जय श्री कृष्णा
कृष्णम् वंदे जगत गुरु
श्रीमद्भगवद्गीता के ३८ अनमोल वचन !
भगवान श्रीकृष्ण के अनमोल विचार…
श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे जीवन का पूरा सार दिया हुआ है. मनुष्य के जन्म लेने से मृत्यु के बाद के चक्र को श्रीमद्भगवद्गीता में विस्तार से बताया गया है।
मनुष्य के सांसारिक माया – मोह से निकलकर मोक्ष की प्राप्ति का सूत्र गीता में मौजूद है।
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ने अर्जुन के द्वारा पूरे संसार को ऐसा ज्ञान दिया जिसे अपनाकर कोई व्यक्ति इस संसार में परम सुख और शांति से अपना जीवन व्यतीत कर सकता है।
१) हमेशा आसक्ति से ही कामना का जन्म होता है।
२) जो व्यक्ति संदेह करता है उसे कही भी ख़ुशी नहीं मिलती।
३)जो मन को रोक नहीं पाते उनके लिए उनका मन दुश्मन के समान है।
४)वासना, गुस्सा और लालच नरक जाने के तीन द्वार है।
५)इस जीवन में कुछ भी व्यर्थ होता है।
६) मन बहुत ही चंचल होता है और इसे नियंत्रित करना कठिन है. परन्तु अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
७)सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बदतर होती है।
८)व्यक्ति जो चाहे वह बन सकता है अगर वह उस इच्छा पर पूरे विश्वास के साथ स्मरण करे।
९)जो वास्तविक नहीं है उससे कभी भी मत डरो।
१०)हर व्यक्ति का विश्वास उसके स्वभाव के अनुसार होता है।
११)जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। इसलिए जो होना ही है उस पर शोक मत करो।
१२)जो कर्म प्राकृतिक नहीं है वह हमेशा आपको तनाव देता है।
१३)तुम मुझमे समर्पित हो जाओ मैं तुम्हे सभी पापो से मुक्त कर दूंगा।
१४)किसी भी काम को नहीं करने से अच्छा है कि कोई काम कर लिया जाए।
१५)जो मुझसे प्रेम करते है और मुझसे जुड़े हुए है. मैं उन्हें हमेशा ज्ञान देता हूँ।
१६)बुद्धिमान व्यक्ति ईश्वर के सिवा और किसी पर निर्भर नहीं रहता।
१७) सभी कर्तव्यो को पूरा करके मेरी शरण में आ जाओ।
१८) ईश्वर सभी वस्तुओ में है और उन सभी के ऊपर भी।
१९)एक ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।
२०)जो कोई भी किसी काम में निष्क्रियता और निष्क्रियता में काम देखता है वही एक बुद्धिमान व्यक्ति है।
२१)मैं इस धरती की सुगंध हूँ। मैं आग का ताप हूँ और मैं ही सभी प्राणियों का संयम हूँ।
२२) तुम उस चीज के लिए शोक करते हो जो शोक करने के लायक नहीं है। एक बुद्धिमान व्यक्ति न ही जीवित और न ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करता है।
२३)मुझे कोई भी कर्म जकड़ता नहीं है क्योंकि मुझे कर्म के फल की कोई चिंता नहीं है।
२४) मैंने और तुमने कई जन्म लिए है लेकिन तुम्हे याद नहीं है।
२५) वह जो मेरी सृष्टि की गतिविधियों को जानता है वह अपना शरीर त्यागने के बाद कभी भी जन्म नहीं लेता है क्योंकि वह मुझमे समा जाता है।
२६)कर्म योग एक बहुत ही बड़ा रहस्य है।
२७)जिसने काम का त्याग कर दिया हो उसे कर्म कभी नहीं बांधता।
२८)बुद्धिमान व्यक्ति को समाज की भलाई के लिए बिना किसी स्वार्थ के कार्य करना चाहिए।
२९)जब व्यक्ति अपने कार्य में आनंद प्राप्त कर लेता है तब वह पूर्ण हो जाता है।
३०)मेरे लिए कोई भी अपना – पराया नहीं है. जो मेरी पूजा करता है मैं उसके साथ रहता हूँ।
३१)जो अपने कार्य में सफलता पाना चाहते है वे भगवान की पूजा करे।
३२) बुरे कर्म करने वाले नीच व्यक्ति मुझे पाने की कोशिश नहीं करते।
३३)जो व्यक्ति जिस भी देवता की पूजा करता है मैं उसी में उसका विश्वास बढ़ाने लगता हूँ।
३४)मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ लेकिन कोई भी मुझे नहीं जान पाता।
३५) वह सिर्फ मन है जो किसी का मित्र तो किसी का शत्रु होता है।
३६)मैं सभी जीव – जंतुओ के ह्रदय में निवास करता हूँ।
३७)चेतन व अचेतन ऐसा कुछ भी नहीं है जो मेरे बगैर इस अस्तित्व में रह सकता हो।
३८) इसमें कोई शक नहीं है कि जो भी व्यक्ति मुझे याद करते हुए मृत्यु को प्राप्त होता है वह मेरे धाम को प्राप्त होता है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।