विटामिन `ई´ …
विटामिन ई के स्त्रोत…गेहूं ,हरे साग, चना, जौ ,खजूर, चावल का मांड, ताजा दूध ,मक्खन, मलाई ,शकरकन्द आदि .
विटामिन `ई´ की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग-
वीर्य निर्बल ,नपुंसकता,बांझपन,आंतों में घाव,गंजापन,गठिया,पीलिया,शूगर (मधुमेह),जिगर के दोष,हृदय रोग आदि.
कुछ महत्व पूर्ण बातें…
1.स्त्रियों का बांझपन शरीर में विटामिन ई´ की कमी के कारण होता है।
2.पुरुषों की नपुंसकता का एक कारण शरीर में विटामिन ई की कमी हो जाना भी होता है।
3.विटामिन
ई´ की कमी से स्त्री के स्तन सिकुड़ जाते हैं और छाती सपाट हो जाती है।
4.विटामिन ई´ की कमी होते ही क्रमश: विटामिन
ए´ भी शरीर से नष्ट होने लगता है।
5.अंकुरित अनाज तथा शाक-भाजियों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
6.शरीर में विटामिन ई´ की कमी हो जाने से किसी भी रोग का संक्रमण जल्दी लग जाता है।
7.गेहूं के तेल में विटामिन
ई´ भरपूर रहता है।
8.अंतरिक्ष यात्रियों में ऑक्सीजन की अधिकता से रक्तहीनता का दोष पैदा हो जाता है जो विटामिन ई´ से ठीक हो जाता है।
9.सलाद, अण्डे तथा मांस आदि में विटामिन
ई´ बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है।
10.शिराओं के भंयकर घाव, गैंग्रीन आदि विटामिन ई´ के प्रयोग से समाप्त हो जाते हैं।
11.मानसिक रोगों से ग्रस्त रोगियों को विटामिन
ई´ प्रयोग कराने से लाभ होता है।
12.हार्मोंस संतुलन के लिए विटामिन `ई´ का महत्वपूर्ण योगदान है।