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मेरठ योग एसोसिएशन की प्रस्तुति🌹योगी बबलू ठाकुर

योगमुद्रासन : विधि और लाभ

योग का अर्थ होता हैं जागरूकता (awareness) और मुद्रा का अर्थ होता हैं दृढ़ (Seal) करना। यह आसन करने से अभ्यासक की जागरूकता और दृढ़ हो जाती है और एकाग्रता बढ़ती है और इसी कारण इसे योगमुद्रासन यह नाम दिया गया हैं। योगमुद्रासन को अंग्रेजी में The Psychic Union Pose कहा जाता हैं।

ऐसे तो नाम सुनकर यह एक योग मुद्रा लगती है पर इसका समावेश योग आसन में किया जाता हैं। शुरुआत में योगमुद्रासन करने के लिए कठिन है पर अभ्यास के साथ एक बार इसमें पारंगत हो जाने पर अभ्यासक को इससे अनेक लाभ होते हैं।

योगमुद्रासन की विधि, लाभ और सावधानी संबंधी अधिक जानकरी निचे दी गयी हैं :

योगमुद्रासन : विधि और लाभ
योगमुद्रासन विधि
सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर एक दरी या चटाई बिछा दे।
अब पद्मासन में बैठ जाए। पद्मासन संबंधी जानकारी के लिए यह पढ़े – पद्मासन योग
अब पीठ के पीछे एक हाथ से दुसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें।
शरीर को शिथिल करे।
अब शरीर को धीरे-धीरे सामने झुकाते हुए अपना माथा (Forehead) जमीन से लगाने का प्रयास करें। सामने की और झुकते समय श्वास छोड़ना हैं।
सामने की ओर झुकते समय कमर और नितंब को उपर नहीं उठाना हैं।
कुछ क्षण तक इस स्तिथि में रुककर धीरे-धीरे पूर्व स्तिथि में आकर बैठ जाए। पूर्व स्तिथि में आते समय श्वास अंदर लेना हैं।
इसके अलावा आप हात पीठ के पीछे रखने की जगह हात नाभि पर रखकर भी योगमुद्रा आसन कर सकते हैं। अपना दाहिने हात (Right Hand) का पंजा पेट के उपर नाभि पर रखे और बाया हात (Left Hand) दाहिने हात के ऊपर रखकर आगे की ओर झुककर योगमुद्रासन कर सकते हैं।
योगमुद्रा के लाभ
योगमुद्रा से वह सभी लाभ प्राप्त होते है जो की पद्मासन करने पर मिलते हैं।
रीढ़ की हड्डी अधिक लचीली और मजबूत बनती हैं।
पीठ, कमर और पेट के स्नायु मजबूत होते हैं।
कब्ज (Constipation), अपचन (Indigestion) और पाचन संबंधी रोग को दूर करता हैं।
यह अग्नाशय (Pancreas) की कार्यक्षमता बढाकर Insulin की निर्मिती बढाता हैं जिससे मधुमेह के रोगियों में लाभ होता हैं।
योगमुद्रासन करने से पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद मिलती है। मोटापा से पीड़ित लोगो के लिए यह उपयोगी हैं।
एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती हैं।
योगमुद्रा करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
योगमुद्रा करते समय वह सभी सावधानी बरतनी चाहिए जो पद्मासन करते समय बरती जाती हैं। अगर पद्मासन करते समय कष्ट या तनाव महसूस होता हैं तो सुखासन में बैठ कर योगमुद्रा आसन करना चाहिए।
योगमुद्रासन अपने क्षमतानुसार ही करना चाहिए। क्षमता से अधिक प्रयत्न करने पर हानि पहुच सकती हैं।
उच्च रक्तचाप, हर्निया, गर्भावस्था, साइटिका से पीड़ित व्यक्तिओ ने यह आसन नहीं करना चाहिए। किसी रोग से पीड़ित होने पर अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ही यह योग करे।
योग का समय अभ्यास के साथ धीरे-धीरे बढाए।
योगमुद्रासन यह सामने की ओर झुककर किया जानेवाला आसन है इसलिए मेरुदंड को अधिक लचीला बनाने के लिए यह आसन करने के उपरांत पीछे की ओर झुककर किया जानेवाला आसन किया जाना चाहिए जैसे की शलभासन, भुजंगासन, धनुरासन इत्यादि। योगमुद्रासन का नियमित अभ्यास करने से कुण्डलिनी जागरूक की जा सकती हैं। योग करते समय किसी भी प्रकार की समस्या आने पर योग विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
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