़ना बंद हो जायेगा।

अगर बाल सफ़ेद हो गए हो तो 10 कालिमिर्ची रोजाना सुबह भूखे पेट और शामको चबाकर निगल जाएं। यह प्रयोग कम से कम एक साल से ज्यादा करें। यह आजमाया हुआ प्रयोग हैं। कालिमिर्ची मीठे तेल, (तिल का तेल) मिलाकर लगाएं तो और अधिक लाभ होगा।

कालिमिर्ची और फिटकरी समान मात्रा में बारीक पीसकर मिला लें। थोड़ा सा पाउडर लेकर पानी डालकर पेस्ट बनाकर तिनके की रुई लगाकर फुरेरी से मस्सों पर रोजाना दिन में 3 बार लगाएं। मस्से हट जायेंगे।

फोड़ा, फुंसी, दाध, खुजली आदि पर पीसी कालिमिर्ची और घी मिलाकर लगाए लाभ होता हैं।
हरे पुदीना के 30 पत्ती 2-2 चम्मच सौंफ और मिश्री, 5 कालिमिर्ची सब में पानी डालकर पीसकर एक कप गर्म पानी में घोलकर छानकर पिने से हिचकी बंद हो जाएगी।

5 कालिमिर्ची जलाकर पीसकर बार बार सूंघने से हिचकी बंद हो जाती हैं।
निम की निम्बोली के अंदर की सुखी गिरी और कालिमिर्ची को बराबर मात्रा में लेकर दोनों को कूटपीसकर आधा चम्मच रोजाना सुबह भूखे पेट पानी से फांकी 2 सप्ताह तक लें। इससे आशातीत लाभ होंगे, चाहे केसा भी बवासीर हो ठीक हो जाती हैं।

यह पाचनशक्ति बढ़ाती हैं। एक कालिमिर्ची, जीरा, सेंधा नमक, सोडा, पीपल सब समान भाग में लेकर पिसलें खाना खाने के बाद आधा चम्मच पानी से 2 बार लें। खाना अच्छी तरह से पचेगा हजम होगा।
अगर खाना ठीक से नहीं पचता हो और शौच ढीली और आंवयुक्त होती हो तो कालिमिर्ची सेंधा नमक अजवाइन सुखा पोदीना बड़ी इलायची समान भाग में पीसकर एक-एक चम्मच 2 बार खाने के बाद फांक लें।

5 ग्राम कालिमिर्ची पीसकर आधा चम्मच गाय के घी के साथ लेने से सब तरह की खुजली और विष का प्रभाव दूर हो जाता हैं।फुंसी उठते ही उसपर कालिमिर्ची पानी में पीसकर लगाने से फुंसी बैठ जाती हैं। गुहेरी, बाल तोड़ फोड़े भी ठीक हो जाते हैं।

कुत्ते के काटने पर प्राथमिक उपचार के तोर पर कालिमिर्ची पीसकर घाव पर भुरक दें और फिर डॉकटर को भी दिखा दें। ऐसा करने से जहर का प्रभाव कम हो जायेगा।
चाय में कालिमिर्ची, लौंग, दाल चीनी, सोडा, छोटी इलायची अपने टेस्ट के हिसाब से डालकर पिने से स्फूर्ति आती हैं। आलसी और उदासीनता दूर हो जाती हैं। थकान होने पर, मानसिक संताप, दुःख होने पर यह चाय जरूर पियें।
5 कालिमिर्ची और 10 किशमिश मिलाकर चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

कालिमिर्ची स्वाद तन्तु को उत्तेजित कर पाचनशक्ति बढाती हैं। आंतो में बनने वाली गैस को बनने से भी रोकती हैं।
गुड कालिमिर्ची पीसकर मिलाकर थोड़ा-थोड़ा रोजाना दिन में 3 बार खाएं और गर्म पानी पिएं।
पित्त, दौर्बल्य, नैत्रज्योतिवर्धक : चौथाई चम्मच पीसी कालिमिर्ची आधा चम्मच घी या मक्खन में मिलाकर चाटें जो इसके कड़वेपन के कारण नहीं खा सके वह इसमें मिश्री मिलाकर खा सकते हैं
फुंसी, फोड़े कच्चे बिना पके, खुजली और दाद में उपरोक्त नुस्खे के साथ कालिमिर्ची पानी डालकर चटनी की तरह पीसकर लगाएं।

आधे सिर का वह दर्द जो की सूर्य उदय के साथ होता हो, इसमें कालिमिर्ची के 10 दाने और 2 चम्मच मिश्री को कुटपिसकर सुबह सूर्यौदय से पहले फांक लेने से लाभ होता हैं।

छुरी, चाक़ू से कटने पर घांव पर पानी डालकर साफ़ कर उस पर कालिमिर्ची का पाउडर छिड़कर दबा दें। खून बहना तत्काल रुक जायेगा। दर्द और इन्फेक्शन भी नहीं होंगे। क्योंकि कालिमिर्ची दर्द निवारक, एंटी बैक्टीरियल और एंटीसॉफ्टिक होती हैं। घाव पर कालिमिर्ची पाउडर से जलन भी नहीं होंगी।

एक परिवार में 5 व्यक्तियों के लिए चटनी का अनुपात मुनक्का 10, अदरक 10 ग्राम, लॉन्ग 5, तुलसी के पत्ते 20 और अपने टेस्ट के हिसाब से नमक, जीरा, कालिमिर्ची मिलाकर चटनी बनाकर हर तीसरे दिन खाते रहने से वर्षा ऋतू के दुष्प्रभाव से बचाव होता हैं।

चुटकीभर पीसी कालिमिर्ची एक चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 2 बार चाटें। इससे बुद्धि का विकास भी होगा।
30 ग्राम मक्खन या एक चम्मच घी में आटा कालिमिर्ची और शक्कर मिलाकर रोजाना चाटने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं। मस्तिष्क में तरावट आती हैं और बुद्धि प्रखर होती है। कमजोरी दूर होती हैं।

15 कालिमिर्ची, 2 बादाम, गिरी 5, मुनक्का 2 छोटी इलायची एक गुलाब का फूल आधा चम्मच पोस्ता के दाने सबको रात को एक कुल्ल्हड़ पानी से भरकर भिगो दें। सुबह सब को 250 ग्राम गर्म दूध में मिलाकर रोजाना कुछ महीनो तक पियें। इससे मस्तिष्क को तरावट मिलेगी थकान दूर होगी शक्ति बढ़ेगी।

12 कालिमिर्ची कूटकर घी में तलें। घी नितारकर इसमें गेहूं का आटा सेंक कर गुड या शकर डालकर हलुआ बनाकर उसमें तली हुई कालिमिर्ची डालकर सुबह शाम भोजन से पहले खाएं। चक्कर आना बंद हो जायेगा।
20 कालिमिर्ची गुलाबजल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाएं और सुबह गर्म पानी से धोयें। इससे कील मुंहासे झूरिया साफ़ होकर चेहरा साफ़ होने लगता हैं।

5 कालिमिर्ची 10 तुलसी के पत्ते पीसकर शहद में मिलाकर 3 बार रोजाना चाटें।

इसमें 10 कालिमिर्ची पीसकर पानी से फांक लेने या खाने से लाभ होता हैं।
कालीमिर्च अलम्पित्त को ख़त्म करती हैं। 5 कालिमिर्ची का पाउडर प्याज और निम्बू का रस एक-एक चम्मच तीनो। तिन चम्मच पानी में मिलाकर एक बार रोजाना सुबह पियें। अलम्पित्त में फायदे होंगे।

कालिमिर्ची का पाउडर घी शकर मिलाकर चौथाई चम्मच सुबह शाम लेने से शरीर बलवान रहता हैं।

10 कालिमिर्ची पीसकर एक ग्लास दूध में उबालकर मीठा डालकर पिने से पेट दर्द में लाभ होता हैं।
कालिमिर्ची, हींग, सोडा समान मात्रा में पिसलें। आधा-आधा चम्मच सुबह शाम गर्म पानी से फांक लें।

10 पीसी कालिमिर्ची, एक कप दंहि, जरा सा गुड मिलाकर रोजाना 2 बार खाने से नकसीर में लाभ होता हैं।
एक ग्लास दूध में चुटकी भर कालिमिर्ची और हल्दी डालकर उबालकर सोते समय गर्म-गर्म रोजाना पिएं।

11 कालिमिर्ची कूटकर एक ग्लास पानी में उबालकर गरारे करने से गला साफ़ हो जाता हैं, गले का दर्द, दांत दर्द, संक्रमण दूर हो जाता हैं।

जुकाम खांसी नाक बंद और एलर्जी हो तो सुबह शाम 5 साबुत कालिमिर्ची दांतों से अच्छी तरह चबाएं और एक ग्लास गुन-गुना दूध पियें। दूध में अदरक और तुलसी के पत्तो का रस मिला लें और पियें। ऐसा 5 दिन तक लगातार करें। इससे जुकाम और एलर्जी में जल्द ही आराम मिलता हैं।

12 कालिमिर्ची 3 ग्राम ब्राह्मी की पत्तियां पीसकर आधा ग्लास पानी में छानकर रोजाना 2 बार पिएं।
नैत्रज्योतिवर्धक (आंखों की रोशनी बढ़ाना) : कालिमिर्ची नैत्रज्योति बढ़ाती हैं, घी कालिमिर्ची, मिश्री मिलाकर चाटें।

पीसी हुई कालिमिर्ची घी में मिलाकर चांदनी रात में खुले स्थान में रखें। सुबह होने से पहले खुले स्थान में से हटाले यह आधा चम्मच रोजाना खाएं।

अनियमित मासिक धर्म : एक चम्मच शहद में पीसी हुई 5 कालिमिर्ची मिलाकर लगातार २ महीने तक चाटने से मासिकधर्म नियमित हो जाता हैं, अन्य दोष भी दूर हो जाते हैं।

बहुत बारीक पीसी हुई कालीमिर्ची 2 चम्मच, 3 चम्मच देसी घी में मिलाकर लकवा ग्रस्त अंगो पर लैप और मालिश 10 दिन तक करें।

कालिमिर्ची चबाने से मुंह का स्वाद ठीक हो जाता हैं, जी नहीं मचलाता हैं..

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