कोई धर्म कहता है की पुनर जन्म होता है कोई कहता है नहीं होता है । इस बारे में सनातन धर्म बिलकुल स्पष्ट रूप से कहता की यदि मनुष्य काफी अच्छे सत्कर्म करेगा तो ही उसका पुनर जन्म नहीं होगा यानि मोक्छ हो जायेगा वरना पुनर जन्म होगा और मनुष्य का जन्म किसी भी योनि में हो सकता है । ये सत्कर्म लगभग वही है जो अन्य धर्मों में वर्णित है केवल उपासना पद्धति को छोड़कर यानि साकार (सगुण साकार ब्रह्म) या निराकार ( निर्गुण निराकार ब्रह्म ) । कोई धर्मं साकार की उपासना करता है और कोई निराकार की बाकि धर्मं के सत्कर्म लगभग एक ही हैं । इसलिए जिस प्रकार मात्र एक डॉक्टर के घर में पैदा होने से उसकी औलाद डाक्टर नहीं बन सकती उसके लिए उसको भी पूरी मेहनत , पढ़ाई और मरीजों से अच्छा व्यवहार यानि सत्कर्म करना पड़ेगा उसी प्रकार किसी भी धर्म मैं मात्र जन्म लेने से ही उसका लाभ नहीं मिल सकता. किसी भी धर्म में वर्णित सभी सत्कर्म करने पर ही ये प्राप्ति होगी ।
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