मानसिक अवसाद और घबराहट
दोस्तों नमस्कार मैं एक बार फिर से एक नई पोस्ट लेकर आया हूँ, इस बार हम चर्चा करेंगे कि कौन से ग्रह के कारण मानसिक रोग या घबराहट हो जाया करते हैं।
दोस्तों आजकल लाइफ में इतनी भागादौड़ी और व्यस्तता हो गयी है कि हमें ना तो खाने पीने का होश रहता है और ना ही सोने का, जब मर्ज़ी खा लिया वर्ना कोई बात नहीं, देर रात तक जागना फैशन जैसा हो गया है, टेंशन और स्ट्रेस इतना हो जाता है कि हम इसे ignore करना शुरू कर देते हैं, और हमे पता ही नहीं चल पाता कि कब हम Hyper tention का शिकार हो गए।
जी हां आज 5 में से 3 व्यक्ति इस बीमारी के चंगुल में हैं, और यह बीमारी धीरे धीरे पैर पसारती जा रही है। एक बार जो भी इसके चंगुल में फंस गया तो फिर बहुत मुश्किल हो जाता है इससे उबरना।
अब बात करते हैं कि इस के लक्षण क्या हैं-
शुरू में तो इसके लक्षण पता नहीं चलते लेकिन जैसे जैसे रोग बढ़ता है तो यह अपना पहला इफ़ेक्ट पेट पर डालता है, जैसे कि खाने का नहीं पचना, गैस, एसिडिटी, सरदर्द, और कभी-कभी उच्च या निम्न रक्तचाप।
जैसे ही यह सब होना शुरू होता है तब इंसान का ध्यान इस ओर जाता है और वह घबराने लगता है कि ये अचानक क्या हो गया वह इस बारे में इतना सोचने लगता है कि उसका माइंड यानी कि दिमाग भी परेशान रहने लगता है जिसका असर उसकी नींद पर भी पड़ने लगता है जब नींद ही disterbed होगी या नींद ही नहीं आएगी तो दोस्तों दिमाग का disterbed होना या dippretion
होना लाजमी है।
दोस्तों अगर कोई इंसान कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो यदि मन ही कमजोर हो जाये तो फिर कुछ नहीं बचता।
डिप्रेस्ड इंसान शक्की और वहमी हो जाता है शरीर तो स्वस्थ रहता है लेकिन मानसिक रोग के कारण वह खुद को कमजोर व दयनीय समझता है- मरने का डर, सुसाइट का डर, आत्मविश्वास में कमी, ऊंचाई से या एक्सीडेंट का डर। कहने का मतलब एक तरह का फोबिया हो जाता है। लगभग हर इंसान इस दौर से जरूर गुजरता है।
आईये अब ज्योतिष पर आते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है और कौन से ग्रह इसके लिए ज़िम्मेदार होते हैं।
दोस्तों सबसे पहले तो ये बता दूं कि मन का कारक जो ग्रह होता है वो है चंद्रमा ये बात तो आप सभी जानते ही होंगे, लेकिन अगर चंद्रमा दूषित हो जाये तो यह हमें मानसिक रोग तक दे देता है, वैसे है तो यह एक सौम्य ग्रह लेकिन अगर बिगड़ जाए तो देखिए क्या नहीं करवा देता।
लेकिन इसके सिवा भी ऐसे योग हैं जैसे कि-
- लग्न एवं लग्नेश की दूषित स्थिति
- राहु शनि और मारकेश का लग्न या चंद्र गोचर
- शनि में शुक्र या शुक्र में शनि का अंतर
- गुरु में शुक्र या शुक्र में गुरु का अंतर
- राहु केतु के साथ चंद्र की दशा या अंतर
- वक्री पापी ग्रहों का लग्न में गोचर
- चंद्रमा अशुभ भाव स्थित एवम चंद्र नक्षत्र स्वामी लग्नेश सामंजस्य असंतुलन।
चंद्रमा मन का कारक है, बुध बुद्धि तथा नाड़ी मंडल शिक्षा व ज्ञान शक्ति का कारक है।
पंचम भाव व पंचमेश जो कल्पना शक्ति व तर्क शक्ति को दर्शाता है, मेष राशि व लग्न जो कालपुरुष का सिर है।
यदि उपरोक्त चारों पीड़ित हैं तो मानसिक रोग होने की पूरी-पूरी संभावना रहती है।
इसके अतिरिक्त क्रूर तथा पापी ग्रह अपने स्वभाव अनुसार मानसिक पीड़ा देते हैं।
सूर्य तीक्ष्ण स्वभाव व झगड़ालू बनाएगा।
मंगल आक्रामक व हिंसक बनाता है।
शनि ग्रह सनकी व उदासी वाला मानसिक रोग देता है।
राहु पागलपन, घबराहट, व बिना कारण का डर वाला रोग देता है।
केतु अकेलापन, फोबिया व sucite जैसी tredency देता है।
दोस्तों इन सब से डरना व घबराना नहीं चाहिए, जब भी ऐसा हो तो इलाज के साथ साथ किसी योग्य ज्योतिष से कुंडली दिखा कर ही उपाय करने चाहिए। क्योंकि उपाय कुंडली के अनुसार ही किये जाने चाहिए वह भी कुंडली का पूर्ण विश्लेषण के बाद।
फिर भी कुछ सरल उपाय बता रहा हूँ।
- ॐ सोम सोमाय नमः का नियमित जाप करें।
*आदित्य ह्रदय स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करना इस समस्या के लिए अमृत तुल्य है।
*प्रतिदिन सूर्य को ताम्र पत्र से जल दें।
*हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।
*किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के बाद कुंडली के लग्नेश ग्रह का रत्न धारण करें।
*यदि समस्या अधिक हो तो महामृत्युंजय जप करवाना अच्छा रहता है।