Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

💠ग्रहों का शरीर पर प्रभाव और होने वाले रोग💠

🌹नवग्रहों के प्रकोप से अापको होती हैं गंभीर बीमारियां🌹
🌹कई बार अाप बीमार पड़ते हैं और लगातार इलाज के बाद भी बीमारी ठीक नहीं होती है तो कई बार अापकी बीमारी डॉक्टर की समझ से भी बाहर होती है।
🌹यह सब ग्रहों के प्रकोप के कारण होता है।
🌹प्रत्येक ग्रह का हमारी धरती और हमारे शरीर सहित मन- मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते हमें सामान्य या गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
🌹सतर्क रहकर हम कई सारी बीमारियों से बच सकते हैं।
🌹यहां अाप विभिन्न ग्रहों के प्रभाव से होने वाली बिमारियों के बारे में जान सकते हैं

🌞 सूर्य 🌞
🌞👉 दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है।
🌞👉सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है।
🌞👉 मुंह में थूक बना रहता है।
🌞👉 व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है।
🌞👉 दिल का रोग हो जाता है।
🌞👉 मुंह और दांतों में तकलीफ होती है।
🌞👉 सिरदर्द बना रहता है।
🌞सूर्य ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए🌞
👉इलाइची, केसर एवं गुलहठी, लाल रंग के फूल मिश्रित जल द्वारा स्‍नान करने से सूर्य के दुष्‍प्रभाव कम होत

🌙चंद्रमा🌙
🌙👉 चन्द्रमा मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है।
🌙👉 मिर्गी का रोग।
🌙👉 पागलपन।
🌙👉 बेहोशी।
🌙👉 फेफड़े संबंधी रोग।
🌙👉 मासिक धर्म की गड़बड़ी।
🌙👉 याददाश्त कमजोर होना।
🌙👉मानसिक तनाव और घबराहट।
🌙👉 तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय।
🌙👉 सर्दी-जुकाम बना रहना।
🌙👉मन में बार-बार आत्महत्या का विचार अाना।
🌚चंद्र ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए🌚
👉सफेद चंदन, सफेद फूल, सीप, शंख और गुलाब जल मिश्रित पानी से नहाने से आपकी राशि पर चंद्र के दुष्‍प्रभाव कम होते

✴ मंगल ✴
✴👉अांख के रोग।
✴👉 हाई ब्लड प्रेशर।
✴👉 वात रोग।
✴👉 गठिया
✴👉 फोड़े-फुंसी होना।
✴👉 चोट लगना।
✴👉 बार-बार बुखार।
✴👉शरीर में कंपन।
✴👉 गुर्दे में पथरी हो जाती है।
✴👉शारीरिक ताकत कम होना।
✴👉 रक्त संबंधी बीमारी।
✴👉बच्चे पैदा करने में तकलीफ।
🧡मंगल ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए🧡
👉लाल चंदन, लाल फूल, बेल वृक्ष की छाल, जटामांसी, हींग मिश्रित जल से नहाने से मंगल ग्रह के दुष्‍परिणों को भी कम किया जा सकता है।

💚 बुध 💚
💚👉 तुतलाहट।
💚👉 सूंघने की शक्ति क्षीण होना।
💚👉 दांतों का खराब होना।
💚👉मित्र से संबंधों का बिगड़ना।
💚👉 अशुभ हो तो बहन, बुआ और मौसी पर विपत्ति आना।
💚👉 नौकरी या व्यापार में नुकसान होना।
💚👉सेक्स पावर कम होना।
💚👉 व्यर्थ की बदनामी।
✳बुध ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए✳
👉अगर आप चाहते हैं कि आप पर बुध की कृपा दृष्टि बनी रहे तो आपको अपने स्‍नान के जल में अक्षत, जायफल, गाय का गोबर मिश्रित करके स्‍नान करना होगा।

💛 गुरु 💛
💛👉इससे श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द होता है।
💛👉 कुंडली में गुरु-शनि, गुरु-राहु और गुरु-बुध जब मिलते हैं तो अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द भी होने लगता है।
💛👉 इसके अलावा गुरु की राहु, शनि और बुध के साथ युति अनुसार भी बीमारियां होती हैं, जैसे- पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी आदि।
💛गुरु ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए💛
👉सफेद सरसों, दमयंती, गूलर और चमेली के फूल मिलाकर स्‍नान करने से आप पर गुरु के दुष्‍प्रभावों का असर बहुत कम होता है

💎 शुक्र 💎
💎👉 शरीर में गाल, ठुड्डी और नसों से शुक्र का संबंध माना जाता है।
💎👉 वीर्य की कमी हो जाती है। कोई यौन रोग हो सकता है या कामेच्छा समाप्त हो जाती है।
💎👉लगातार अंगूठे में दर्द
💎👉त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होना।
💎👉अंतड़ियों के रोग।
💎👉 गुर्दे में दर्द
💎👉पांव में तकलीफ आदि।
💎शुक्र ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए💎
👉शुक्र को आपके वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। शुक्र को खुश रखने से आपका वैवाहिक जीवन सदैव खुशहाल रहता है। इसके लिए बस आपको अपने स्‍नान के जल में जायफल, मैनसिल, केसर, इलाइची और मूली के बीज मिलाकर नहाना होगा। ऐसा करने से शुक्र ग्रह के दुष्‍प्रभाव दूर हो सकते हैं।

💙 शनि 💙
💙👉 शनि का संबंध मुख्‍य रूप से दृष्टि, बाल, भौंह और कनपटी से होता है।
💙👉 समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भौंह के बाल झड़ जाते हैं।
💙👉 कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है।
💙👉 सिर के बाल समय पूर्व ही झड़ जाते हैं।
💙👉 सांस लेने में तकलीफ।
💙👉 हड्डियों की कमजोरी के कारण जोड़ों का दर्द पैदा हो जाता है।
💙👉 रक्त की कमी।
💙👉 पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना।
💙👉 सिर की नसों में तनाव।
💙👉 अनावश्यक चिंता और घबराहट का बढ़ना।
🔵शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए🔵
👉शनि को न्‍याय के देवता का सम्‍मान प्राप्‍त है। यह व्‍यक्ति को उसके कर्म के अनुरूप परिणाम देते हैं। अत: हमको अपने कर्म तो दुरुस्‍त रखने ही चाहिए साथ ही कुछ विशेष चीजों को स्‍नान के जल में मिलाकर नहाने से आप शनि के दुष्‍प्रभावों से दूर रह सकते हैं। इन चीजों में सरसों, काले तिल, सौंफ, लोबान, सुरमा, काजल आदि शामिल हैं।

🐘 राहु 🐘
🐘👉 गैस की परेशानी।
🐘👉 बाल झड़ना
🐘👉 पेट के रोग।
🐘👉 बवासीर।
🐘👉पागलपन।
🐘👉 निरंतर मानसिक तनाव।
🐘👉 नाखूनों का टूटना।

🐘राहु ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए🐘
👉इसके लिए आप स्‍नान औषधि के रूप में लोबान, कस्‍तूरी, गजदंत आदि सामग्री से मिश्रित जल से स्‍नान करके राहु की पीड़ा को दूर कर सकते हैं।

🏵 केतु 🏵
🏵👉 संतान उत्पति में रुकावट।
🏵👉 सिर के बाल का झड़ना।
🏵👉शरीर की नसों में कमजोरी।
🏵👉 चर्म रोग होना।
🏵👉 कान खराब होना या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ना।
🏵👉कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़ आदि में समस्या।
🍂केतु ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए🍂
👉लाल चंदन और छाग मूत्र मिश्रित जल से स्‍नान करके आप केतु के दुष्‍प्रभावों को अपने आप खत्‍म कर देंगे।

🙏🌹🌹🌸🕉🌸🌹. ||||||||| 👉अथ अल्पमृत्यु योगा:—
〰️〰️〰️〰️〰️👾👾👾〰️〰️〰️

1–👉 लग्न राहु छठ चंद्रमा जो शिशु जन्म लखाय ।
||||||| रहे कुदृष्टि लग्न में अथवा तो मर जाय।।

2–👉मंगल होवे लग्न में अठवें होवे जीव।
. तो बारहवें वर्ष मेबालक निकसै जीव।।

3–👉शनि के घर में सूर्य यदि सूर्य गेह शनि होय ।
. तो बारहवें वर्ष में मृत्यु शिशु का होय।।

4–👉चौथे आठवें लग्न मे अथवा बुध परि जाय ।
. चौथे वर्ष शिशु मरै यदि हर करैं सहाय ।।

5–👉मंगल के घर गुरु छठवें आठवें चंन्द्र लखाय ।
. आठ वर्ष के बाद में तो बालक मरि जाय ।।

6–👉जन्म लग्न से दशम या लग्न मांहि हो राहु ।
. तो सोलहवें वर्ष में शिशु मरै रहेन संशय काहु।।

7–👉बारहवें रवि चंद्र हों अथवा एकै होंय ।
. बुध मंगल हों प्रांत में नाश जरूरी होय।।

8—👉छठें चंद्रमा आठवें राहु कभी परि जांय ।
. शनि आठवें भार्या मरै अमृतौ दिये पिलाय।।

. 9-👉छठें चंद्रमा लग्न शनि, सातवें मंगल होय ।
. मरै बाप शिशु का अवसि संशय करौ न कोय।।
.
10-👉लग्न वृहस्पति मध्य शनि चौथे चंन्द्र लखाय ।
. इंद्रहु के रक्षा किये,उसकी मां मरि जाय।।
.
👉मारकेश दशा–
. 〰️〰️👾👾〰️〰️〰️
👉दूसर तीसर सातवें आठवें घर का स्वामी जौन।
||. जन्म लग्न से जानिए मारकेश होवे तौन ।।

,👉जभी दशा अन्तर्दशा या उसकी ह्वै जात ।
. मृत्यु मृत्यु के तुल्य तब कष्ट मनुष्य दिखाय।।


कुण्डली मिलान

ग्रह मैत्री गुण मिलान

पिछले अंक मे हमने योनि मिलान की विधी की जानकारी प्राप्त की।

ग्रह मेेैत्री गुण मिलान मे हम ग्रहो की प्राकृतिक मित्रता का मिलान करते है।चंद्रमा जब राशी विशेष मे हो तो उस राशी के स्वामी का चंद्रमा पर विशेष प्रभाव होता है।और जातक के मन पर ग्रह विशेष का प्रभाव होने से उसके आहार – व्यवहार पर भी उस ग्रह का प्रभाव होता है।
पहले हम हर राशि के स्वामी के बारे मे जानकारी लेते है

1) मेष राशि स्वामी मंगल ग्रह है ।
2) वृष राशि स्वामी शुक्र है।
3) मिथुन राशि स्वामी बुध है
4) कर्क राशि स्वामी चंद्रमा है।
5) सिंह राशि स्वामी सूर्य है।
6) कन्या राशि स्वामी बुध है।
7) तुला राशि स्वामी शुक्र है।
8) वृश्चिक राशि स्वामी मंगल है।
9) धनु राशि स्वामी बृहस्पति है।
10) मकर राशि स्वामी शनि है।
11)कुंभ राशि स्वामी शनि है।
12) मीन राशि स्वामी बृहस्पति है।

हम वैदिक ज्योतिष में ग्रहो की मित्रता तीन भागो मे रखा गया है। कुछ ग्रह एक दुसरे के मित्र है कुछ तटस्थ कुछ शत्रु । जो इस प्रकार है

1) सूर्य
मित्र ग्रह – सूर्य, चंद्रमा ,मंगल , बृहस्पति
तटस्थ — बुध
शत्रु — शुक्र शनि

2)चंद्रमा
मित्र — सूर्य चंद्रमा बृहस्पति
तटस्थ – मंगल बुध शुक्र शनि
शत्रु — कोई नही

3) मंगल ग्रह
मित्र — सूर्य चंद्रमा मंगल बृहस्पति
तटस्थ — शुक्र शनि
शत्रु — बुध

4) बुध
मित्र — सूर्य शुक्र बुध
तटस्थ– मंगल बृहस्पति शनि
शत्रु — चंद्रमा

5) बृहस्पति
मित्र – सूर्य चंद्रमा मंगल बृहस्पति
तटस्थ – शनि
शत्रु — बुध शुक्र

6) शुक्र
मित्र — बुध शुक्र शनि
तटस्थ — मंगल बृहस्पति
शत्रु– सूर्य चंद्रमा

7) शनि
दोस्त – बुध शुक्र शनि
तटस्थ– बृहस्पति
शत्रु- सूर्य चंद्रमा मंगल ग्रह।

जब वर और कन्या के राशी स्वामी एक दुसरे के नैसर्गिक मित्र हो तो यह विचारो मे समानता और संतुलन को दर्शाते है।वे एक-दूसरे के शत्रु ग्रह हो तो विचारो मे असमान्यता और मतभेद को दर्शाते है। वे एक दुसरे के विचारो मे सामंज्यस नही बना पाते है।

जब दोनों एक दूसरे तटस्थ ग्रह हो तो विचारो मे औसत समानता को दर्शाते है।


[ज्योतिष ज्ञान
✏📝✏📝
वृषभ लग्न की कन्या
🐂👧🐂👧🐂👧🐂
वृषभ लग्न में जन्मी कन्या का चेहरा भरा हुआ सुगठित होता है,इनका कद मध्यम, गोरा बदन,संतुलित एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाली, घने काले बाल,गोल बड़ी एवं चमकीली आँखे होती है।इनके होठ अपेक्षाकृत कुछ मोटे होते है।इस लग्न की जातिका में एक विलक्षण प्रकार का सौंदर्य होता है।
शुक्र के प्रभाव के कारण इस लग्न की जातिकाये परिश्रमी,स्वाभिमानी, सहनशील, मधुरभाषी, स्वाभाविक लज्जाशील, परंतु व्यवहार कुशल, हंसमुख एवं सौम्य प्रकृति की होती है।यदि कु डली में शुक्र और बुध शुभ हो तो जातिका बुद्धिमान,उच्चशिक्षित, विशेषकर कंप्यूटर, कामर्स, फैशन-डिजायिनिग, गणित, ब्यूटी पार्लर,आदि सम्बंधित कार्यो में रूचि रखने वाली एवं संगीत-सिनेमा, साहित्य, सुगन्धित पदार्थ आदि का भी शोक रखने वाली होती है।

यदि इनकी कुंडली में चंद्र भी शुभस्त हो तो ये स्वतंत्र विचारो वाली, उच्चाभिलाषी, अपने निश्चय एवं हठ पर कायम रहने वाली,समझदार होते हुए भी चालाक नहीं होती है।
उच्चाकांशी प्रकृति होने के कारण वृष लग्न की जातिका सुन्दर सुसज्जित आवास,खूबसूरत सुन्दर वस्त्र,उच्चस्तरीय सवारी,सौंदर्य एवं गृह सजावट तथा भौतिक सुख-सम्पति की और विशेष आकर्षित होती है इन्हें पाने के लिए ये कठोर परिश्रम भी करने को तैयार रहती है, बुध के प्रभाव से ये उच्च व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करती है।
व्यवहार कुशल एवं मिलनसार प्रकृति की होने पर भी अपनी प्रतिष्ठा का विशेष ध्यान रखती है।ये अपनी प्रतिष्ठा के विरुद्ध किसी भी प्रकार का समझोता नहीं करती है।
यदि चंद्र शुभ हो तो नए-नए प्राकृतिक स्थानों पर घूमने का शौक रखती है।
ये जिनके साथ प्रेम करती है उसे पूरी ईमानदारी एवं समर्पण और निष्ठां के साथ
प्रेम करती है।प्रेम में धोखा किसी के साथ नहीं करती है और ना ही किसी से धोखा सहन करती है।
ऐसी जातिका अतिथि सत्कार करने में विशेष कुशल होती है।इनकी नए एवं अच्छे लोगो से सम्बन्ध स्थापित करने में विशेष रूचि होती है ये तीर्थ एवं पर्वतीय स्थानो पर यात्रा करने की शौक़ीन होती है।
जीवनसाथी तथा सुख👉 वृष लग्न की जातिका की कुंडली में यदि मंगल शुभ हो तो विवाह उच्च प्रतिष्ठित चुस्त एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाले जातक के साथ होता है।गृहस्थ जीवन में इस लग्न की जातिका गंभीर,वफादार, परिश्रमी, ईमानदार तथा परिस्तिथि के अनुसार स्वयं को ढाल लेने वाली होती है।ये अपने पति एवं परिवार में सौहार्द कायम करने में पूरा सहयोग प्रदान करती है।ये जिसको दिल से चाहे उसपर सर्वस्व न्योछावर कर सकती है।
गृहस्थ जीवन के अतिरिक्त आर्थिक एव सामाजिक क्षेत्र में भी अपने पति का पूर्ण सहयोग करती है।रसोई कार्य में भी दक्ष होती है।
इस लग्न की जातिका प्रायः अपने पति से भी ज्यादा परिवार के प्रति समर्पित होती है।

आरोग्य👉 यदि इनकी कुंडली में शुक्र एवं मंगल अशुभ हों तो जातिका कुछ जिद्दी एवं चिड़चिड़े स्वाभाव की होती है।इन्हें गले एवं टॉन्सिल सम्बंधित,नेत्र रोग, पायरिया, जननेंद्रिय सम्बन्धित गुप्त रोग एवं सिर सम्बंधित रोग का भय अधिक रहता है इसलिए इन्हें अपने आहार और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।

जीवन साथी का चुनाव👉 वृष लग्न के जातक या जातिका को अपने जीवन साथी के चुनाव के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर अथवा कुम्भ राशि या लग्न वाले जातक या जातिका के साथ वैवाहिक सम्बन्ध शुभ होता है अन्य के साथ कठिनता से निर्वाह होता है।


🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁🍃🍁

Recommended Articles

Leave A Comment