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ज्योतिष चर्चा
📖🔰📖🔰
कुण्डली के कुछ अशुभ योगों की शान्ति
🌟🌿🌟🌿🌟🌿🌟🌿🌟🌿🌟
1).चांडाल योग=
🌟🌟🌟🌟🌟गुरु के साथ राहु या केतु हो तो जातक बुजुर्गों का
एवम् गुरुजनों का निरादर करता है ,मोफट होता है,तथा अभद्र भाषा
का प्रयोग करता है.यह जातक पेट और श्वास के रोगों से
पीड़ित हो सकता है

2).सूर्य ग्रहण योग=
🌟🌟🌟🌟🌟🌟सूर्य के साथ राहु या केतु हो तो जातक को
हड्डियों की कमजोरी, नेत्र रोग, ह्रदय
रोग होने की संभावना होती है ,एवम् पिता
का सुख कम होता है

3). चंद्र ग्रहण योग=
🌟🌟🌟🌟🌟🌟चंद्र के साथ राहु या केतु हो तो जातक को
मानसिक पीड़ा एवं माता को हानि पोहोंचति है

4).श्रापित योग –
🌟🌟🌟🌟🌟शनि के साथ राहु हो तो दरिद्री योग
होता है सवा लाख महा मृत्युंजय जाप करें.

5).पितृदोष-
🌟🌟🌟🌟यदि जातक को 2,5,9 भाव में राहु केतु या शनि है तो
जातक पितृदोष से पीड़ित है.

6).नागदोष –
🌟🌟🌟🌟यदि जातक को 5 भाव में राहु बिराजमान है तो जातक
पितृदोष के साथ साथ नागदोष भी है.

7).ज्वलन योग-
🌟🌟🌟🌟🌟 सूर्य के साथ मंगल की युति हो तो
जातक ज्वलन योग(अंगारक योग) से पीड़ित होता है।

8).अंगारक योग-
🌟🌟🌟🌟🌟 मंगल के साथ राहु या केतु बिराजमान हो तो जातक
अंगारक योग से पीड़ित होता है.।

9).सूर्य के साथ चंद्र हो तो जातक अमावस्या का जना है
(अमावस्या शान्ति करें).

10).शनि के साथ बुध = प्रेत दोष.
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
11).शनि के साथ केतु =
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟पिशाच योग.

12).केमद्रुम योग-
🌟🌟🌟🌟🌟 चंद्र के साथ कोई ग्रह ना हो एवम् आगे
पीछे के भाव में भी कोई ग्रह न हो तथा
किसी भी ग्रह की दृष्टि चंद्र
पर ना हो तब वह जातक केमद्रुम योग से पीड़ित होता
है तथा जीवन में बोहोत ज्यादा परिश्रम अकेले
ही करना पड़ता है.

13).शनि + चंद्र=
🌟🌟🌟🌟🌟विषयोग शान्ति करें।

14).एक नक्षत्र जनन शान्ति -घर के किसी दो
व्यक्तियों का एक ही नक्षत्र हो तो
उसकी शान्ति करें.।

15).त्रिक प्रसव शान्ति- तीन लड़की के
बाद लड़का या तीन लड़कों के बाद लड़की का
जनम हो तो वह जातक सभी पर भारी
होता है।

16).कुम्भ विवाह= लड़की के विवाह में अड़चन या
वैधव्य योग दूर करने हेतु।

17).अर्क विवाह = लड़के के विवाह में अड़चन या वैधव्य योग
दूर करने हेतु।

18).अमावस जन्म- अमावस के जनम के सिवा कृष्ण
चतुर्दशी या प्रतिपदा युक्त अमावस्या जन्म हो तो
भी शान्ति करें।

19).यमल जनन शान्ति=जुड़वा बच्चों की शान्ति करें।

20).पंचांग के 27 योगों में से 9
“अशुभ योग”
1.विष्कुंभ योग.
2.अतिगंड योग.
3.शुल योग.
4.गंड योग.
5.व्याघात योग.
6.वज्र योग.
7.व्यतीपात योग.
8.परिघ योग.

9.वैधृती योग.

21).पंचांग के 11 करणों में से 5
“अशुभ करण”
1.विष्टी करण.
2.किंस्तुघ्न करण.
3.नाग करण.
4.चतुष्पाद करण.

5.शकुनी करण.

22).शुभाशुभ नक्षत्र
प्रत्येक की अलग अलग संख्या उनके चरणों को
संबोधित करती है
जानिये नक्षत्र जिनकी शान्ति करना जरुरी है।
1).अश्विनी का- पहला चरण.अशुभ है।
2).भरणी का – तिसरा चरण.अशुभ है।
3).कृतीका का – तीसरा चरण.अशुभ
है।
4).रोहीणी का – पहला,दूसरा और
तीसरा चरण अशुभ है।

5).आर्द्रा का – चौथा चरण अशुभ है।

6).पुष्य नक्षत्र का – दूसरा और तीसरा चरण.
अशुभ है।

7).आश्लेषा के-चारों चरण अशुभ है।

8).मघा का- पहला और तीसरा
चरण अशुभ है.।

9).पूर्वाफाल्गुनी का-चौथा चरण अशुभ है।

10).उत्तराफाल्गुनी का- पहला और चौथा चरण अशुभ है।

11).हस्त का- तीसरा चरण अशुभ है।

12).चित्रा के-चारों चरण अशुभ है।

13).विशाखा के -चारों चरण अशुभ है।

14).ज्येष्ठा के -चारों चरण अशुभ है।

15).मूल के -चारों चरण अशुभ है।

16).पूर्वषाढा का- तीसरा चरण.अशुभ है।

17).पूर्वभाद्रपदा का-चौथा चरण अशुभ है।

18).रेवती का – चौथा चरण अशुभ है।
शुभ नक्षत्र की उनके चरण अनुसार शान्ति करने की आवश्यकता नहीं है।

1).अभीजीत – चारों चरण शुभ
है।
2).उत्तरभाद्रपदा-चारों चरण शुभ है।
3).शतभिषा – चारों चरण शुभ है.
4).धनिष्ठा- चारों चरण शुभ है.
5).श्रवण- चारों चरण शुभ है.
6).उत्तरषाढा- चारों चरण शुभ है.
7).अनुराधा- चारों चरण शुभ है.
8).स्वाति- चारों चरण शुभ है.
9).पुनर्वसु- चारों चरण शुभ है.
10).मृगशीर्ष- चारों चरण शुभ है.
11).रेवती के – पहले,दूसरे और तीसरे
चरण शुभ है.
12).पूर्व भाद्रपदा का -पहला,दूसरा और तीसरा चरण शुभ है.
13).पूर्वषाढा का – पहला,दूसरा और चौथा चरण शुभ है.
14).हस्त नक्षत्र का- पहला,दूसरा और चौथा चरण शुभ है.
15).उत्तरा फाल्गुनी का- दूसरा और तीसरा चरण शुभ है.
16).पूर्व फाल्गुनी का-पहला,दूसरा और तीसरा चरण.शुभ है.
17).मघा का – दूसरा और चौथा
चरण शुभ है
18).पुष्य का -पहला और चौथा
चरण शुभ है.
19).आर्द्रा का -पहला,दूसरा और
तीसरा चरण शुभ है.
20).रोहिणी का- चौथा
चरण शुभ है।


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